सावन मास का आगमन ही नहीं, बल्कि इसमें छुपा हुआ एक अनूठा महत्व है। इसमें हम शिवरात्रि व्रत की बात करेंगे, जो सावन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाई जाती है। यह व्रत महादेव शिव को समर्पित है और इसका महत्वपूर्ण साकार इतिहास है। कहते हैं कि इसी दिन शिव ने अपने अनुयायियों को अमृत पिलाया था।
यह व्रत सावन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है, जब सूर्यास्त के बाद रात्रि प्रारंभ होती है।
तारीख | Date | 02 August 2024 | |||||
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दिन | Day | शुक्रवार | Friday | |||||
सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त | प्रथम प्रहर पूजा समय - 07:11 बजे से 09:49 तक | द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:49 बजे से 12:27 तक, 03 अगस्त | तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:27 बजे से 03:06 तक, 03 अगस्त | चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:06 बजे से 05:44 तक, 03 अगस्त | चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - 02 अगस्त 2024 को 03:26 बजे | चतुर्दशी तिथि समाप्त - 03 अगस्त 2024 को 03:50 बजे |
सावन शिवरात्रि व्रत फागुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है इस दिन शिव पार्वती सहित उनके दोनों पुत्रों की पूजा की जाती है जो इस महाशिवरात्रि के व्रत को पूरी श्रद्धा से करता है भगवान उनकी सभी मनोकामना पूरी करते हैं .
इस व्रत के दिन भक्त उपवास रखते हैं और शिव मंदिरों में भगवान की पूजा करते हैं, यह व्रत महादेव शिव को समर्पित है और इसका महत्वपूर्ण साकार इतिहास है। कहते हैं कि इसी दिन शिव ने अपने अनुयायियों को अमृत पिलाया था, इस व्रत का मुख्य उद्देश्य मानव जीवन में शिवता की भावना को बढ़ावा देना है और भक्त को आत्मा के साक्षात्कार की ओर प्रवृत्ति करने के लिए प्रेरित करना है।
भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में सावन मास का विशेष महत्व है, और इस माह में शिवरात्रि का व्रत रखना एक अत्यंत पुराना और पवित्र परंपरा है। यह व्रत भगवान शिव की पूजा-अर्चना का एक अद्वितीय तरीका है जो भक्तों को शिवता के अनुभव में ले जाता है।
उपवास और पूजा:सावन शिवरात्रि के दिन उपवास रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उपवास में भक्त एक ही व्रत के दौरान सभी अन्न, धन, और विषयों से बाहर रहते हैं और शिव पूजा में लगे रहते हैं। प्रात: स्नान के बाद, शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं और विशेष रूप से दिया जलाएं।
मंत्र और आराधना: व्रत के दिन शिव मंत्रों का जाप करना और ध्यान में रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है। "ॐ नमः शिवाय" और "महामृत्युंजय मंत्र" का पाठ करना व्रती को भगवान के साथ एकाग्रचित्त होने में मदद करता है।
व्रत का खास भोग: शिवरात्रि के दिन व्रती बिल्व पत्र, दूध, धूप, गंध, अक्षता, और फलों को शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। इससे भगवान को प्रसन्नता होती है और भक्त को आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सावन मास की शिवरात्रि व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें भक्त भगवान शिव की पूजा अर्चना के साथ उपवास रखते हैं। इस सावन रात्रि में व्रती विशेष प्रकार के आहार का सेवन करते हैं जो धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं
फल:सावन शिवरात्रि व्रत में फलों का सेवन करना अत्यंत उपयुक्त है। शिव भगवान को खुश करने के लिए बनाए गए फलों का विशेष महत्व है। आम, केला, अंगूर, और सेब व्रत के दिन खाये जा सकते हैं।
दूध और दही:शिव जी को चंदन, गंध, और बिल्व पत्र से प्रसन्न करने के लिए दूध और दही का सेवन करना भी शुभ होता है। यह आपको विशेष आनंद और शांति प्रदान करता है।
बिल्व पत्र:शिवरात्रि के दिन व्रती बिल्व पत्र, दूध, धूप, गंध, अक्षता, और फलों को शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। इससे भगवान को प्रसन्नता होती है और भक्त को आशीर्वाद प्राप्त होता है।
खीर:खीर शिव भगवान की प्रिय भोग मानी जाती है और सावन शिवरात्रि में इसे बनाकर पूजा करना शुभ होता है। खीर से भगवान की कृपा मिलती है और व्रती को सफलता प्राप्त होती है।
एक नगर में एक शिकारी था उनका नाम चित्रभानु था चित्रभानु को साहूकार ने बंदी बना लिया था क्योंकि चित्रभानु साहूकार का कर्जदार था शिकारी उस साहूकार को कर्ज चुकाने में असमर्थ था इसलिए साहूकार ने उस शिकारी को बंधक बनाकर एक शिव मठ में बंदी बनाया था .जिस दिन साहूकार ने उस शिकारी को बंधक बनाया उस दिन शिवरात्रि थी साहूकार ने अपने घर में पूजा का पाठ रखा शिकारी बड़े ध्यान से पूजा में बताई बातों को सुन रहा था पूजा में जो कथा सुनाई गई थी उस कथा को उस साहूकार ने बड़े ही ध्यान से सुना और अगले दिन साहूकार से शिकारी ने उसका कर्ज़ चुकाने को कहा शिकारी ने साहूकार को वचन दिया कि मैं आपका कर्ज चुका दूंगा साहूकार ने शिकारी की बात पर विश्वास करके उसे रिहा कर दिया.शिकारी शिकार करने के लिए एक जंगल में गया शिकारी की तलाश करते करते उसे रात हो गई उसने उसी जंगल में रात गुजारने का फैसला किया शिकारी चलते-चलते एक तालाब के पास पहुंचा उस तालाब के पास एक बेलपत्र का पेड़ था
शिकारी ने उसी पेड़ पर चढ़कर रात बिताने के बारे में सोचा उसको बेलपत्र के पेड़ के नीचे एक शिवलिंग था जो कि पत्तों से ढका था इस बात के बारे में शिकारी को कुछ नहीं पता था आराम करने के लिए शिकारी ने बेलपत्र की कुछ शाखाएं तोड़ी उस वक्त उस पेड़ से कुछ बेलपत्र के पत्ते उस शिवलिंग पर जा गिरे शिकारी भूखा प्यासा उसी स्थान पर बैठा रहा इस प्रकार शिकारी का व्रत हो गया उस समय एक गर्भवती हिरणी उस तालाब पर जल पीने आई शिकारी ने उस हिरनी को जाने दिया किंतु जैसे ही वह वहां से जाने लगी शिकारी ने अपना तीर निकालकर चलाने का जैसे ही प्रयास किया
हिरणी बोली आप मुझे क्यों मारना चाहते हो मैं गर्भवती हूं तुम एक साथ दो जीवो की जान ले लोगे जब मैं अपने बच्चे को जन्म दे दूं उसके बाद में स्वयं आपके पास आ जाऊंगी तब आप मेरा शिकार करना शिकारी ने यह बात सुनकर अपना तीर वापस रख लिया वापस रखते वक्त कुछ बेलपत्र की पत्तियां शिवलिंग पर जा गिरी इस प्रकार शिकारी की प्रथम पहर की पूजा संपन्न हुई अनजाने में ही सही शिकारी की प्रथम पहर की पूजा पूर्ण हुई.उसके बाद वहां से एक और हिरणी वहां से निकली जैसे ही शिकारी ने हिरणी को पास आते देखा उसने शिकार करने के लिए तीर निकाला वैसे ही हिरनी बोली कि मैं थोड़ी देर पहले ही रितु से निकली हू कामत स्त्री हूं मैं अपने पति की तलाश में आई हूं मैं अपने पति से मिलकर आपके पास आ जाऊंगी शिकारी ने उसको भी जाने दिया शिकारी ने जैसे ही अपना तीर बाण से हटा कर वापस रखा तो बेलपत्र की कुछ पत्तियां फिर से शिवलिंग पर जा गिरी इस तरह शिकारी की दूसरे पहर की पूजा भी संपन्न हुई यही सब सोचते सोचते रात्रि का वक्त हो गया उसके बाद तीसरी हिरनी आती दिखाई दी जो कि अपने बच्चों के साथ थी शिकारी ने जैसे ही अपना तीर निकालकर धनुष मैं लगाया वैसे ही हिरणी बोली मैं अपने बच्चों को उनके पिता के पास छोड़ कर आ रही हूं मैं वापस आ जाऊं तो आप मेरा शिकार कर लेना ऐसा करने से उस शिकारी ने मना कर दिया उसने बताया मैं पहले ही दो हिरणी को छोड़ चुका हूं
अब नहीं इस पर हिरनी बोली मैं बचन देती हूं मैं अपने बच्चों को उनके पिता के पास छोड़कर वापस आ जाऊंगी तब आप मेरा शिकार अवश्य कर लेना या सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई दया आने के कारण उस ने उस हिरनी को भी जाने दिया उधर भूखा प्यासा शिकारी अनजाने में बेलपत्र की पत्तियां तोड़कर शिवलिंग पर चढ़ाने लगा सुबह की पहली किरण निकली तो उसे एक हिरण आते दिखाई दिया जैसे ही शिकारी ने अपना तीर बाण पर चढ़ाया वैसे ही का किस्सा हिरण बोला तुमने मेरी तीन बीवियों और बच्चों को मारा है मैं तो यह दुख सहन नहीं कर सकता तो तुम मुझे भी मार दो वह मेरी ही पत्नियां थी किंतु तुमने उनको जीवनदान दिया है तो मुझे भी जाने दो मैं उनसे मिलकर वापस आ जाऊंगा शिकारी ने उसे भी जाने दिया सूर्य पूरी तरह से निकल आया था सुबह पूरी तरह से हो चुकी थी अनजाने में ही सही शिकारी ने शिवरात्रि का व्रत की पूजा प्रक्रिया पूरी हुई भगवान शिव की कृपा से उस शिकारी को उसका फल मिला सभी मृगगड़ शिकारी के सामने आ गए ताकि शिकारी उनका शिकार कर सके भगवान शिव की कृपा से शिकारी का मन बदल गया उसका मन निर्मल हो गया
शिकारी ने समस्त परिवार को जाने दिया शिकारी द्वारा शिवरात्रि की व्रत पूजा संपन्न होने से उस शिकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई.शिकारी की मृत्यु होने के पश्चात यमदूत उसे लेने आए तो शिवगणों ने उन्हें वापस भेज दिया शिवगढ़ शिकारी को लेकर शिवलोक आ गए भगवान शिव की कृपा से ही अपने इस जन्म में के राजा चित्रभानु के पिछले जन्म को याद रख पाए और महाशिवरात्रि के महत्व को जानकर उनका अगले जन्म में भी पालन कर पाए दोस्तों इस तरह से शिवरात्रि की व्रत के महत्व को जानकर पूजा करें जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती है जय भोले की .