हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन का पर्व मनाया जाता है इस दिन घर की महिलाएं घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनती है और गोवर्धन भगवान की पूजा करती हैं
Date | तारीख | 02 November 2024 |
---|---|
Day | दिन | Saturday | शनिवार |
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त | सुबह 6:15 मिनट से (01 Nov 2024) - 8 बजकर 20 मिनट तक है (02 Nov 2024) |
पौराणिक कथा के अनुसार इस पर्व की शुरुआत तब से हुई जब भगवान श्री कृष्ण ने अपनी तर्जनी उगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के क्रोध से बचाया था तभी से गोवर्धन का पर्व मनाया जाने लगा दीपावली के अगले दिन सुबह के समय कार्तिक प्रतिपदा पर मनाया जाने वाला हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है दिवाली के अगले दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है लोग से अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं इस पर्व का भारतीय लोगों में बहुत महत्व है
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धनका पर्व मनाया जाता है इस दिन घर की महिलाएं घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनती है और गोवर्धन भगवान की पूजा करती हैं इस दिन गोवर्धन और गाय की पूजा का विशेष महत्व होता है इस पर्व को मनाने का दूसरा कारण यह है
इस दिन गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है शास्त्रों के अनुसार गाय जिस प्रकार पवित्र है होती है जिस प्रकार नदियों में गंगा गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा जाता है जिस प्रकारदेवी लक्ष्मीधन सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकारगाय माता भी अपने दूध सेस्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैइसका बछड़ा खेतों में अनाज उगाना है इस तरह गाय संपूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय होती है गाय माता के लिए श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है
पौराणिक कथा के अनुसार इस पर्व को मनाने की खास और मुख्य वजह यह है के जब भगवान श्री कृष्ण ने सभी बृजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचाने के लिए पूरे 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी तर्जनी उंगली पर उठाकर रखा था और सारे बृजवासियों की रक्षा की थी सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखाऔर प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करने और अनुकूल उत्सव मनाने की आज्ञा दी तभी से यह उत्सव मनाया जाने लगा और अन्नकूट के नाम से जाने जाना लगा
इस पर्व को मनाने का एक मुख्य कारण और भी है और कथा है उस कथा के अनुसार देवराज इंद्र को अभिमान हो गया था देवराज इंद्र का अभिमान चूर करने के लिए के लिए भगवान श्री कृष्णा जो स्वयं लीलाधारी श्री हरि विष्णु के अवतार हैं ने एक लीला रची इस लीला के अनुसार सभी बृज वासी उत्तम पकवान बना रहे थे और भगवान की पूजा की तैयारी में झूठे थे तब श्रीकृष्ण ने बड़े ही भोलेपन से अपनी माता से पूछा मैया यह सब लोग किसकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं तब मैया यशोदा बोली लाला हमें देवराज इंद्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं तो वह बोले मैया हम उनकी पूजा क्यों करते हैं तब मैया बोली देवराज इंद्र वर्षा करते हैं जिससे अन्न की पैदावार होती है इसी वजह से भगवान इंद्र की पूजा की जाती है
गोवर्धन पर्व का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है ऐसी मान्यता है की गोवर्धन की पूजा करने से व्यक्ति सीधा प्राकृतिक समाजस्य बनाए रखना है इस पर्व में गोबर से बने पर्वत की विधि विधान से पूजा करने और भगवान श्री कृष्ण को भोग लगाने से सभी मनोकामना पूरी होती हैं इस दिन गाय की पूजा करने का भी विशेष महत्व है मान्यता के अनुसार गाय की पूजा करने से कुल की देवी देवताओं की पूजा के बराबर फल मिलता है जो व्यक्ति गोवर्धन पूजा करता है उसकी धन संतान समृद्धि में कभी भी कमी नहीं आती और उसका यश समाज में भड़ा रहता है इस प्रकार जो भी व्यक्ति पूरे विधि विधान से गोवर्धन की पूजा करता है उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलने के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
दोस्तों भारत भूमि रहस्य से भारी धरती है वही आपको कोई ना कोई रहस्य अवश्य नजर आएगा इसी प्रकार गोवर्धन पर्वत कहानी भी बेहद रोचक है यह वही पर्वत है जिसे भगवान श्री कृष्ण ने अपनी तर्जनी उंगली पर उठा लिया था और सभी लोगों की रक्षा की थी उसे पर्वत को लेकर माना जाता है कि इसकी ऊंचाई रोज घटती है पौराणिक कथा के अनुसार श्री कृष्ण ने गिरिराज यानी गोवर्धन को अपने तर्जनी उंगली पर उठाया था और इंद्र के प्रकोप से हो रही भयंकर वर्षा से संपूर्ण गोकुल वासियों की रक्षा की थी उस दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि थी यही कुछ रहस्य है जो इस प्रथा से जुड़े हैं
गोवर्धन पूजा की मुख्य बात यह है कि इस पूजा को घर के पुरुष ही करते हैं औरतें चाहे तो इस पूजा को करें अन्यथा इस पूजा को वैसे तो घर के पुरुष ही करते हैं यदि घर में कोई नहीं है तो महिलाएं इस पूजा को करें