पौराणिक कथा के अनुसार जब सूर्यगोचर वर्ष भ्रमण करते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब इसे मकर संक्रांति कहा जाता है मकर संक्रांति का पर्व जनवरी माह में 14 तारीख को मनाया जाता है यह पर्व पूरे भारत में मनाए जाने वाला पर्व है और इस पर्व को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है पौष मास जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस त्यौहार को मनाया जाता है मकर संक्रांति पूरे भारत में और नेपाल में भिन्न-भिन्न रूपों से मनाया जाता है
मकर संक्रांति का धार्मिक कर्म के साथ-साथ इसका वैज्ञानिक कारण भी है इस दिन पृथ्वी सूर्य की दक्षिण दिशा की परिक्रमा को पूरा करके उत्तर दिशा में अग्रसर हो जाती है जिस दिन बड़े और रातें छोटी होने लगते हैं लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि हमारे ऋषि मुनियों को हजारों वर्ष पूर्व मकर संक्रांति के कारण का पता चला जो भारतीय संस्कृति के वैज्ञानिक आधार की पुष्टि करता है
साल 2024 का पहला और सबसे बड़ा त्यौहार है भारतवर्ष के लोग इस दिन सूर्य देव की आराधना एवं पूजा करते हैं उसके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं क्योंकि यह पर्व सूर्य की उपासना का पर्वमाना जाता है सूर्य के धनु राशि से लेकर मकर राशि में प्रवेश करने परखरमास की भी समाप्ति हो जाती है और सभी मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं इस त्यौहार का खास महत्व यह भी है कि इस साल यह बहुत खास माना जा रहा है पुराने के अनुसार मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं और ऐसे शुभ सहयोग में मकर संक्रांति पर चयन और सूर्य उपासना से अन्य दिनों में किए गए दान पुण्य से अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है
वैसे तो मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जिस पर आप जो भी दान करेंगे वह काफी पुण्य दायक होगा क्योंकि इस दिन आप कुछ भी दान कर सकते हैं जो भी आपकी श्रद्धा हो किंतु इस दिन कुछ खास चीजों का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है जैसे
ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी के अनुसार पहली बार मकर संक्रांति की शुरुआत 14 जनवरी 1902 में हुई जबकि 18 वीं सदी में मकर संक्रांति 12 13 जनवरी को मनाई जाती थी एक साल 1964 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई गई इसी के साथ हर दूसरे और तीसरे साल में 14 जनवरी को और चौथे साल में 15 जनवरी को मनाई जाती तथा मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया गया दरअसल सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को रात 8:21पर प्रवेश करेगा यानी कि सूर्य शनि की राशि मकर की राशि में प्रवेश करते हैं इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने जाते हैं इसीलिए इस पर्व को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है और ऐसा माना जाता है कि तभी से इस पर्व की शुरुआत हुई
तारीख | 15 Jan, 2024 | |
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दिन | सोमवार | Monday | |
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त | 02 बजकर 54 मिनट |
पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन दान गंगा स्नान पूजा पाठ तप जाप का बहुत महत्व है इस दिन का खास महत्व यह भी है कि कि इस दिन महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह किया का त्याग किया था मान्यता के अनुसार इस दिन आप जो भी वस्तु दान करते हैं इसका 100 गुना होकर वापस मिलता है इसका खास महत्व है भी है कि इस दिन किसान अपनी अच्छी फसल के लिए भगवान को धन्यवाद करता है इस दिन यज्ञ कथा हवन करने का भी खास महत्व है ऐसा करने से संक्रांति का पुण्य फल प्राप्त होता है
भारतवर्ष में हर साल 2000 से अधिक त्योहार मनाए जाते हैं इन सभी त्योहारों के पीछे सिर्फ धार्मिक परंपरा ही नहीं बल्कि ज्ञान विज्ञान और कुदरत से जुड़ी तमाम बातें होती हैं इसी तरह 14 या 15 जनवरी को संक्रांति मनाया तो जाता है किंतु इस बारे में क्या आपको पता है कि यह त्यौहार प्रतिवर्ष 14 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का अर्थ सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की घटना से जुड़ा है जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति मनाई जाती है मकर संक्रांति हमेशा 14 या 15 जनवरी को ही मनाई जाती है सूर्य 1 साल में 12 राशियों में गोचर करता है वे जिस भी राशि में प्रवेश करते हैं उसी को मकर संक्रांति होती है
आईए जानते हैं मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का क्या महत्व है पतंग का इतिहास करीब 3000 साल पुराना है चीन में पहली बार बाँश और रेशम की पतंग बनाई गई इसके पश्चात समय के साथ-साथ दुनिया भर के अनेक देशों में अलग-अलग रूपों में इसका प्रचलन देखने को मिला इसके अलावा 19वीं सदी में पतंग को वैज्ञानिक शोध के लिए उपयोग किया गया और 20वीं सदी में भी सैन्य कार्यों के लिए इसका आविष्कार किया गया वहीं भारत में पतंग का उपयोग विभिन्न प्रकार के पर्वों के उल्लास को दर्शाने के लिए किया गया जैसे मकर संक्रांति के मौके पर हर उम्र के लोग पूरे जोश और मस्ती से पतंग उड़ाते हैं इसके अलावा इसका एक महत्व और भी है वैज्ञानिक के अनुसार उत्तरायण में सूर्य की गर्मी सीत के प्रकोप व सीत के कारण होने वाले रोगों को समाप्त करने की क्षमता रखती है ऐसे में संक्रांति के दिन घर की छत पर जब लोग पतंग उड़ाते हैं तो सूरज की किरणें एक औषधि की तरह काम करती हैं इसलिए मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का महत्व होता है इसीलिए इस पर्व को पतंग उड़ाने का भी पर्व कहा जाता है
पौराणिक कथा के अनुसार इस त्योहार से जुड़ी कुछ कथाएं हैं इसके बारे में हम महत्वपूर्ण जानकारी देंगे
(1) ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं क्योंकि शनि मकर राशि का देवता है इसी कारण से इसे मकर संक्रांति के पर्व के नाम से जाना जाता है
(2) महाभारत युद्ध के महान योद्धा और कौरवों के सेनापति गंगा पुत्र भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था अर्जुन के बाण लगने के बाद उन्होंने इस दिन की महत्वता को मानते हुए अपनी मृत्यु के लिए इस दिन को ही निर्धारित किया क्योंकि भीष्म जानते थे कि इस दिन सूर्य दक्षिणायन होने पर व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती और उसे इस मृत्यु लोक में दोबारा से जन्म लेना पड़ता है महाभारत युद्ध के बाद जब उत्तरायण हुआ तभी भीष्म पितामह ने प्राण त्याग दिए थे इसीलिए पितामह भीष्म के निर्माण दिवस को भीष्म अष्टमी भी कहा जाता है
(3) इस पर्व की तीसरी कथा के अनुसार इस दिन धरती पर मां गंगा का प्रवेश हुआ था इसी दिन धरती परमां गंगा अवतरित हुई थी इसी के उपलक्ष में मकर संक्रांति का पर्वमनाया जाता है यहकुछ पौराणिक कथाएंहैं जिनके अनुसारभी हम इस पर्व को मानते हैं
(1) मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान करें और नहाने के पानी में काला तिल और गंगाजल वह हल्का गुड मिलाये
(2) इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर एक तांबे के लोटे में पानी भरे अब उसमें काला तिल गुड़ लाल चंदन लाल पुष्प अक्षत आज मिला दें
(3) उसके बाद सूर्य देव को स्मरण करके उनके मित्रों का जाप करेंओम सूर्याय नमः ओम सूर्याय नमःपूजा करते समय इन मंत्र का जाप अवश्य करें
(4) मित्रों का जाप करने के पश्चात सूर्य देव को जलअर्पण करेंउसके बाद अपने निरोग जीवन और धन-धान्य से पूर्णघर की सुख समृद्धि की मनोकामना करें
(5) इसके बाद सूर्य देव की पूजा के बाद शनि देव को काला तिल अर्पित करें ऐसा माना जाता है किइस दिन सूर्य और शनि देव कीकाले तिल से पूजा करने से दोनों देवता प्रसन्न होते हैं