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Santoshi Mata Vrat 2024 | शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा, जाने संतोषी माता व्रत की उद्यापन विधि

संतोषी मां का व्रत एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक व्रत है, जो संतोषी माता की पूजा और आराधना को समर्पित होता है। यह व्रत मुख्य रूप से शुक्रवार को किया जाता है। इस व्रत के दौरान व्रती महिलाएं विशेष रूप से संतोषी माता की कथा सुनती हैं, उनके भजन गाती हैं और प्रसाद के रूप में चना, खिचड़ी, फल आदि का सेवन करती हैं। इस व्रत में व्रती की श्रद्धा और भक्ति को महत्वपूर्ण माना जाता है और उन्हें संतोषी माता की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत सुख, समृद्धि, और प्रसन्नता के लिए माना जाता है और विवाहित महिलाओं के लिए उनके पति और परिवार की खुशी और सुरक्षा की कामना के लिए भी किया जाता है

संतोषी माता का व्रत कौन से महीने से शुरू करना चाहिए? | From which month should the fast of Santoshi Mata be started?

संतोषी माता का व्रत विशेष रूप से शुक्रवार को किया जाता है, और यह व्रत चैत्र मास (चैत) के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू किया जाता है। चैत्र मास के इस दिन विशेष रूप से भक्तों द्वारा संतोषी माता की पूजा और व्रत का आचरण किया जाता है भक्त चैत्र मास के इस दिन से इस व्रत की शुरुआत करते हैं और अगले चैत्र मास के अष्टमी तिथि तक इसे नियमित रूप से आचरण करते हैं

चैत्र मास के अलावा, भक्त अन्य किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से भी संतोषी माता के व्रत की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न स्थानों और परंपराओं के अनुसार, इस व्रत की शुरुआत में थोड़ी विवादितता हो सकती है, लेकिन अधिकांश भक्त चैत्र मास को आदि मासों से पहले में व्रत की शुरुआत करते हैं।

संतोषी माता के कितने व्रत करना चाहिए? | How many fasts should one observe for Santoshi Mata?

संतोषी माता के व्रतों की संख्या को लेकर कोई निश्चित नियम नहीं है, और यह व्यक्ति की श्रद्धा और आत्मिक साधना पर निर्भर करता है। हर व्यक्ति की प्रवृत्ति और आध्यात्मिक साधना अलग होती है, इसलिए उसे यह निर्णय अपनी श्रद्धा और समर्पण के अनुसार लेना चाहिए

विशेष रूप से शुक्रवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को संतोषी माता का व्रत किया जाता है, लेकिन इसके अलावा भी कई अन्य अवसर हो सकते हैं जब व्यक्ति इस व्रत को कर सकता है। यह व्यक्ति के भक्ति और आत्मिक भाव की दृष्टि से निर्भर करता है कि उसे संतोषी माता के व्रत कितने बार करने का विचार करना चाहिए

संतोषी माता का व्रत कथा | Santoshi Mata Vrat Katha

कहानी एक समय की है, जब एक नगर नामक गाँव में एक साधू बाबा आश्रम में विराजमान थे। उनके आश्रम में एक साध्वी भक्तिभाव से सेवा करती थीं। उन्होंने अनेक वर्षों तक भगवान की तपस्या की और उन्हें प्राप्त हुए वरदान में वह बोलीं, "जो भी मेरी पूजा-अर्चना विशेष भक्ति भाव से करेगा, उसे मैं सदैव कुश रखूंगी और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करूंगी।"

गाँव में एक निर्धन और श्रद्धालु गृहिणी राधा नामक महिला थीं, जो निरंतर संतोषी माता की पूजा करती थीं। एक दिन, उसके घर आने वाले महंगाई के कारण उसका पति अपनी बच्चों को पूरे नहीं कर पा रहा था। उसने अपने पति को बताया और उन्होंने एक मानव सेवा शुरू की। संतोषी माता की आराधना और सेवा में रत रहते हुए उसने अपनी सभी समस्याएं दूर कीं और उसका घर धन से समृद्धि भरा हो गया। इस कथा से स्पष्ट होता है कि संतोषी माता का व्रत भक्ति और श्रद्धा से करने से भक्तों को संतोष, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है

संतोषी माता व्रत नियम | Santoshi Mata fasting rules

(1) पहले और पिछले शुक्रवार को ही इस व्रत का पालन किया जाता है।

(2) इस व्रत में जीवित धार्मिक पति, पत्नी और परिवार के सभी सदस्य शामिल हो सकते हैं।

(3) इस व्रत में संतोषी माता की पूजा और आराधना के लिए खिचड़ी, चना, दूध, फल आदि की प्रार्थना की जाती है।

(4) इस व्रत में जीवित धार्मिक पति, पत्नी और परिवार के सभी सदस्य शामिल हो सकते हैं।

(5) संतोषी माता की कहानी सुनना और उनका भजन गाना इस व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।

(6) इस व्रत में किसी भी प्रकार की शारीरिक और मानसिक कठिनाई या उदासीनता नहीं होनी चाहिए।

(7) व्रत के दौरान किसी भी प्रकार की झूठी बात, झगड़ा, बदला-बदली आदि से बचना चाहिए।

(8) व्रत के दौरान भगवान संतोषी माता की प्रतिमा या तस्वीर के सामने प्रार्थना और ध्यान करना चाहिए।

(9) इस व्रत में व्रती को संतोषी माता का भक्ति और श्रद्धालु बनने का प्रयास करना चाहिए। इस व्रत को पूर्ण करने के बाद, अन्न, वस्त्र, धन आदि की दान करना चाहिए।

संतोषी माता के व्रत की उद्यापन विधि: | Udyapan method of fasting of Santoshi Mata:

स्थान चयन: व्रत की उद्यापन विधि में सबसे पहले एक शुभ स्थान का चयन करें जहां आप संतोषी माता की पूजा करेंगे। यह स्थान पवित्र, शुद्ध, और शांति भरा होना चाहिए।

पूजा सामग्री तैयारी: आपको संतोषी माता की मूर्ति, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, और आरती के सामग्री को तैयार करना होगा।

व्रत की शुरुआत: व्रत की उद्यापन विधि को शुक्रवार को आयोजित करें। व्रती व्यक्ति को स्नान करके शुभ वस्त्र धारण करना चाहिए।

पूजा आरंभ: मूर्ति को सजाकर स्थापित करें और पूजा की शुरुआत करें। धूप, दीप, और पुष्पों का उपयोग करें।

कथा-पाठ: संतोषी माता की कथा का पाठ करें और माता की कृपा के लिए प्रार्थना करें।

नैवेद्य: माता को नैवेद्य के रूप में मिठाई, फल, और प्रसाद अर्पित करें।

आरती: संतोषी माता की आरती गाएं और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।

प्रसाद बाँटना: पूजा के बाद प्रसाद को भक्तों के बीच बाँटें।

व्रत का समापन: व्रत का समापन करने पर भक्ति भाव से माता की आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें और व्रत का समापन करें।

इस प्रकार, संतोषी माता के व्रत की उद्यापन विधि को आचरण करते हुए भक्त अपने जीवन को संतोष, सुख, और समृद्धि से भर सकता है।