हिंदू पंचांग के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है यह पर्व वैशाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह पर्व भगवान बुद्ध को समर्पित है और ऐसा भी कहा जाता है कि महात्मा बुद्ध श्री हरि विष्णु का नया अवतार हैबौद्ध धर्म के लोग इस दिन सुबह-सुबह स्नान करके नदियांपवित्र गंगा स्थान पर स्नान करके दान पुण्य करते हैं ऐसा माना जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया गया दान बहुत लाभकारी होता है
Date | तारीख | 23 May, 2024 |
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Day | दिन | Tuesday | मंगलवार |
बुद्ध पूर्णिमा जयंती 2024 | 2586 वी जयन्ती |
आज हम जानेंगे बुद्ध पूर्णिमा का महत्व ऐसा माना जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा का महत्व हिंदुओं और बौद्ध धर्म दोनों के लिए ही खास माना जाता है वैशाख माह में पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था इस दिन को गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में ही मनाया जाता है और ऐसा भी माना जाता है कि इसी दिन उनका ज्ञान की प्राप्ति हुई थी अनुसार सारनाथ में पहला उपदेश दिया था इसके बाद ही बौद्ध धर्म की शुरुआत हुई बुद्ध पूर्णिमा का खास महत्व यह भी है कि इस दिन दुनिया भर के हिंदू बौद्ध भगवान बुद्ध के पवित्र तीर्थ स्थलों पर जाकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व होता है
बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही महात्मा गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और उसी दिन उनको ज्ञान की भी प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका निर्माण भी हुआ था महात्मा गौतम बुद्ध के जन्म के उपलक्ष में ही बुद्धि पूर्णिमा मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा पर हर साल मुख्यतःभू दिव्या सारनाथ में मनाई जाती है इसके साथ ही भारत के कई अन्य क्षेत्रों में जैसे सिक्किम लद्दाख अरुणाचल प्रदेश उत्तर बंगाल और दार्जिलिंग मैं भी मनाई जाती है इसे एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है हर साल की तरह इस साल भी वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है
बुद्ध पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले दान के बारे में आज हम बात करेंगे इस दिन हमें क्या दान करना चाहिए
आज हम जानेंगे कि भगवान बुद्ध किस भगवान की पूजा करते थे किस धर्म को मानते थे जैसा हम सभी जानते हैं कि गौतम बुद्ध को बौद्ध धर्म का संस्थापक माना जाता है उन्होंने ही बौद्ध धर्म की स्थापना की थी वैसे तो भगवान बुद्ध हिंदू धर्म से ही ताल्लुक रखते थे किंतु हिंदू सनातन धर्म के अनुसार बुद्ध नियम उन्हें पसंद नहीं आते थे उन्होंने इस धर्म का त्याग कर दिया और वह किसी भी भगवान की पूजा नहीं करते थे वह विश्वजना नामक ध्यान करते थे जिसका मतलब होता है देखकर वापस लौटना अर्थात शरीर की शुद्धि व पवित्रता के लिए ध्यान करते थे ऐसा माना जाता है कि उन्होंने इस ज्ञान के बारे मैं सबको में बताया था
(1) अवलोकी तेजस्व स्वरयह बौद्ध धर्म की महत्वपूर्ण देवी है जिन्हें करुणा के देवों के रूप में जाना जाता है
(2) मंजू श्री इनकी बौद्ध धर्म में महंत के रूप में मान्यता है यह ज्ञान के देवता के रूप में जाने जाते हैंऔर बुद्ध ज्ञान के रूप में उनकी मान्यता है
(3) वजर्पणी को भी बौद्ध बुद्धिस्ट के रूप में मान्यता प्राप्त है यह शक्ति और सहन की प्रतीक है और धार्मिक रक्षा के लिए ज्ञान जानी जाती हैं
बौद्ध धर्म के पांच नियम इस प्रकार हैं इसको पंचशील बौद्ध धर्म की मूल आचार संहिता है जिसको बौद्ध उपासक एवं उपासकों के लिए पालन करना आवश्यक माना जाता है
(1) हिंसा न करना
(2) चोरी ना करना
(3) व्यभिचार न करना
(4) झूठ ना बोलना
(5) नशा न करना
बुद्धम शरणम गच्छामियह बौद्ध धर्म का मूल मंत्र है इसकी दो और पंक्तियां हैं संघा शरणम गच्छामि और धम्मा शरणम गच्छामि बौद्ध धर्म की मूल भावना को बताने वाले यह तीन शब्द गौतम बुद्ध की शरण में जाने का अर्थ रखते हैं बुद्ध भगवान को जानने के लिए उनकी शिक्षाओं की शरण लेना जरूरी है पर इस ब्रह्म वाक्य के अर्थ केवल शब्दों तक सीमित नहीं है गौतम बुद्ध के बुद्धत्व की कथा को जिन किताबों में लिखा गया है वह संकलन त्रिप्पुरम कहा जाता है यह पाली भाषा में त्रिपिटक कहलाता है यह वह पुस्तक है जहां से बुद्ध के जीवन में बुद्धत्व घटित होने के बाद भी हर बात लिखी गई है
वैशाख माह की पूर्णिमा को भगवान बुद्ध की जयंती मनाई जाती है इसलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं इस बुद्ध पूर्णिमा की पूजा विधि इस प्रकार है
(1) इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें या जल में गंगाजल मिलकर नहाए
(2) सूर्य को अरग दें
(3) पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं
(4) भगवान विष्णु की पूजा करें
(5) चंद्र देव की भी रात में पूजा करें और इस दिन दान अवश्यदें क्योंकि बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया गया दान कई गुना ज्यादा फल देता है और जीवन में आ रही बढ़ाएं दूर होती हैं खुशियां सफलता की दस्तक देती हैं