आज हम सबसे पहले महालक्ष्मी वैभव लक्ष्मी संतोषी माता लक्ष्मी इत्यादि व्रतों के बारे में बात करेंगे यह व्रत हम बारहमाह माह में कभी भी शुरू कर सकते हैं बारहमाह माह तक कर सकते हैं इसलिए इस व्रत को बारहमाह महा महालक्ष्मी व्रत कहा जाता है क्योंकि यह व्रत और व्रतों की तरह किसी त्योहार या किसी तिथि के अनुसार नहीं करते इन व्रतों को हम एक अच्छा दिन देखकर कभी भी शुरू कर सकते हैं.और किसी भी माह में शुरू कर सकते हैं.
वैसे तो हफ्ते में 7 दिनों तक हम पूजा करते हैं अलग-अलग देवी-देवताओं को पूछते हैं किंतु इन व्रतों के लिए सिर्फ शुक्रवार का दिन ही शुभ होता है और इस व्रत में आप कैसे और कब नहीं कर सकते इस बात की भी जानकारी हम आपको देंगे. और इन व्रतों के कुछ नियम होते हैं जैसे.
व्रतों के नियम जैसे व्रत कितने करने चाहिए कब से शुरू करने चाहिए कौन-कौन से लोग इस व्रत को कर सकते हैं व्रत में आपको क्या क्या खाना चाहिए और दोस्तों हम आपको एक महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहते हैं जो कि अत्यावश्यक है और वह है पूजा का सही समय दोस्तों इन व्रतों में पूजा का सही समय सुनिश्चित होता है इस बात के बारे में ध्यान रखना अति आवश्यक है और पूजा किस प्रकार करनी चाहिए पूजा में किस-किस सामान की आवश्यकता होती है और कथा आपको कौन सी पढ़नी चाहिए क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए क्या परिवार के अन्य सदस्यों के लिए कुछ नियम है क्या पहनना चाहिए क्या अपने घर से बाहर जा कर यह व्रत करने चाहिए अगर आप पीरियड से हैं तो व्रत करना चाहिए या नहीं करना चाहिए इन सब बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है और सुल्तान वगैरह जैसी स्थिति में क्या व्रत रखने चाहिए या नहीं या इस व्रत को छोड़कर दूसरे व्रत से संख्या पूरी करनी चाहिए इन सब बातों की जानकारी आज हम आपको देना चाहेंगे
सबसे पहले दोस्तों हम जानेंगे वैभव लक्ष्मी व्रत का महत्व क्या है हम व्रत क्यों करते हैं माता लक्ष्मी के 8 स्वरूप होते हैं जिसमें धन लक्ष्मी माता की आराधना वैभव लक्ष्मी व्रत में करते हैं इस वैभव लक्ष्मी व्रत की आराधना धन के लिए जल्द शादी के लिए नौकरी के लिए सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग की लंबी आयु बच्चों के लिए या जिनके बच्चे नहीं हैं उनके लिए व्यापार में उन्नति के लिए वह स्त्रियां भी इस वैभव लक्ष्मी व्रत को करते हैं कहने का सही मतलब यह है कि हर स्त्री के मन में कोई ना कोई इच्छा जरूर होती है जिसकी इच्छा पूरी करने की कामना के लिए भी यह मां वैभव लक्ष्मी व्रत किया जाता है.
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मां वैभव लक्ष्मी माता का व्रत शुक्रवार वाले दिन ही किया जाता है किंतु इस व्रत को शुरू करने के सही समय का बहुत महत्व होता है. मां वैभव लक्ष्मी के व्रत को शुरू करने का सही और शुभ समय दोस्तों मां वैभव लक्ष्मी व्रत को शुरू करने का सही समय होता है किसी भी मास की शुक्ल पक्ष की जो सप्ताह का पहला शुक्रवार पड़े उससे हम इस व्रत को शुरू कर सकते हैं कहने का सही अर्थ है कि शुक्लपक्ष में जो पहला शुक्रवार आए उससे हम इस व्रत को शुरू कर सकते हैं जब दोस्तों गुरु शुक्र अस्त होते हैं तो ऐसे समय का हमें ध्यान रखना चाहिए ऐसे समय में हमें व्रत नहीं रखना चाहिए.
वैसे तो इस व्रत को सौभाग्यवती स्त्रियां ही करती हैं लेकिन इस व्रत को करने की मना ही तो किसी की भी नहीं होती इस व्रत को कोई भी कर सकता है पुरुष भी कर सकते हैं लड़कियां भी कर सकती हैं सभी लोग अपनी अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए यह व्रत कर सकते हैं
दोस्तों इस व्रत को शुरू करने का सबसे शुभ समय माघ का महीना होता है माघ का महीना दोस्तों किसी भी व्रत को शुरू करने का सही महीना होता है इस महीने में हम किसी भी व्रत को शुरू कर सकते हैं यह महीना किसी भी व्रत को शुरू करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है दोस्तों इस व्रत को पीरियड टाइम मैं न करें और यदि आप घर से बाहर है तो भी यह व्रत ना करें यह व्रत अपने घर मैं ही किया जाता है और लगातार इस व्रत को ना करें छोड़ छोड़कर करें.
दोस्तों जैसे कि हमने आपको बताया कि इस व्रत को धन लक्ष्मी की पूजा की जाती है तो इस व्रत को शुरू करने से पहले आपको यह जानना अति आवश्यक है कि इस व्रत में किन किन वस्तुओं की आवश्यकता होती है और हमें कितने व्रतों का और कब संकल्प लेना चाहिए सबसे पहले शुक्रवार को आप व्रत शुरू करते हैं उस दिन ही हमें कितने व्रत करने हैं इसका संकल्प लेना चाहिए वैसे तो बहुत से लोग अपने श्रद्धा के अनुसार व्रत उठाते हैं लेकिन आप 21 शुक्रवार या 11 शुक्रवार ही बोले बहुत सी स्त्रियां 51 करती हैं किंतु दोस्तों किसी भी व्रत को ज्यादा लंबा खींचना सही नहीं होता इसलिए हमें जितनी जल्दी हो व्रतों को पूरा करके उद्यापन कर देना चाहिए
सबसे पहले दोस्तों आप सब परिवार वाले व्रत बाले दिन जल्दी उठकर साफ धुले कपड़े पहने फिर पूजा कर ले इस व्रत में दोस्तों मैन पूजा शाम की होती है इस व्रत में लाल फूल होना अति आवश्यक है और लक्ष्मी जी की प्रतिमा का होना और सबसे जरूरी श्री यंत्र का होना बहुत जरूरी है. दोस्तों श्री यंत्र के बिना यह पूजा अधूरी मानी जाती है कहते हैं माता वैभव लक्ष्मी को श्रीयंत्र अति प्रिय है इसलिए आप वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजा में श्री यंत्र अवश्य रखें अन्यथा आपकी पूजा अधूरी मानी जाएगी इसलिए आपको माता लक्ष्मी की प्रतिमा के साथ श्री यंत्र अवश्य रखना चाहिए.
वैभव लक्ष्मी व्रत में व्रत करने वाले व्यक्ति कुछ विशेष प्रकार के आहार का सेवन करते हैं जो माँ लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। यहां कुछ आम खाद्य पदार्थों की सूची है जो वैभव लक्ष्मी व्रत में खाए जा सकते हैं:
1 - सात्विक आहार: व्रत के दौरान सात्विक आहार प्राथमिकता दी जाती है, जिसमें शाकाहारी और फलाहारी आहार शामिल है।
2 - फल: व्रत में फलों का सेवन करना उचित होता है। लक्ष्मी माता को प्रिय फलों में सेब, केला, अंजीर, अमरूद, और संतरा शामिल हैं।
3 - नविधान्य: नविधान्य जैसे कि कटहल, सिंधी चावल, साबूदाना, और सिंघाड़े का आटा, इस व्रत के दौरान उपयुक्त हो सकते हैं।
4 - दूध और दैहिक उत्पाद: दूध, दही, और पनीर जैसे दैहिक उत्पाद भी खासकर व्रत के दौरान सेवन किए जा सकते हैं।
5 - मिश्रित धान्य:धान्य से बने अन्न के विभिन्न आटे जैसे कि सोया आटा, बाजरा आटा, और जौ का आटा भी सेवन किया जा सकता है।
वैभव लक्ष्मी व्रत में मंत्रों का महत्वपूर्ण स्थान है, जो माँ लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए उच्चतम भक्ति और श्रद्धा के साथ जप किए जाते हैं। यहां कुछ वैभव लक्ष्मी व्रत के मंत्र हैं:
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्मयै नमः।
यह मंत्र लक्ष्मी माता की पूजा के समय अथवा व्रत के दौरान जप किया जा सकता है।
ॐ ह्रीं श्रीं वैभव लक्ष्म्यै नमः। या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।
यह कवच वैभव लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त करने के लिए सच्ची भक्ति के साथ पाठ किया जा सकता है।
दोस्तों सर्वप्रथम एक चौकी ले उस पर लाल कपड़ा बिछा दें उसके ऊपर मां वैभव लक्ष्मी की प्रतिमा रखें एक दीपक रखें लाल गुलाब रखे उसी चौकी पर एक साइड थोड़े चावल रखें उस चावल के ऊपर एक तांबे का लोटा रखें उस लोटे के ऊपर एक कटोरी मैं सोने या चांदी की कोई धातु रखें उसमें फूल रखें पूजा करने से पहले एक थाली भी सजाएं उसमें फूल धूप प्रसाद मां वैभव लक्ष्मी की किताब चावल रोली इत्यादि वस्तुएं रखें फिर दोस्तों सबसे पहले मां वैभव लक्ष्मी की प्रतिमा को रोली लगाएं लाल फूल चढ़ाएं क्योंकि लाल फूल माता को अति प्रिय है फिर चावल चढ़ाएं दीपक जला दो धूपबत्ती जलाएं और जो आपने कटोरी में धातु रखें हैं उसको हल्दी रोली से पूजा करें श्री यंत्र की पूजा करें. फिर मन ही मन यह संकल्प लें हमें कितने शुक्रवार यह व्रत करने हैं
और कैसे रखने हैं कहने का मतलब निर्जला रखना है या एक टाइम खाना खाकर रखना है जैसे आपकी श्रद्धा हो वैसे ही मन में संकल्प लें और जो आपकी मनोकामना है जो आप चाहती हैं कि इस व्रत को करने से मेरा यह काम बन जाएगा जिसकी वजह से आप यह व्रत शुरु कर रही हैं वह संकल्प माता वैभव लक्ष्मी के सामने मन ही मन करें इसके बाद आप अपने सभी घर वालों को माता वैभव लक्ष्मी की कथा सुनने के लिए बुलाए इस व्रत में माता लक्ष्मी की कथा कही जाती है जो उसी स्त्री के द्वारा कहीं जाती है जो इस व्रत को शुरू कर रही है आप कथा शुरू करने से पहले घर की सभी स्त्रियों को कथा सुनने के लिए आमंत्रित करें जब घर की सभी स्त्रियां आ जाएं तब आप सबके हाथों में फूल चावल दे फिर कथा शुरू करें.
कथा सभी लोग सुने कथा संपन्न होने के बाद माता वैभव लक्ष्मी को भोग लगाकर अगर आप मंदिर जाना चाहते हैं तो मंदिर चले जाएं इसके बाद घर आकर अपने बुजुर्गों का आशीर्वाद ले भोग की थाली जो आप खाएं तैयार करें उसका भोग मां वैभव लक्ष्मी के सामने अर्पण करें तत्पश्चात सबको प्रसाद दे फिर आप खाना खाएं कहते हैं मां वैभव लक्ष्मी का व्रत जो सच्चे मन से करता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है जो मां वैभव लक्ष्मी की पूजा सच्चे हृदय से करता है माता उनकी जरूर सुनती है माता वैभव लक्ष्मी सच्ची देवी हैं इस व्रत को करने का बड़ा महत्व होता है जय माता लक्ष्मी जय मां वैभव लक्ष्मी.
वैभव लक्ष्मी व्रत कार्तिक महीने से आरंभ किया जाता है और हिन्दू पंचांग के अनुसार शुरू किया जाता है, जो कार्तिक मास के पूर्णिमा को समाप्त होता है। यह व्रत माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है और धन, समृद्धि, वैभव्य की प्राप्ति की कामना के साथ किया जाता है। इस दौरान प्रतिदिन पूजा, आरती और व्रत कथा का पाठ किया जाता है।
1 - आर्थिक समृद्धि : यह व्रत धन और वैभव की प्राप्ति में मदद करता है और आर्थिक समस्याओं का समाधान करने में सहायक होता है।
2 - आशीर्वाद : माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए यह व्रत विशेष रूप से प्रयास करता है, जिससे व्यक्ति को आशीर्वाद मिल सके।
3 - सुख-शांति : यह व्रत न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक और आत्मिक सुख-शांति की प्राप्ति में भी मदद करता है।
4 - बदलते परिस्थितियाँ : व्रत का नियमित अनुसरण करने से व्यक्ति में संयम, सहनशीलता, और सकारात्मक दृष्टिकोण बढ़ता है जिससे वह बदलते हुए परिस्थितियों का समाधान करने में सक्षम होता है।
5 - परिवार में एकता : इस व्रत के द्वारा परिवार के सभी सदस्य एक साथ पूजा-आराधना में भाग लेते हैं, जिससे परिवार की एकता और मेलमिलाप बढ़ता है।
वैभव लक्ष्मी के व्रत किसी व्यक्ति की आवश्यकताओं और आस्था के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। आप मां वैभव लक्ष्मी व्रत 9,11,21 या 51 व्रत करने का संकल्प इच्छा अनुसार कर सकती हैं आवश्यकताओं के आधार पर आपको सही संख्या में व्रत रखने का निर्णय लेना चाहिए।
वैभव लक्ष्मी व्रत का उद्देश्य माता लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करके धन, समृद्धि, वैभव्य और सुख-शांति की प्राप्ति करना होता है। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा और आराधना के माध्यम से व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि में सहायता प्रदान करने का उद्देश्य रखता है। व्रत के दौरान नियमित पूजा, पाठ और आरती के माध्यम से श्रद्धालु व्यक्ति माता लक्ष्मी के आशीर्वाद को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।