आज हम पोंगल के बारे में जानेंगे कि पोंगल क्या है पोंगल दक्षिण भारत में मनाए जाने वाला एक प्रमुख पर्व है पोंगल का वास्तविक अर्थ उबालना होता है पारंपरिक रूप से यह त्यौहार संपन्नता का प्रतीक है पोंगल के इस त्यौहार पर चावल और गुड़ को उबालकर सूर्य देवता को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को ही पोंगल कहते हैं यह पर्व दक्षिण भारत में प्रतिवर्ष मनाया जाता है यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है वैसे इस त्यौहार को लोग नए साल के रूप में भी मानते हैं और यह पर्व तमिलनाडु का एक प्रमुख त्यौहार है
पोंगल फसल के मौसम का एक खास पर्व है इस मौसम में धान की फसल काटने के बाद लोग अपनी खुशी को व्यक्त करने के लिए ही पोंगल का पर्व मनाते हैं इसका एक खास महत्व यह भी है कि इस दिन लोग सुख समृद्धि लाने के लिए वर्षा और धूप सूर्य देव और इंद्रदेव सहित पशुओं की भी पूजा की जाती है इसके अलावा यह पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है और इन चार दिनों में प्रत्येक दिन का अपना खास महत्व होता है
तारीख | 15 Jan, 2024 – Thu, 18 Jan, 2024 | |
---|---|---|
दिन | सोमवार | Monday |
पोंगल दक्षिण भारत के प्रमुख राज्यों केरल तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश में मनाए जाने वाला हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है जिस प्रकार से उत्तर भारत में भगवान सूर्य के उत्तरायण होने पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है उसी प्रकार दक्षिण में पोंगल का त्यौहार मनाया जाता है मकर संक्रांति और लोहड़ी की तरह यह पर्व भी मुख्य रूप से किसान का प्रमुख पर्व है इस त्यौहार का इतिहास हजारों साल पुराना है और इस पर्व को मनाने का मुख्य कारण क्या है आईए जानते हैं इस पर्व को मनाने का मुख्य कारण आस्था और संपन्नता से जुड़ा है जिसमें समृद्धि लाने के लिए वर्षा और धूप की आराधना की जाती है भारत के अलावा इस इस पर्व को श्रीलंका मॉरीशसअमेरिका कनाडाऔर सिंगापुर में भी इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है इस पर्व को मनाने का मुख्य कारण अच्छी फसलका होना ही है
पोंगल तमिल नाडु राज्य का एक प्रमुख त्यौहार है जिसे लोग नए साल के रूप में भी मानते हैं पोंगल तमिलनाडु में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है इस पर्व में अच्छी फसल की कटाई से लेकर आने वाली नई फसल की बुवाई तक कासंबंध जुड़ा है तमिलनाडु में इस पर्व कोअन्य राज्यों से ज्यादामनाया जाता हैवैसे तोहर राज्य के अलग-अलगत्योहार होते हैंकिंतु पोंगल का पर्व तमिलनाडु में बड़े हीधूमधाम से मनाया जाता हैयह पर्व प्रतिवर्ष14जनवरी से लेकर 17 जनवरी तकचलता है
पोंगल का पर्व मुख्यतः तमिलनाडु में मनाया जाता है और यह पर्व पूर्ण रूप से फसलों का पर्व है पोंगल शब्द तमिल साहित्य से आया है जिसका अर्थ होता है उबालना इस पर्व पर भगवान सूर्य देव और माता धरती व जानवरों की पूजा की जाती है क्योंकि यह पर्व फसलों का पर्व है इसी कारण इस पर्व को फसलों का प्रतीक माना जाता हैऔर यह पर्व संपन्नता का प्रतीक है
पोंगल कोलम" एक पारंपरिक तमिल नववर्ष के त्योहार "पोंगल" के दौरान बनाए जाने वाले रंगीन चित्रों को कहते हैं। यह एक प्रकार की रंगों से सजीव पितारा होता है जो परंपरागत रूप से तैयार किया जाता है और घर के द्वार पर बनाया जाता है। "कोलम" शब्द का अर्थ होता है एक प्रकार की रेखाचित्र या चित्रलेख। यह एक सांस्कृतिक परंपरा है जो लोगों को साझा करने, समृद्धि और खुशी की भावना को दर्शाने का एक बहुत रूपी तरीका है
"मट्टू पोंगल कोलम" एक प्रकार का पारंपरिक तमिल नववर्ष का त्योहार "पोंगल" के दौरान बनाए जाने वाले कोलम हैं, जो मट्टी (मट्टी) का उपयोग करके बनाए जाते हैं। यह कोलम रंगीन होते हैं और इसमें विभिन्न रंगों का उपयोग किया जाता है ताकि यह दृष्टिकोण और खूबसूरती से भरा हो सके। इस परंपरा का उद्दीपन भारतीय सांस्कृतिक विरासत से होता है, जिसमें लोग अपने घर के बाहर रंगीन चित्र बनाकर नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं और घर को सजाते हैं
पोंगल तैयार करने के लिए सबसे पहले, दो बड़े चम्मच नारियल या तिल के तेल में एक कप मूंग दाल और दो कप चावल को थोड़ा भूरा होने तक तलें। इसके बाद, मिश्रण को ठंडा होने दें और फिर इसे प्रेशर कुकर में डालें। मिश्रण में पानी की एक समान मात्रा डालें और गैस को चालू करें। दो सीटी तक प्रतीक्षा करें और फिर आंच बंद कर दें। 1.5 कप गुड़ पाउडर डालें और इसे तब तक उबालें जब तक यह घुल न जाए और सभी सामग्री अच्छी तरह से मिलाएं। 1/2 चम्मच इलायची पाउडर और 1/2 कप कटे हुए सूखे मेवे डालें। लीजिए, आपका मीठा पोंगल तैयार है
(1)पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने अपने बैल वसब को स्वर्ग से पृथ्वी पर जाकर मनुष्यों को एक संदेश देने को कहा कि उन्हें हर दिन तेल से स्नान करना चाहिए और महीने में एक दिन खाना खाना चाहिए किंतु बसव अपने पृथ्वी लोक में जाकर इसकउल्टी ही सलाह मनुष्यों को दे दी उन्होंने मनुष्यों से कहा कि उन्हें एक दिन तेल से स्नान करना चाहिए और हर दिन खाना खाना चाहिए इस गलती से भगवान शिव बहुत ही क्रोधित हुए और उन्होंने अपने बैल बसव को श्राप दे दिया और बसव से कहा कि वह स्थाई रूप से पृथ्वी पर रहेंगेऔर स्वर्ग लोक से निकाल दिए गए और उन्हें अधिक भोजन के उत्पादन में मनुष्यों की मदद करने के लिए हल जोतना को कह इस तरह यह दिन मवेशियों के साथ जुड़ा है
(2)इस पर्व से जुड़ी दूसरी पौराणिक कथा जो भगवान कृष्ण और देवराज इंद्र से जुड़ी है इस पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण जब बचपन में थे तब उन्होंने भगवान इंद्र को सबक सिखाने का फैसला लिया जो कि देवताओं के राजा बनने के बाद अभिमानी बन गए भगवान कृष्ण ने अपने गांव के ग्वालो को इंद्र की पूजा करने से रोकने को कहा जिससे भगवान इंद्र बहुत नाराज हो गए और उन्होंने बदला लेने के लिए बादल को तूफान लाने और तीन दिन तक बारिश लाने के लिए कहा जिससे पूरा द्वारका तहस-नहस हो गया तब सब की रक्षा करने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी सी उंगली पर उठा लिया तब देवराज इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान कृष्ण की शक्ति को समझा फिर भगवान श्री कृष्ण ने विश्वकर्मा जी से द्वारिका का पुनर्निर्माण करने को कहाऔर द्वारका वालों सेअपनी गायों के साथ फिर से फसली उगने को कहा इस तरह पोंगल त्योहार को मनाने के पीछे और भी कई कहानी जुड़ी हुई है