हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला भाई दूज का खास पर्व है यह पर्व भाई बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है इस दिन बहनें अपने भाई को उनके माथे पर तिलक करके उनकी लंबी आयु की और उनके जीवन में उन्नति सुख समृद्धि की कामना करती हैं इस पर्व को भद्रा द्वितीय और यम द्वितीया के नाम से भी जानते हैं
Date | तारीख | 03 November 2024 |
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Day | दिन | Sunday | रविवार |
भाई दूज का शुभ मुहूर्त | दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से - 3 बजकर 22 मिनट तक है |
पाँच दिन से चले आ रहे दीपावली के महापर्व का अंतिम दिन यम द्वितीया या भाई दूज के नाम से जाना जाता है यह पर्व भाई के उज्जवल भविष्य औरउसकी लंबी आयु के लिए मनाया जाने वाला एक खास पर्व है इस पर्व को मनाने का मुख्य कारण यह है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए उनके पास गए थे तब यमुना जी ने उनका आदर सत्कार कर उनके माथे पर तिलक करके और उनको भोजन कराया और यह वचन लिया कि
इस दिन वह हर साल अपनी बहन के घर पधारेंगे और तिलक करवाएंगे इसी तरह जो भी बहन अपने भाई को आमंत्रित करके तिलक करके भोजन करावेगी उसके भाई की उम्र लंबी होगी और उसके जीवन में सुख समृद्धि रहेगी यही एक मुख्य कारण है कि इस पर्व को हम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं इस दिन बहन के आदर सत्कार से खुश होकर यम नेअपनी बहन यमुना को यह वरदान दिया था तभी से इस व्रत को मनाने की प्रथा प्रारंभ हो गईऔर प्रत्येक हिंदुस्तानी इस पर्व को मानने लगा इस पर्व को मनाने का मुख्य कारण भाई बहन के अटूट रिश्ते का होना माना जाता है
वैसे तो हम इस पर्व की संपूर्ण जानकारी ऊपर दे चुके हैं किंतु इस पर्व के महत्व को जाना अति आवश्यक है पौराणिक कथा के अनुसार यह पर्व साल में दो बार आता है एक होली के बाद दूसरा दिवाली के बाद इस दिन यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया था कि इस दिन जो भी भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करेंगे उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी और इसी लिए इस पर्व को यमुना नदी में नहाने का विशेष महत्व माना जाता है इस दिन बहन भाइयों की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं ऐसा माना जाता है कि इस दिन यदि भाई बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं तो उनके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती हैऔर भाई बहन के रिश्ते और भी अटूट हो जाते हैं इसीलिए इस पर्व का खास महत्व माना जाता है
भाई दूज के पर्व को ही यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है यम मतलब यमराज द्वितीय का मतलब द्वितीया तिथि इसी को यम द्वितीया के नाम से जानते हैं और ऐसा माना जाता है कि इसी दिन इस पर्व की शुरुआत हुई
इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर उनकी पूजा स्वीकार करेगा और उनके घर भोजन करेगा उनको अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा ऐसे में भाई दूज के दिन यमराज यमदूत और चित्रगुप्त की पूजा की जाती है और इन सभी के नाम से आर्ग और दान अवश्य करना चाहिए ताकि आपको भाई दूज का पुण्य पूर्ण रूप से प्राप्त हो सके
इस पर्व को मनाने का एक मुख्य कारण और भी है और कथा है उस कथा के अनुसार देवराज इंद्र को अभिमान हो गया था देवराज इंद्र का अभिमान चूर करने के लिए के लिए भगवान श्री कृष्णा जो स्वयं लीलाधारी श्री हरि विष्णु के अवतार हैं ने एक लीला रची इस लीला के अनुसार सभी बृज वासी उत्तम पकवान बना रहे थे और भगवान की पूजा की तैयारी में झूठे थे तब श्रीकृष्ण ने बड़े ही भोलेपन से अपनी माता से पूछा मैया यह सब लोग किसकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं तब मैया यशोदा बोली लाला हमें देवराज इंद्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं तो वह बोले मैया हम उनकी पूजा क्यों करते हैं तब मैया बोली देवराज इंद्र वर्षा करते हैं जिससे अन्न की पैदावार होती है इसी वजह से भगवान इंद्र की पूजा की जाती है