Image of Goddess Radha idol decorated on the occasion of Radhastami

Radha Ashtami 2025 | जानें राधा अष्टमी तिथि, मंत्र, पूजा विधि और व्रत रखने की संपूर्ण जानकारी

Table of index

  • राधा अष्टमी व्रत क्या है
  • राधा अष्टमी कब है 2025
  • राधा अष्टमी मंत्र
  • राधा अष्टमी की कहानी
  • राधा अष्टमी पूजा विधि
  • FAQs :-
  • राधा अष्टमी का व्रत कब रखें
  • राधा अष्टमी व्रत कैसे करें
  • राधा रानी का हिंदी में मंत्र क्या है?
  • राधा अष्टमी पर राधारानी को क्या भोग लगाना चाहिए?
  • राधा अष्टमी के दिन क्या करना चाहिए

राधा अष्टमी व्रत क्या है | What is Radha Ashtami fast?

राधा अष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की भक्त राधाजी की अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है यह त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है, जिसे राधाष्टमी कहा जाता है और उन्हें देवी लक्ष्मी का 'अवतार' माना जाता है

राधाष्टमी का आयोजन भक्तिभाव से भरा हुआ होता है, जिसमें राधाजी की पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन, और कथा-वाचन शामिल होता है। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं इस दिन विशेष रूप से मथुरा, वृंदावन, और बरसाना जैसे धार्मिक स्थलों में महोत्सव का आयोजन किया जाता है। भक्तजन राधाष्टमी के दिन व्रत रखकर विशेष प्रासाद बनाते हैं और मंदिरों में भजन-कीर्तन का आनंद लेते हैं

राधा अष्टमी कब है | Radha Ashtami kab hai 2025

राधा अष्टमी 2025 में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाएगी। इस साल राधा अष्टमी का आयोजन विशेष रूप से भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी, यानी 31 अगस्त 2025, रविवार को है। भक्तजन इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय भक्त राधाजी की जयंती को बड़े उत्साह और भक्ति भाव से मनाते हैं

राधा अष्टमी तिथि | Radha Ashtami 2025 date

तारीख | Date 31 अगस्त 2025, रविवार

राधा अष्टमी मंत्र | Radha Ashtami Mantra

श्रीमती राधाजी की कृपा लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जा सकता है:

"ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं वृषभानुजाय विद्महे"

"कृष्णप्रियाय धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात्।"

इस मंत्र का जाप करते समय, श्रद्धा और भक्ति भाव से मंत्र का पाठ करें मंत्र को नियमित रूप से जाप करने से भक्त को आत्मा का शूदिकरण और आनंद प्राप्त होता है

राधा अष्टमी की कहानी | Story of Radha Ashtami

राधा अष्टमी की कहानी हमें भगवान श्रीकृष्ण और उनकी परम प्रेमिका श्रीमती राधाजी के प्रेम और भक्ति की अमृत कहानी सुनाती हैकहते हैं, श्रीकृष्ण के विलासित लीलाओं में, राधा अष्टमी विशेष महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी राधाजी के साथ मधुर लीला में मिलन किया था

कहानी यहां से शुरू होती है कि श्रीकृष्ण ने वृंदावन में अपने गोपिकाओं के साथ रास लीला की, लेकिन उनका प्रेम और राधाजी के साथ आलोकिक प्रेम था। राधा अष्टमी के दिन, श्रीकृष्ण ने राधाजी से मिलकर उनके साथ रास लीला का आनंद लिया। इस दिन, वृंदावन में आत्मा का मिलन हुआ

राधा अष्टमी पूजा विधि? | Radha Ashtami puja vidhi

राधा अष्टमी का पूजन विधि अत्यंत भक्तिभाव से किया जाता है ताकि भक्त इस दिन को आत्मार्पण कर सकें। यहां राधा अष्टमी की पूजन विधि दी जा रही है:

पूजा स्थल की स्थापना:

  • पूजा का आयोजन एक शुभ मुहूर्त में करें
  • पूजा स्थल को पवित्र और सुव्यवस्थित बनाएं
  • राधाजी और श्रीकृष्ण की मूर्तियों को सजाकर स्थापित करें

अभिषेक:

  • श्रीमती राधाजी की मूर्ति का अभिषेक पुष्प, धूप, दीप, गंगाजल, और इलायची विभूति से करें
  • अभिषेक के बाद, उन्हें सुंदर सा पुष्पमाला धारित करें

पूजा-अर्चना और भोग:

  • मन, वचन, और क्रिया से भगवान की पूजा करें
  • विशेष रूप से राधा-कृष्ण आरती का पाठ करें
  • राधाकृष्ण को मिठाई, फल, और पूर्वभोजन से भोग अर्पित करें
  • भोग को भगवान के प्रसाद के रूप में मानें और फिर उसे सभी भक्तों को प्रसाद रूप में बांटें

व्रत और कथा-पाठ,आरती

  • राधा अष्टमी व्रत रखें और भक्ति भाव से कथा-पाठ करें
  • भगवान को समर्पित होकर आरती उतारें
  • मंदिर या पूजा स्थल में प्रदक्षिणा करें, इससे आत्मा का नैर्मल्य बनता है

FAQs :-

राधा अष्टमी का व्रत कब रखें

राधा अष्टमी का व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत का आयोजन विशेष रूप से रात्रि के समय किया जाता है, जिसमें भक्त अगले दिन सूर्योदय तक उपवास करते हैं और राधा-कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं राधा अष्टमी के व्रत की तिथि प्रतिवर्ष बदलती रहती है, क्योंकि हिन्दू पंचांग के अनुसार तिथियों का चक्कर होता है। इसलिए, भक्तों को पंचांग की सहायता लेकर राधा अष्टमी की व्रत तिथि की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए

राधा अष्टमी व्रत कैसे करें

राधा अष्टमी व्रत को भक्ति भाव और तैयारी के साथ करना चाहिए। यहां राधा अष्टमी व्रत का विधान दिया गया है:

व्रत की आरंभिक चरण : व्रत की पूर्व संध्या में स्नान करें और विशेष रूप से पवित्रता में ध्यान करें और व्रत की शुरुआत में गणपति और ब्रह्मा की पूजा करें

राधा-कृष्ण की पूजा : राधा-कृष्ण की मूर्तियों को सजाकर स्थापित करे उसके बाद श्रद्धा और भक्ति से राधा-कृष्ण की पूजा करे अभिषेक के लिए गंगाजल, धूप, दीप, और अद्भुत पुष्पों का उपयोग करें उसके बाद आरती उतारें और पुष्पांजलि अर्पित करें

उपवास और व्रत समाप्ति : रात्रि के समय व्रत के दौरान उपवास रखें और निर्धारित समय तक अन्न और जल से दूर रहें सुबह, सूर्योदय के समय राधा-अष्टमी व्रत को समाप्त करें और भक्ति भाव से खाना खाएं उसके बाद व्रत समाप्त होने पर गरीबों को भोजन और दान देना शुभ होता है

राधा रानी का हिंदी में मंत्र क्या है?

"राधा रानी का मंत्र 'ॐ ह्रीं श्रीराधिकायै नमः' माना जाता है, जिसे लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और सभी कार्यों में सफलता के लिए जपा जाता है। इस मंत्र के नियमित जप से व्यक्ति को धन, समृद्धि और सिद्धि की प्राप्ति हो सकती है।"

राधा अष्टमी पर राधारानी को क्या भोग लगाना चाहिए?

राधा अष्टमी के दिन राधारानी को माखन-मिश्री, दूध-मेवा, खीर, पंजीरी, फल, और गुलाब या कमल के फूलों से सजे भोग अर्पित किए जाते हैं। राधारानी को सादा, सात्विक और मीठा भोग प्रिय होता है। साथ ही तुलसी पत्र अर्पण करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्ति भाव से अर्पित किया गया कोई भी भोग उन्हें स्वीकार होता है।

राधा अष्टमी के दिन क्या करना चाहिए

राधा अष्टमी के दिन भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी लिए विशेष पूजा-अर्चना और भक्ति भाव से व्रत आचरण करना चाहिए। उसके बाद राधा-कृष्ण की मूर्तियों को सजाकर स्थापित करें उसके बाद अभिषेक के लिए गंगाजल, धूप, दीप, और अद्भुत पुष्पों का उपयोग करें उसके बाद आरती उतारें और पुष्पांजलि अर्पित करें उसके बाद गरीबों और असहाय लोगों को आहार, वस्त्र, और धन का दान करना