basant panchami wishes

Basant Panchami 2024 | बसंत पंचमी 2024 मैं कब हैं | जानें बसंत पंचमी तिथि व सरस्वती पूजा मुहूर्त 2024

Table of index

  • बसंत पंचमी क्या है
  • बसंत पंचमी 2024 कब है
  • बसंत पंचमी क्यों मनाते हैं?
  • बसंत पंचमी का महत्व
  • बसंत पंचमी कैसे मनाते हैं
  • बसंत पंचमी का इतिहास
  • बसंत पंचमी पर पतंग क्यों उड़ाते हैं
  • बसंत पंचमी पर पीले कपड़ों का क्या महत्व है
  • बसंत पंचमी की कहानी
  • सांप का बसंत पंचमी से संबंध क्यों है?

बसंत पंचमी क्या है | What is basant panchami

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है वर्ष की सारी ऋतुओं में बसंत को सारी ऋतुओं का राजा माना जाता है इस कारण इस दिन बसंत पंचमी का दिन मनाया जाता है बसंत पंचमी का पर्व मां सरस्वती के अवतरण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है और इसी दिन कामदेव मदन का भी जन्म हुआ था

बसंत पंचमी 2024 कब है | Basant Panchami 2024 Date And Time

Date | तारीख 14 फरवरी 2024
Day | दिन Wednesday | बुधवार
बसंत पंचमी पूजन और शुभ मुहूर्त 07 बजे से - दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है

हम बसंत पंचमी क्यों मनाते हैं? | Why do we celebrate Basant Panchami?

बसंत पंचमी हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है और बसंत पंचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है यह पर्व माघ के महीने में शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है और वर्ष को 6 ऋतुओं में बंटा जाता है जिसमें बसंत ऋतु ग्रीष्म ऋतु बरसा ऋतु शरद ऋतु हेमंत ऋतु और शिष्य ऋतु शामिल हैं इनमें से सभी ऋतुओं में बसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है इस पर्व को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है और उसे पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है

जब भगवान ब्रह्मा जी ने संसार की रचना की तब उन्होंने तब उन्होंने वृक्ष-पौधे जीव-जन्तु और मनुष्यों की रचना की लेकिन तभी उन्हें लगा कि उनकी रचना में कहीं कमी रह गई है इसीलिये ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिडका जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई स्त्री के एक हाथ में बिदा दूसरे में पुस्तक तीसरे में माला और चौथा हाथ बंद मुद्रा में थे.तब ब्रह्मा जी ने सुंदर स्त्री से बीड़ा बजाने को कहा जैसे ही मां सरस्वती ने वीणा बजाना प्रारंभ किया बाजा ब्रह्मा जी की बनाई हुई हर चिज में स्वर आ गया तभी ब्रह्मा जी ने वाणी की देवी सरस्वती का नाम दिया वह दिन बसंत पंचमी का दिन था इसी वजह से हर साल बसंत पंचमी को यह पर्व मनाया जाने लगा और और उनकी पूजा की जाने लगी

इस दिन सरस्वती माता, ज्ञान, विद्या, और कला की देवी, की पूजा की जाती है। शिक्षा के क्षेत्र में नए आरंभों का संकेत देने वाले यह पर्व, विद्यार्थियों को अपने उद्दीपन और समृद्धि की ओर प्रेरित करता है।

बसंत पंचमी हमें नए जीवन के संभावनाओं का आभास कराता है और श्रेष्ठता की दिशा में हमें प्रेरित करता है। इस दिन को समर्पित करके हम नई ऊर्जा और सकारात्मक सोच के साथ आने वाले समय का स्वागत करते हैं

बसंत पंचमी का महत्व | Importance of Basant Panchami

बसंत पंचमी या श्री पंचमी एक हिंदू त्यौहार है क्या दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है याह पूजा पूर्वी भारत पश्चिम उत्तर बांग्लादेश नेपाल और काई राष्ट्रों में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है इस दिन महिलाएं पीले वस्त्र धारण करती हैं प्राचीन भारत और नेपाल में शुद्ध साल को जिन छे मौसमों में बंटा जाता था उसमें से बसंत लोगों का मन चाहा मौसम रहता था जब फूलों पर बहार एक जाति खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है जो और गेहूँ की बालियाँ खेलने लगती हैं और रंग बिरंगी तितलियां मंडराने लगती हैं बसंत ऋतु के स्वागत के लिए एक बड़ा जस मानाया जाता जिसमें कामदेव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती याह बसंत पंचमी का त्यौहार कहलाये जाता

बसंत पंचमी कैसे मनाते हैं | How to celebrate Basant Panchami

बसंत पंचमी का पर्व हर जगह है अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं जैसे राजस्थान में लोग चमेली की माला पहनते हैं और महाराष्ट्र में लोग शादी के बाद इस पर्व को मानते हैं नव विवाहित जोड़ा पहली बार मंदिर में जाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं और बसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं इस दिन लोग पीले फूलों से घर को सजाते हैं मीठे व्यंजन बनाते हैं और इसके अलावा पश्चिम बंगाल में लोग बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा बड़े ही धूमधाम से करते हैं काफी बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होकर पूजा अर्चना करते हैं और माघ के महीने में पांचवें दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता है

बसंत पंचमी का इतिहास | History of Basant Panchami

बसंत पंचमी हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है यह समय ऋतु परिवर्तन के साथ-साथ अद्भुत शक्ति को लेकर आता है इस दिन ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है.सच कहा जाए तो बसंत पंचमी का दिन अनेकों इतिहासों की कहानियों से जुड़ा है अगर बात रामायण की की जाए तो विश्वास की प्रतिमूर्ति शबरी की याद दिलाता है जो अपने गुरुदेव की बातें पर अटूट श्रद्धा रखकर भगवान श्री राम के आने का सालों से इंतजार करती रही और शबरी के द्वार पर जब भगवान राम का आगमन हुआ तब वह दिन और कोई नहीं बल्कि बसंत पंचमी का दिन था साथ ही एक और भारत के बलिदान सम्राट कहानी की याद दिलाती है जिसका संबंध बसंत से है यह इतिहास असीमितताओं और क्षमताओं से भरे युद्ध कला और शास्त्र विद्या के ज्ञाता सम्राट पृथ्वीराज चौहान की कहानी से भी जुड़ा है

जब मोहम्मद गौरी ने 16 बार पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया और गौरी के हर बार हार जाने पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने उसे जिंदा छोड़ने की गलती की थी उसके बाद मोहम्मद गौरी ने 17वीं बार आक्रमण करके पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया था अतः उनको बंदी बनाकर अपने साथ अफगानिस्तान ले गया फिर उसकी आंखें फोड़ दी उसके बाद की घटना तो जगत मैं प्रसिद्ध है उसके बाद मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान को मृत्यु दंड देने से पूर्व शब्द भेदी का कमाल देखना चाहता था.इसलिए गोरी ने पृथ्वीराज के साथी चंद्रवरदाई को शब्द भेदी बाण चलाने का परामर्श देने के लिए इसी परामर्श का देने के लिए इसी परामर्श का अचूक मौका ढूंढने छुटने ना पाए कि चंद्रवरदाई ने कहा चार बार बस 24 गज अगल अष्ट प्रमाण का ऊपर सुल्तान है मत चूको चौहान पृथ्वीराज चौहान ने एक भी ऋण ना गवाते हुए सीधा निशाना लगायाऔर मोहम्मद गौरी पर बढ़ चला दियाऔर उसकी मृत्यु हो गई

बसंत पंचमी पर पतंग क्यों उड़ाते हैं | Why do we fly kites on Basant Panchami?

  • वैसे तो अलग-अलग राज्यों में इस पर्व को मनाने का तरीका अलग-अलग है किंतु बसंत पंचमी के दिन पतंग इसलिए उड़ाते हैं क्योंकि इस दिन खास तौर पर देवी सरस्वती की पूजा की जाती है और बसंत पंचमी के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा काफी लंबे समय से चली आ रही है और इस दिन पतंग केवल हम इसलिए भी उड़ाते हैं क्योंकि यह केवल बसंत ऋतु के आने की खुशी को मनाने का तरीका है और मौसम की बहार के साथ-साथ बसंत पंचमी का त्योहार प्यार और उमंग की लहर लेकर आता है इसीलिए इतनी ठंड के बाद जब हल्की गर्मी की लहर शुरू होती है तो बसंत पंचमी के त्योहार पर हम खुशी जाहिर करने के लिए पतंग उड़ाते हैं
  • बसंत पंचमी पर पीले कपड़ों का क्या महत्व है | What is the significance of yellow clothes on Basant Panchami?

  • मान्यता के अनुसार इस दिनसरस्वती माता का जन्म हुआ था इसलिए बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजाका और पीले कपड़ोंका विशेष महत्व है इस दिन के पीलेरंग के वस्त्रका विशेष महत्व है क्योंकि मन को पीले फूल और पीले रंग का हो और पीला रंग की वस्तु में अर्पित की जाती हैंऔर इस दिन पीले वस्त्र पहनना चाहिए क्योंकिइसके पीछे एक मुख्य कारण यह भी है किबसंत पंचमी के दिन से ही ज्यादा ठंड के बाद मौसम सुहावना होने लगता हैहर जगहपेड़ पौधे और कलियां खेलने लगते हैं मान्यता के अनुसार सबसे पहले पीतांबर धारण किया जाता है उसके बाद भगवान श्री कृष्ण नेदेवी सरस्वती का पूजन माघ शुक्ल पक्ष को किया थातब से बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का प्रचलन है वहीं ज्योतिषाचार्य के अनुसार बसंत पंचमी को पीले रंग कासंबंध गुरु ग्रह से भी है जो ज्ञान धर्म और शिक्षा के कारक माने जाते हैं गुरु ग्रह के प्रभाव से धन बढ़ता है इसलिए हम बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं
  • बसंत पंचमी की कहानी | Story of basant panchami

    आदिकाल में भगवान श्री हरि विष्णु ने ब्रह्मा जीको सृष्टि का निर्माण करने का आदेश दिया विष्णु जी के आदेश अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करना प्रारंभ कर दिया एक समय ब्रह्मा जी अपने द्वारा निर्मित किए गए संसार को देखने धरती पर आए उन्होंने वहां देखा कि हर तरफ मोन छाया हुआ है तब उसे और शांत संसार को देखकर ब्रह्मा जी सोच में पड़ गए उन्हें अपने द्वारा की गई रचना पर आश्चर्य हुआ और उन्होंने अपने कमंडल से चारों तरफ जल छिड़क दिया जैसे ही जल की बूंद जमीन पर गिरी तो उसके प्रभाव से देवी प्रकट हुई जिनके एक हाथ में बीड़ा दूसरा हाथ बर मुद्रा और तीसरे हाथ में पुस्तक और चौथा हाथ में माला थी श्वेत वस्त्रधारी वह देवी कमल पर विराजमान थी

    उन देवी ने ब्रह्मा जी को प्रणाम किया तब ब्रह्मा जी ने उन्हें सरस्वती नाम दिया और कहा के पुत्री मेरे द्वारा रचित इस संसार में ध्वनि नहीं है अपनी वीणा के स्वर से इस संसार की खामोशी दूर करो उन्हें ध्वनि प्रदान करो फिर ब्रह्मा जी के आदेश अनुसार देवी सरस्वती अपनी वीणा का मधुर बाद किया तो संसार के सब वस्तु जीव जंतुओं और प्रकृति को ध्वनि प्राप्त हुई सभी बोलने लगे नदियां कल कल बहने लगी तथा हवा साइ साइ करने लगी तभी से बुद्धि विद्या और संगीत की देवी के रूप में मां सरस्वती की पूजा की जाने लगी तभी से बसंत पंचमी का दिन सरस्वती की उत्पत्ति के रूप में भी मनाया जाता है

    सांप का बसंत पंचमी से संबंध क्यों है? | Why is snake related to Basant Panchami?

    इस त्योहार के महत्व को बताते हुए बहुत सी कविताएँ, गीत और किस्से लोगों को समर्थन में लाई जाती हैं। लेकिन एक रोचक और अनोखी कथा भी यहां है, जो सांप के साथ जुड़ी है।

    कथा के अनुसार:

    कहते हैं कि एक समय की बात है, एक गाँव में एक साधू बाबा रहते थे जिनके पास एक विशेष शक्ति थी कि उन्हें हर साल बसंत पंचमी के दिन एक सांप दिखाई देता था। इस सांप का कहना था कि बसंत पंचमी के दिन सम्पूर्ण वस्त्र और फूलों के माला से उसकी पूजा करनी चाहिए, तब वह सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी

    गाँव वाले हर साल बसंत पंचमी के दिन इस सांप की पूजा करते थे और देखते थे कि अनेक कामनाएं सफलता से पूर्ण हो रही थीं। समय के साथ, गाँववालों ने समझा कि बसंत पंचमी के दिन सांप की पूजा से ही अच्छा भविष्य मिलता है और वे इस परंपरा को बचाए रखने के लिए इसे आगे बढ़ाते रहे।

    इस कथा से यह सिखने को मिलता है कि भारतीय सांस्कृतिक त्योहारों के पीछे अक्सर रहस्यमयी कथाएं और परंपराएँ छिपी होती हैं जो हमें जीवन के मूल्यों और धरोहरों के प्रति समर्पित करती हैं।