हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है वर्ष की सारी ऋतुओं में बसंत को सारी ऋतुओं का राजा माना जाता है इस कारण इस दिन बसंत पंचमी का दिन मनाया जाता है बसंत पंचमी का पर्व मां सरस्वती के अवतरण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है और इसी दिन कामदेव मदन का भी जन्म हुआ था
Date | तारीख | 14 फरवरी 2024 |
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Day | दिन | Wednesday | बुधवार |
बसंत पंचमी पूजन और शुभ मुहूर्त | 07 बजे से - दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है |
बसंत पंचमी हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है और बसंत पंचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है यह पर्व माघ के महीने में शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है और वर्ष को 6 ऋतुओं में बंटा जाता है जिसमें बसंत ऋतु ग्रीष्म ऋतु बरसा ऋतु शरद ऋतु हेमंत ऋतु और शिष्य ऋतु शामिल हैं इनमें से सभी ऋतुओं में बसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है इस पर्व को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है और उसे पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है
जब भगवान ब्रह्मा जी ने संसार की रचना की तब उन्होंने तब उन्होंने वृक्ष-पौधे जीव-जन्तु और मनुष्यों की रचना की लेकिन तभी उन्हें लगा कि उनकी रचना में कहीं कमी रह गई है इसीलिये ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिडका जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई स्त्री के एक हाथ में बिदा दूसरे में पुस्तक तीसरे में माला और चौथा हाथ बंद मुद्रा में थे.तब ब्रह्मा जी ने सुंदर स्त्री से बीड़ा बजाने को कहा जैसे ही मां सरस्वती ने वीणा बजाना प्रारंभ किया बाजा ब्रह्मा जी की बनाई हुई हर चिज में स्वर आ गया तभी ब्रह्मा जी ने वाणी की देवी सरस्वती का नाम दिया वह दिन बसंत पंचमी का दिन था इसी वजह से हर साल बसंत पंचमी को यह पर्व मनाया जाने लगा और और उनकी पूजा की जाने लगी
इस दिन सरस्वती माता, ज्ञान, विद्या, और कला की देवी, की पूजा की जाती है। शिक्षा के क्षेत्र में नए आरंभों का संकेत देने वाले यह पर्व, विद्यार्थियों को अपने उद्दीपन और समृद्धि की ओर प्रेरित करता है।
बसंत पंचमी हमें नए जीवन के संभावनाओं का आभास कराता है और श्रेष्ठता की दिशा में हमें प्रेरित करता है। इस दिन को समर्पित करके हम नई ऊर्जा और सकारात्मक सोच के साथ आने वाले समय का स्वागत करते हैं
बसंत पंचमी या श्री पंचमी एक हिंदू त्यौहार है क्या दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है याह पूजा पूर्वी भारत पश्चिम उत्तर बांग्लादेश नेपाल और काई राष्ट्रों में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है इस दिन महिलाएं पीले वस्त्र धारण करती हैं प्राचीन भारत और नेपाल में शुद्ध साल को जिन छे मौसमों में बंटा जाता था उसमें से बसंत लोगों का मन चाहा मौसम रहता था जब फूलों पर बहार एक जाति खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है जो और गेहूँ की बालियाँ खेलने लगती हैं और रंग बिरंगी तितलियां मंडराने लगती हैं बसंत ऋतु के स्वागत के लिए एक बड़ा जस मानाया जाता जिसमें कामदेव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती याह बसंत पंचमी का त्यौहार कहलाये जाता
बसंत पंचमी का पर्व हर जगह है अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं जैसे राजस्थान में लोग चमेली की माला पहनते हैं और महाराष्ट्र में लोग शादी के बाद इस पर्व को मानते हैं नव विवाहित जोड़ा पहली बार मंदिर में जाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं और बसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं इस दिन लोग पीले फूलों से घर को सजाते हैं मीठे व्यंजन बनाते हैं और इसके अलावा पश्चिम बंगाल में लोग बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा बड़े ही धूमधाम से करते हैं काफी बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होकर पूजा अर्चना करते हैं और माघ के महीने में पांचवें दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता है
बसंत पंचमी हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है यह समय ऋतु परिवर्तन के साथ-साथ अद्भुत शक्ति को लेकर आता है इस दिन ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है.सच कहा जाए तो बसंत पंचमी का दिन अनेकों इतिहासों की कहानियों से जुड़ा है अगर बात रामायण की की जाए तो विश्वास की प्रतिमूर्ति शबरी की याद दिलाता है जो अपने गुरुदेव की बातें पर अटूट श्रद्धा रखकर भगवान श्री राम के आने का सालों से इंतजार करती रही और शबरी के द्वार पर जब भगवान राम का आगमन हुआ तब वह दिन और कोई नहीं बल्कि बसंत पंचमी का दिन था साथ ही एक और भारत के बलिदान सम्राट कहानी की याद दिलाती है जिसका संबंध बसंत से है यह इतिहास असीमितताओं और क्षमताओं से भरे युद्ध कला और शास्त्र विद्या के ज्ञाता सम्राट पृथ्वीराज चौहान की कहानी से भी जुड़ा है
जब मोहम्मद गौरी ने 16 बार पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया और गौरी के हर बार हार जाने पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने उसे जिंदा छोड़ने की गलती की थी उसके बाद मोहम्मद गौरी ने 17वीं बार आक्रमण करके पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया था अतः उनको बंदी बनाकर अपने साथ अफगानिस्तान ले गया फिर उसकी आंखें फोड़ दी उसके बाद की घटना तो जगत मैं प्रसिद्ध है उसके बाद मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान को मृत्यु दंड देने से पूर्व शब्द भेदी का कमाल देखना चाहता था.इसलिए गोरी ने पृथ्वीराज के साथी चंद्रवरदाई को शब्द भेदी बाण चलाने का परामर्श देने के लिए इसी परामर्श का देने के लिए इसी परामर्श का अचूक मौका ढूंढने छुटने ना पाए कि चंद्रवरदाई ने कहा चार बार बस 24 गज अगल अष्ट प्रमाण का ऊपर सुल्तान है मत चूको चौहान पृथ्वीराज चौहान ने एक भी ऋण ना गवाते हुए सीधा निशाना लगायाऔर मोहम्मद गौरी पर बढ़ चला दियाऔर उसकी मृत्यु हो गई
आदिकाल में भगवान श्री हरि विष्णु ने ब्रह्मा जीको सृष्टि का निर्माण करने का आदेश दिया विष्णु जी के आदेश अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करना प्रारंभ कर दिया एक समय ब्रह्मा जी अपने द्वारा निर्मित किए गए संसार को देखने धरती पर आए उन्होंने वहां देखा कि हर तरफ मोन छाया हुआ है तब उसे और शांत संसार को देखकर ब्रह्मा जी सोच में पड़ गए उन्हें अपने द्वारा की गई रचना पर आश्चर्य हुआ और उन्होंने अपने कमंडल से चारों तरफ जल छिड़क दिया जैसे ही जल की बूंद जमीन पर गिरी तो उसके प्रभाव से देवी प्रकट हुई जिनके एक हाथ में बीड़ा दूसरा हाथ बर मुद्रा और तीसरे हाथ में पुस्तक और चौथा हाथ में माला थी श्वेत वस्त्रधारी वह देवी कमल पर विराजमान थी
उन देवी ने ब्रह्मा जी को प्रणाम किया तब ब्रह्मा जी ने उन्हें सरस्वती नाम दिया और कहा के पुत्री मेरे द्वारा रचित इस संसार में ध्वनि नहीं है अपनी वीणा के स्वर से इस संसार की खामोशी दूर करो उन्हें ध्वनि प्रदान करो फिर ब्रह्मा जी के आदेश अनुसार देवी सरस्वती अपनी वीणा का मधुर बाद किया तो संसार के सब वस्तु जीव जंतुओं और प्रकृति को ध्वनि प्राप्त हुई सभी बोलने लगे नदियां कल कल बहने लगी तथा हवा साइ साइ करने लगी तभी से बुद्धि विद्या और संगीत की देवी के रूप में मां सरस्वती की पूजा की जाने लगी तभी से बसंत पंचमी का दिन सरस्वती की उत्पत्ति के रूप में भी मनाया जाता है
इस त्योहार के महत्व को बताते हुए बहुत सी कविताएँ, गीत और किस्से लोगों को समर्थन में लाई जाती हैं। लेकिन एक रोचक और अनोखी कथा भी यहां है, जो सांप के साथ जुड़ी है।
कहते हैं कि एक समय की बात है, एक गाँव में एक साधू बाबा रहते थे जिनके पास एक विशेष शक्ति थी कि उन्हें हर साल बसंत पंचमी के दिन एक सांप दिखाई देता था। इस सांप का कहना था कि बसंत पंचमी के दिन सम्पूर्ण वस्त्र और फूलों के माला से उसकी पूजा करनी चाहिए, तब वह सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी
गाँव वाले हर साल बसंत पंचमी के दिन इस सांप की पूजा करते थे और देखते थे कि अनेक कामनाएं सफलता से पूर्ण हो रही थीं। समय के साथ, गाँववालों ने समझा कि बसंत पंचमी के दिन सांप की पूजा से ही अच्छा भविष्य मिलता है और वे इस परंपरा को बचाए रखने के लिए इसे आगे बढ़ाते रहे।
इस कथा से यह सिखने को मिलता है कि भारतीय सांस्कृतिक त्योहारों के पीछे अक्सर रहस्यमयी कथाएं और परंपराएँ छिपी होती हैं जो हमें जीवन के मूल्यों और धरोहरों के प्रति समर्पित करती हैं।