Nirjala Ekadashi vrat or puja vidhi

Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी व्रत कब है? जानें पूजा विधि और नियम

Table of index

  • निर्जला एकादशी व्रत क्या है
  • निर्जला एकादशी का महत्व
  • निर्जला एकादशी व्रत कब है
  • निर्जला एकादशी के नियम
  • निर्जला एकादशी पर किन-किन वस्तुओं का दान करना चाहिए
  • निर्जला एकादशी पूजा विधि
  • FAQs :-
  • निर्जला एकादशी के व्रत को त्यागने के परिणाम क्या होते हैं?
  • निर्जला एकादशी क्यों मनाई जाती है?
  • निर्जला एकादशी का व्रत कैसे किया जाता है?
  • निर्जला एकादशी के क्या लाभ होते हैं?

निर्जला एकादशी क्या है | Nirjala Ekadashi kiya hai

निर्जला एकादशी का मतलब होता है बिना जल ग्रहण किया एकादशी व्रत को करना इस व्रत के दिन सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक जल और अन्य कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत करने वाला कोई भी व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है और उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है इसलिए इस एकादशी के व्रत को समझना और करना अत्यंत आवश्यक है इस व्रत को सच्चे हृदय से करने से हम अपने द्वारा जाने अनजाने में किए गए पापा से भी मुक्ति पा सकते हैं

निर्जला एकादशी का महत्व | Nirjala Ekadashi ka Mahatav

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है वैसे तो प्रत्येक एकादशी का अपना महत्व होता है किंतु साल में 24 एकादशी पढ़ती हैं जिसमें निर्जला एकादशी अपना अलग स्थान रखती है इस व्रत को कलयुग में कामधेनु के बराबर बताया गया है इसके अतिरिक्त सामान्य व्रत में निर्जला एकादशी को सबसे श्रेष्ठ बताया गया है जिस प्रकार नदियों में गंगा प्रकाशित तत्वों में सूर्य देवताओं में भगवान विष्णु की प्रधानता है उसी प्रकार सभी व्रत में निर्जला एकादशी की प्रधानता है ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है।

निर्जला एकादशी व्रत कब है | Nirjala Ekadashi Kab Hai 2024

तारीख 18 जून 2024 | 18 June 2024
तिथियां मंगलवार | Tuesday
एकादशी तिथि प्रारंभ 17 जून 2024 को दोपहर 01:07 बजे
एकादशी तिथि समाप्त 18 जून 2024 को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर

निर्जला एकादशी के नियम | Nirjala Ekadashi vrat ke Niyam

जो लोग पूरे साल एक भी एकादशी का व्रत नहीं कर पाते उन्हें निर्जला एकादशी व्रत अवश्य करना चाहिए इस व्रत को करने से 24 एकादशी के व्रत का पुण्य फल प्राप्त होता है इस व्रत के कुछ नियम होते हैं जैसे

1: इस दिन आपको स्वच्छ रहना चाहिए और स्वच्छ स्वच्छ पहनना चाहिए।

2: इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए।

3: इस दिन पीले वस्त्र पहने चाहिए

4: निर्जला एकादशी के दिन जल ग्रहण नहीं करना चाहिए क्योंकि इस व्रत में जल पीना वर्जित माना जाता है।

5: पूजा समाप्ति के बाद ही जल ग्रहण करें।

6: इस दिन किसी से भी वाद विवाद नहीं करना चाहिए।

7: इस व्रत को सच्चे हृदय से करना चाहिए।

8: इस दिन चावल खाना या बनाना वर्जित माना गया है।

9: इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अवश्य अर्पित करनी चाहिए।

10: इस दिन मिट्टी के बर्तन में शरबत बनाकर दान अवश्य करें।

11: और इस व्रत में दान दक्षिणा का विशेष ध्यान रखें।

निर्जला एकादशी पर किन-किन वस्तुओं का दान करना चाहिए

निर्जला एकादशी का यह व्रत जल के महत्व को दर्शाने वाला बताया गया है यह व्रत ज्येष्ठ मास में पढ़ने के कारण हमें ऐसी वस्तुओं का दान करना चाहिए जिसका संबंध शीतलता से हो ऐसा करना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है मान्यताओं के अनुसार इस महीने में गर्मी तेज पड़ती है इसलिए व्रत में शीतल देने वाली वस्तुओं का ही दान करें जैसे

1: इस व्रत के दिन अपनी छत पर पक्षियों के लिए जल अवश्य रखें।

2: इस दिन शरबत का दान करें।

3: जरूरतमंदों को जल अवश्य पिलाएं।

4: इस दिन अन्न का दान करना चाहिए

5: इस दिन शीतल वस्त्रो का दान करना चाहिए।

6: और इस व्रत में चने और गुड़ का दान अवश्य करना चाहिए ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

निर्जला एकादशी पूजा विधि | Nirjala Ekadashi ki puja vidhi

एकादशी के दिन जल्दी उठकर नित्य कार्य से निपट कर स्नान करने के बाद पीले वस्त्र धारण करें धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के व्रत में स्त्रियों को बाल धोकर नहीं नहाना चाहिए वही इस दिन साबुन शैंपू का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इस व्रत में ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता

इसके बाद घर के पूजा स्थल की साफ सफाई करें और पूर्व दिशा की तरफ एक लकड़ी की चौकी रखें इस पर एक पीला कपड़ा बिछाए तत्पश्चात चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें इसके बाद विष्णु भगवान को चंदन का तिलक लगाकर दिल फूल माला फल नावेद आदि समर्पित करें और इस बात का ध्यान रखें की विष्णु जी की पूजा में तुलसी अवश्य चढ़ाएं और भूलकर भी चावल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जब यह सारी प्रक्रिया पूर्ण हो जाए तब इस व्रत की कथा को अवश्य पढ़े या सुने

इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम विष्णु चालीसा विष्णु मंत्र तुलसी मंत्र और विष्णु स्तुति का पाठ करने से जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और तुलसी की पूजा अवश्य करें और इस व्रत में जल देने से बचे लेकिन दीपक अवश्य प्रज्वलित करें

FAQs :-

निर्जला एकादशी के व्रत को त्यागने के परिणाम क्या होते हैं?

निर्जला एकादशी के व्रत को त्यागने से व्रती का आत्मा में शुद्धि और साक्षात्कार होता है। यह व्रत उनके आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है और उन्हें अपने आदर्शों के प्रति प्रतिबद्ध बनाता है।

निर्जला एकादशी क्यों मनाई जाती है?

निर्जला एकादशी का मनाना इसके महत्वपूर्ण तात्त्विक और आध्यात्मिक मायने के कारण होता है। इस दिन व्रती भगवान विष्णु की पूजा करके अपने शरीर और मन को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं और अन्न-पानी की परिग्रहण की परंपरा को त्यागकर आत्मा के साथ अध्यात्मिक जुड़ाव का अनुभव करते हैं।

निर्जला एकादशी का व्रत कैसे किया जाता है?

निर्जला एकादशी के व्रत के दिन व्रती को पानी और अन्न की अनुमति नहीं होती। वे सिर्फ फल, सब्जी, दूध और दही का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, व्रती को विशेष भक्ति और ध्यान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

निर्जला एकादशी के क्या लाभ होते हैं?

निर्जला एकादशी के व्रत से शरीर में आत्मिक और शारीरिक शुद्धि होती है। यह व्रत व्रती को स्वास्थ्यमंद रखने में मदद करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।