अक्षय तृतीया, हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो साल के चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इसको आखा तीज त्यौहार के नाम से जाना जाता है यह पर्व सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए एक अद्वितीय और पवित्र मौका है जो ऐश्वर्य, समृद्धि, और शुभकामनाओं के साथ भरा होता है इस दिन लोग विभिन्न धार्मिक क्रियाएं करते हैं जैसे कि पूजा, दान, और धार्मिक अनुष्ठान। अक्षय तृतीया का महत्व यह है कि इस दिन किए जाने वाले कार्यों का फल कभी भी असफल नहीं होता और यह धन और समृद्धि को बढ़ावा देता है
इस दिन लोगों का विशेष ध्यान रात्रि के समय सूर्य की उपासना करने पर होता है, क्योंकि इस मौके पर सूर्य अत्यंत शक्तिशाली होता है और इसे उपासना से सभी कष्टों का नाश होता है अक्षय तृतीया भारतीय सांस्कृतिक कैलेंडर में एक विशेष दिन है जो समृद्धि, सौभाग्य, और धन की प्राप्ति का संकेत है। इस दिन लोग अपने जीवन में नए आरंभ और संघर्षों के साथ नई उम्मीदों के साथ आगे बढ़ने का संकल्प करते हैं
तारीख | Date | शुक्रवार, 10 मई 2024 | |
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अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त | तृतीया तिथि प्रारंभ : 10 मई 2024 को 04 बजकर 17 मिनट | तृतीया तिथि समाप्त : 11 मई 2024 को 02 बजकर 50 मिनट |
अक्षय तृतीया हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल के अप्रैल,मई महीने में मनाई जाती है। इस वर्ष, अक्षय तृतीया की तारीख 10 मई 2024 दिन शुक्रवार को है यह तिथि पूरे भारतवर्ष में हिन्दू धर्म में बड़े धूमधाम से मनाई जाएगी और पूजा-अर्चना के साथ उत्सव मनया जाता है
Date | शुक्रवार, 10 मई 2024 |
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अक्षय तृतीया हिन्दू पर्वों में से एक महत्वपूर्ण और शुभारंभी दिन है जो हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को 'अक्षय' यानी 'अविनाशी' माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन किए जाने वाले कार्य और उपासना का फल हमेशा बना रहता है और कभी भी असफल नहीं होता अक्षय तृतीया को सौभाग्य, समृद्धि, और धन की प्राप्ति का संकेत माना जाता है। इस दिन धार्मिक पुराणों में वर्णित अद्भुत घटनाओं के अनुसार, सूर्य देव ने त्रिलोकी को आशीर्वाद दिया था और इसे अक्षय तृतीया कहा गया
लोग इस दिन धन लाभ, नए आरंभ, और साकारात्मक बदलाव के लिए संकल्प करते हैं। धार्मिक रूप से इस दिन को सूर्य पूजा का महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, जिससे सूर्य देव की कृपा मिलती है और जीवन में आने वाली समस्त कठिनाईयों का नाश होता है। इस पवित्र दिन को ध्यान में रखकर लोग अपने जीवन को नए ऊँचाइयों तक पहुंचाने का संकल्प लेते हैं
अक्षय तृतीया एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ "अक्षय" यानी "अविनाशी" और "तृतीया" यानी "तीसरी" होता है। इसे हिन्दी पंचांग में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाने का विशेष समय माना जाता है इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य ऐश्वर्य, समृद्धि, और शुभकामनाओं की प्राप्ति करना है। लोग इस दिन धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों में लगे रहते हैं, और विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा करते हैं, जिसे अविनाशी शक्ति का प्रतीक माना जाता है
अक्षय तृतीया भारतीय सांस्कृतिक कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे शुभ और मान्यता से देखा जाता है इस दिन लोग धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और दान-पुण्य करने का महत्व देते हैं। यह एक शुभ मुहूर्त है नए व्यापार, निवेश, और विवाह के लिए अक्षय तृतीया को सूर्य पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन सूर्य देव अत्यंत शक्तिशाली माने जाते हैं। इस पर्व का महत्व यह है कि यह लोगों को नए आरंभों और समृद्धि की ओर प्रेरित करता है, और उन्हें जीवन में स्थिरता और सफलता की प्राप्ति का आशीर्वाद देता है
अक्षय तृतीया, हिन्दू पंचांग के अनुसार एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित पर्व है जो साल के चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है इसे "अक्षय" शब्द से जोड़कर "अविनाशी" कहा जाता है, इसका अर्थ है कि इस दिन किए जाने वाले कार्य हमेशा फलदाई होते हैं अक्षय तृतीया को मनाने के पीछे कई कारण हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण और शुभ दिन बनाते हैं। इस दिन को सौभाग्य, समृद्धि, और धन की प्राप्ति का संकेत माना जाता है। लोग इस दिन विशेष रूप से धार्मिक क्रियाएं जैसे पूजा, दान, और व्रत करते हैं
इस पर्व को ध्यान में रखकर व्यक्ति नए लक्ष्य तय करता है और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदलने का संकल्प करता है अक्षय तृतीया न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि इसे व्यापार, निवेश, और विवाह के लिए भी एक शुभ समय माना जाता है और लोग विभिन्न पूजा उपकरणों, सोने और चांदी के आभूषणों की खरीदी करते हैं इस दिन को एक नए आरंभ और समृद्धि का संकेत मानकर लोग नए कार्यों की शुरुआत करने के लिए प्रेरित होते हैं
इस दिन धार्मिक तीर्थस्थलों पर जाकर पूजा-अर्चना करना भी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है दान और पुण्य कार्यों में लगना भी इस दिन को और भी शुभ बना सकता है विभिन्न क्षेत्रों में नए प्रोजेक्ट्स शुरू करना और निवेश के विचार पर विचार करना भी इस मौके पर किया जा सकता है यह दिन नए आरंभ, संघर्षों के साथ नई उम्मीदें और उत्कृष्टता की दिशा में कार्य करने के लिए एक अद्वितीय और प्रेरणादायक अवसर प्रदान करता है।
अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है और इस दिन सूर्य देव की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। सूर्य देव हिन्दू धर्म में जीवन के स्रष्टा और प्रकाशक रूप में पूजे जाते हैं। सूर्य देव की पूजा से जीवन में सौभाग्य, समृद्धि, और आशीर्वाद मिलता है सूर्य देव की पूजा के लिए, एक साफ और शुद्ध स्थान पर बैठकर सूर्य उपासना किया जा सकता है। इसमें सूर्य मंत्रों का जाप, अर्घ्य, चंदन, कुंकुम, फूल, और दीप प्रयोग किया जा सकता है। यह पूजा सूर्य देव की कृपा को प्राप्त करने में सहायक होती है और व्यक्ति को आनंद, शांति, और समृद्धि का अनुभव कराती है।
अक्षय तृतीया एक शुभ मुहूर्त है नए शुरुआतों और समृद्धि की प्राप्ति के लिए। इस दिन कुछ विशेष चीजें खरीदना भी शुभ माना जाता है। सोने और चांदी के आभूषणों की खरीदी इस दिन को और भी समृद्धिपूर्ण बना सकती है। धार्मिक दृष्टि से, कई लोग इस दिन धर्मिक ग्रंथों की खरीदी करते हैं और धार्मिक उपकरणों की पूजा करते हैं
इस दिन किसी नए यात्रा या नए वाहन की खरीदी भी शुभ मानी जा सकती है। विभिन्न शास्त्रों के अनुसार, स्वर्ण, रत्न, और उपास्य वस्त्र की खरीदी भी अक्षय तृतीया को शुभ बना सकती है। यह दिन नए व्यापार शुरू करने और निवेश के लिए भी उत्तम है। इसलिए, अक्षय तृतीया को एक शुभ अवसर मानकर आप इन विभिन्न चीजों की खरीदी पर विचार कर सकते हैं जो आपके जीवन में समृद्धि और सौभाग्य लाने में मदद कर सकती हैं
अक्षय तृतीया की कथा विभिन्न पुराणों और ग्रंथों में मिलती है, जिसमें इस पर्व के महत्व का वर्णन होता है
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, महाभारत काल में देवश्रवा और कुण्डलपि नामक दो ब्राह्मण भाई थे, जो धन की कमी में थे। उन्होंने महर्षि वेदव्यास से सार्थक ज्ञान प्राप्त करने का इच्छुक होकर उनसे मिलने का निश्चय किया
महर्षि वेदव्यास ने उन्हें अक्षय तृतीया के दिन गंगा नदी के किनारे बुलाया और अनंत धन और समृद्धि के लिए उन्हें एक अद्वितीय व्रत का आचरण करने का सुझाव दिया। उन्होंने व्रत का आचरण किया और धन और समृद्धि से युक्त हो गए इसी प्रकार, अक्षय तृतीया का आचरण करने से लोग धन, समृद्धि, और अनंत शुभ फल प्राप्त करते हैं
अक्षय तृतीया को पूजन करने के लिए विशेष पूजा विधि है, जो निम्नलिखित रूप से की जा सकती है:
सूर्य उपासना: अक्षय तृतीया का मुख्य तत्व सूर्य देव है, इसलिए सूर्य उपासना करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सूर्य की मूर्ति या तस्वीर को साफ़ करके, उसे एक स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
पूजा सामग्री: सूर्य देव की पूजा के लिए चंदन, कुंकुम, रोली, फूल, अक्षता, गंगा जल, दीपक, और नैवेद्य की सामग्री की तैयारी करें।
मंत्र जाप: सूर्य मंत्रों का जाप करें, जैसे कि "ॐ ह्रीं ग्रीं सूर्याय नमः" या अन्य सूर्य मंत्र।
धूप-दीप प्रज्ज्वलित करें: सूर्य देव की पूजा के दौरान धूप और दीपक की आराधना करें।
दान और पुण्य कार्य: अक्षय तृतीया को धर्मिक दृष्टि से विशेष दान और पुण्य कार्यों के लिए समर्पित करें, जैसे कि अन्नदान, वस्त्रदान, और चारिताबली।
व्रत-कथा का सुनाना: सूर्य देव की कथा और अक्षय तृतीया की महत्वपूर्णता से जुड़ी किसी व्रत-कथा को सुनना और पढ़ना भी शुभ होता है।