onam-2024-puja-vidhi-katha

ओणम 2024 में कब है, जाने करेल में 10 दिन चलने वाले ओणम उत्सव का महत्व और पूजा विधि

Table of index

  • ओणम त्यौहार क्या है
  • 2024 में ओणम कब है?
  • थिरुवोणम पर्व क्या है
  • ओणम त्यौहार क्यों मनाया जाता है
  • ओणम त्यौहार किस राज्य में मनाया जाता है?
  • ओणम की पुराने समय से चली आ रही प्रथा
  • केरल में दस दिवसीय ओणम महोत्सव
  • ओणम त्यौहार कथा

ओणम त्यौहार क्या है | what is onam festival?

ओणम भारतीय राज्य के केरल का एक प्रमुख सार्वजनिक पर्व है जो सामूहिक उत्साह और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। यह त्योहार आशाओं, प्यार, और समृद्धि का प्रतीक है जो कर्णाटक के राज्य में हर साल मनाया जाता है। ओणम खास पर्व है बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इस पर्व को खुशी से मानते हैं केरल के हर कोने में ओणम का आयोजन धूमधाम से होता है, जिसमें लोग नाच-गाने,के साथ-साथ परंपरागत कला और रंग-बिरंगे वस्त्रों एक दूसरे के साथ मिलकर ओणम त्यौहार का आनंद लेते हैं

2024 में ओणम कब है? | Onam 2024 Date and Time

तारीख | Date 15 सितंबर, 2024
तिथियां | Day रविवार | Sunday

थिरुवोणम पर्व क्या है | what is thiruvonam festival?

ओणम को ही थिरुवोणम त्योहार कहा जाता है यह एक केरल राज्य का प्रमुख त्यौहार है इसको थिरुवोणम पर्व के नाम से भी जाना जाता है इसमें 10 दिन के लिए आयोजन करने का प्रावधान है

ओणम त्यौहार क्यों मनाया जाता है | Why is Onam festival celebrated?

ओणम एक ऐतिहासिक भारतीय हिन्दू त्योहार है जो मुख्य रूप से केरल राज्य, भारत में मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से भगवान वामन अर्थात (विष्णु भगवान का एक अवतार) की पूजा के लिए मनाया जाता है और इसके साथ ही स्थानीय सांस्कृतिक परंपराओं, सांस्कृतिक गीत, नृत्य, और साहित्य का आनंद लेने का एक अवसर भी प्रदान करता है। इसे मुख्य रूप से मलयालम भाषा बोलने वाले लोग मनाते हैं, लेकिन इसे विभिन्न भारतीय राज्यों और विदेशों में भी मनाया जाता है ओणम का आयोजन चित्रण, नृत्य, संगीत, खानपान, और परिवार सहित विभिन्न रंगीन आयोजनों के साथ मनाया जाता है जो उत्साह और रमणीयता का माहौल बनाते हैं। ओणम का एक विशेष पहलू है "पुलिक्काळ" नामक परंपरागत नृत्य है, जिसमें लोग समूह में नृत्य करते हैं। त्योहार का आयोजन मुख्य रूप से अगस्त और सितंबर महीने में होता है।

ओणम त्यौहार किस राज्य में मनाया जाता है? | In which state is Onam festival celebrated?

ओणम भारतीय राज्य केरल का एक प्रमुख त्यौहार है। यहां प्रतिवर्ष समृद्धि, आनंद, और सामूहिक उत्साह का खास माहौल होता है केरल में यह पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है इस पर्व पर लोग नाच गाना औरअच्छे-अच्छे वस्त्र पहनकर इस पर्व को मानते हैं

ओणम की पुराने समय से चली आ रही प्रथा | The age-old tradition of Onam

ओणम का आयोजन पुराने समय से ही होता आ रहा है और इसमें ऐतिहासिक महत्व है। इसकी शुरुआत वामन अवतार और महाबाली के किस्से से हुई थी, जिसे लोग अपने दिल में समर्थ राजा के प्रति विशेष भावना के साथ याद करते हैं।

फसलों की समृद्धि का संकेत

ओणम को भी एक फसलों के त्यौहार के रूप में माना जाता है। इसे अच्छी खाद्य समृद्धि और प्रकृति के साथ जोड़ा जाता है, जिससे लोग आनंद से भरपूर होते हैं

एकता और सामूहिक उत्साह का स्तर बढ़ाना

ओणम एकता और सामूहिक उत्साह का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह एक विशेष समय है जब परिवार और समुदाय के बंधनों को मजबूत करने का प्रयास किया जाता है

राज्य की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा

ओणम, केरल की विशेष सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है। इसे न शिर्फ एक त्यौहार माना जाता है, बल्कि यह राज्य की अद्भुतता और समृद्धि का प्रतीक भी है

ओणम का धार्मिक महत्व

ओणम को धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें पूजा और आराधना का विशेष स्थान है, जो लोग अपने धार्मिक आदर्शों के साथ मनाते हैं इस प्रकार, ओणम एक समृद्धि और एकता का सांस्कृतिक उत्सव है जो लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़कर आनंद और प्रसन्नता की ओर मोड़ने का एक अद्वितीय तरीका प्रदान करता है।

केरल में दस दिवसीय ओणम महोत्सव

एथम/अथम (पहला दिन): स दिन, लोग सुबह जल्दी उठकर अपने दैनिक कार्यों की तरह मंदिर में ईश्वर की पूजा करते हैं। सुबह के नाश्ते में केला और फ्राइ किए हुए पापड़ खाते हैं, जिसे बहुतात्मक तौर पर ओणम का ब्रेकफ़ास्ट माना जाता है। इसके बाद, लोग ओणम पुष्पकालीन (पूकलम) बनाते हैं।

चिथिरा (दूसरा दिन): दूसरे दिन भी पूजा के साथ शुरू होता है, और इसके बाद महिलाएँ नए पुष्पों को पुष्पकालीन में जोड़ती हैं, जो पुरुष उन फूलों को लेकर आते हैं

चोधी (तीसरा दिन): इस दिन खास होता है, क्योंकि लोग इस दिन ख़रीदारी करके थिरुवोणम को बेहतर तरीके से मनाने की तैयारी करते हैं

विसाकम (चौथा दिन): इस दिन कई जगह फूलों के पुष्पकालीन बनाने की प्रतियोगिता होती है। महिलाएँ इस दिन ओणम के अंतिम दिन के लिए अचार, आलू की चिप्स, आदि तैयार करती हैं

अनिज़ाम (पाँचवां दिन): इस दिन का केंद्र बिंदु बाज़ार और विभिन्न खाद्य पदार्थों के साथ सजता है। लोग आसपास घूमने के साथ-साथ विभिन्न व्यंजनों का स्वाद चखते हैं और महिलाएँ अपने घरों को सजाने के लिए ख़रीदारी करती हैं

थ्रिकेता (छठा दिन): इस दिन कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, और सभी आयु वर्ग के लोग इसमें भाग लेते हैं। लोग इस दिन अपने क़रीबियों को बधाई भी देते हैं

मूलम (सातवां दिन): इस दिन लोग अपने चर्म पर उत्साहित होते हैं, बाज़ार भी विभिन्न खाद्य पदार्थों के साथ सज जाता है। लोग आसपास घूमते हैं और विभिन्न व्यंजनों का स्वाद चखते हैं, महिलाएँ अपने घरों को सजाने के लिए कई चीजें ख़रीदती हैं

पूरादम (आठवां दिन): इस दिन लोग मिट्टी के पिरामिड के आकार में मूर्तियाँ बनाते हैं और उन्हें ‘माँ’ कहते हैं, फिर पुष्प चढ़ाते हैं

उथिरादम (नौवां दिन): यह दिन प्रथम ओणम के नाम से भी जाना जाता है, और इस दिन लोगों का हर्षोल्लास से भरा होता है, क्योंकि इस दिन राजा महाबलि का आगमन होता है। तैयारियों के समाप्त होने के बाद, लोग विशाल पुष्पकालीन तैयार करते हैं

थिरुवोणम (दसवां दिन): इस दिन राजा के आगमन के साथ ही लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और पुष्प कालीनों से थालियों को सजाते हैं, साध्या को तैयार करते हैं, और आतिशबाज़ी का आनंद लेते हैं। इस दिन को "दूसरा ओणम" भी कहा जाता है। ओणम थिरुवोणम के बाद भी दो दिनों तक चलता है, लेकिन प्रमुखत: पहले 10 दिन ही महत्वपूर्ण होते हैं

अविट्टम (ग्यारवां दिन): यह दिन तीसरे ओणम के नाम से भी जाना जाता है, और लोग अपने राजा को वापस भेजने की तैयारी करते हैं। कुछ लोग ओनथाप्पन मूर्ति को नदी या सागर में प्रवाह करते हैं, जिसे वे दस दिनों तक रखते हैं, फिर इसे हटाकर साफ़-सफाई करते हैं। इस दिन पुलीकली नृत्य भी होता है

चथ्यम (बारहवां दिन): इस दिन समारोह को एक विशाल नृत्य कार्यक्रम के साथ समाप्त किया जाता है

ओणम की कथा | Onam katha

बहुत समय पहले, केरल के राजा महाबाली नामक एक बहुत यथार्थपरक और श्रेष्ठ राजा थे। उनका राज्य धन, शक्ति, और समृद्धि से भरा हुआ था। महाबाली ने अपने राज्यवासियों के प्रति बड़ा प्रेम और सेवा का आदान-प्रदान किया। उनकी नृपति क्षमता और न्याय प्रणाली ने उन्हें लोगों के दिलों में राजा के रूप में बहुत उच्च स्थान पर ले आया

इस समय भगवान विष्णु ने देवताओं की समस्याओं को देखकर अवतार लेने का निर्णय किया। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और भूमि पर आए भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में रूप में बदलकर महाबाली के दरबार में प्रवेश किया। महाबाली ने देवताओं की तुलना में भगवान वामन को भी बड़ा दानी रूप में माना और उनसे एक विशेष इच्छा पूछी। वामन ने महाबाली से तीन कद की ज़मीन की मांग की

महाबाली ने हंसते हुए इस मांग को स्वीकार कर लिया, लेकिन तब भगवान वामन ने अपने विराट रूप का दर्शन कराया और तीन कद की ज़मीन पर तिनों लोकों का संचार होने की वचनबद्धता कर ली इसके बाद, भगवान वामन ने अपने बड़े पैर से भूमि को छूकर महाबाली को पाताल लोक में भेज दिया, लेकिन उन्होंने उसके प्रेम और भक्ति को देखकर उन्हें वर्षों में एक बार अपने राज्य को पर्याप्त बरसात करने का आशीर्वाद दिया। इसी दिन को ओणम कहा जाता है और लोग इसे बड़े उल्लास के साथ मनाते हैं

इस प्रकार, ओणम की कथा महाबाली के बड़े प्रेम और भक्ति की दृष्टि से युक्त है, जो इसे एक विशेष और प्रेरणादायक त्यौहार बनाता है