निर्जला एकादशी का मतलब होता है बिना जल ग्रहण किया एकादशी व्रत को करना इस व्रत के दिन सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक जल और अन्य कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत करने वाला कोई भी व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है और उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है इसलिए इस एकादशी के व्रत को समझना और करना अत्यंत आवश्यक है इस व्रत को सच्चे हृदय से करने से हम अपने द्वारा जाने अनजाने में किए गए पापा से भी मुक्ति पा सकते हैं
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है वैसे तो प्रत्येक एकादशी का अपना महत्व होता है किंतु साल में 24 एकादशी पढ़ती हैं जिसमें निर्जला एकादशी अपना अलग स्थान रखती है इस व्रत को कलयुग में कामधेनु के बराबर बताया गया है इसके अतिरिक्त सामान्य व्रत में निर्जला एकादशी को सबसे श्रेष्ठ बताया गया है जिस प्रकार नदियों में गंगा प्रकाशित तत्वों में सूर्य देवताओं में भगवान विष्णु की प्रधानता है उसी प्रकार सभी व्रत में निर्जला एकादशी की प्रधानता है ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है।
तारीख | 18 जून 2024 | 18 June 2024 |
---|---|
तिथियां | मंगलवार | Tuesday |
एकादशी तिथि प्रारंभ | 17 जून 2024 को दोपहर 01:07 बजे |
एकादशी तिथि समाप्त | 18 जून 2024 को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर |
जो लोग पूरे साल एक भी एकादशी का व्रत नहीं कर पाते उन्हें निर्जला एकादशी व्रत अवश्य करना चाहिए इस व्रत को करने से 24 एकादशी के व्रत का पुण्य फल प्राप्त होता है इस व्रत के कुछ नियम होते हैं जैसे
1: इस दिन आपको स्वच्छ रहना चाहिए और स्वच्छ स्वच्छ पहनना चाहिए।
2: इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए।
3: इस दिन पीले वस्त्र पहने चाहिए
4: निर्जला एकादशी के दिन जल ग्रहण नहीं करना चाहिए क्योंकि इस व्रत में जल पीना वर्जित माना जाता है।
5: पूजा समाप्ति के बाद ही जल ग्रहण करें।
6: इस दिन किसी से भी वाद विवाद नहीं करना चाहिए।
7: इस व्रत को सच्चे हृदय से करना चाहिए।
8: इस दिन चावल खाना या बनाना वर्जित माना गया है।
9: इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अवश्य अर्पित करनी चाहिए।
10: इस दिन मिट्टी के बर्तन में शरबत बनाकर दान अवश्य करें।
11: और इस व्रत में दान दक्षिणा का विशेष ध्यान रखें।
निर्जला एकादशी का यह व्रत जल के महत्व को दर्शाने वाला बताया गया है यह व्रत ज्येष्ठ मास में पढ़ने के कारण हमें ऐसी वस्तुओं का दान करना चाहिए जिसका संबंध शीतलता से हो ऐसा करना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है मान्यताओं के अनुसार इस महीने में गर्मी तेज पड़ती है इसलिए व्रत में शीतल देने वाली वस्तुओं का ही दान करें जैसे
1: इस व्रत के दिन अपनी छत पर पक्षियों के लिए जल अवश्य रखें।
2: इस दिन शरबत का दान करें।
3: जरूरतमंदों को जल अवश्य पिलाएं।
4: इस दिन अन्न का दान करना चाहिए
5: इस दिन शीतल वस्त्रो का दान करना चाहिए।
6: और इस व्रत में चने और गुड़ का दान अवश्य करना चाहिए ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
एकादशी के दिन जल्दी उठकर नित्य कार्य से निपट कर स्नान करने के बाद पीले वस्त्र धारण करें धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के व्रत में स्त्रियों को बाल धोकर नहीं नहाना चाहिए वही इस दिन साबुन शैंपू का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इस व्रत में ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता
इसके बाद घर के पूजा स्थल की साफ सफाई करें और पूर्व दिशा की तरफ एक लकड़ी की चौकी रखें इस पर एक पीला कपड़ा बिछाए तत्पश्चात चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें इसके बाद विष्णु भगवान को चंदन का तिलक लगाकर दिल फूल माला फल नावेद आदि समर्पित करें और इस बात का ध्यान रखें की विष्णु जी की पूजा में तुलसी अवश्य चढ़ाएं और भूलकर भी चावल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जब यह सारी प्रक्रिया पूर्ण हो जाए तब इस व्रत की कथा को अवश्य पढ़े या सुने
इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम विष्णु चालीसा विष्णु मंत्र तुलसी मंत्र और विष्णु स्तुति का पाठ करने से जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और तुलसी की पूजा अवश्य करें और इस व्रत में जल देने से बचे लेकिन दीपक अवश्य प्रज्वलित करें
निर्जला एकादशी के व्रत को त्यागने से व्रती का आत्मा में शुद्धि और साक्षात्कार होता है। यह व्रत उनके आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है और उन्हें अपने आदर्शों के प्रति प्रतिबद्ध बनाता है।
निर्जला एकादशी का मनाना इसके महत्वपूर्ण तात्त्विक और आध्यात्मिक मायने के कारण होता है। इस दिन व्रती भगवान विष्णु की पूजा करके अपने शरीर और मन को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं और अन्न-पानी की परिग्रहण की परंपरा को त्यागकर आत्मा के साथ अध्यात्मिक जुड़ाव का अनुभव करते हैं।
निर्जला एकादशी के व्रत के दिन व्रती को पानी और अन्न की अनुमति नहीं होती। वे सिर्फ फल, सब्जी, दूध और दही का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, व्रती को विशेष भक्ति और ध्यान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
निर्जला एकादशी के व्रत से शरीर में आत्मिक और शारीरिक शुद्धि होती है। यह व्रत व्रती को स्वास्थ्यमंद रखने में मदद करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।