पौराणिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं इस दिन गुरु की पूजा की जाती है इस दिन व्रत भी किया जाता है गुरु पूर्णिमा सनातन धर्म की संस्कृति है इस दिन ऋषि मुनियों को शिष्यों के रूप में ज्ञान प्रदान किया जाता है इसके अलावा यह पर्व महर्षि वेदव्यास को समर्पित है इसी दिन वेदव्यास जी का जन्म हुआ था इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं
तारीख | Date | 21 जुलाई 2024 | 21 july 2024 |
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तिथियां | Day | रविवार | Sunday |
गुरु पूर्णिमा ईस साल 2024 में 21 जुलाई को है। इस बार का गुरु पूर्णिमा 20 जुलाई 2024 को रात्रि से शुरू होकर 21 जुलाई 2024 को दोपहर 4 बजे तक चलेगा
गुरु पूर्णिमा को मनाने के पीछे मुख्य कारण यह है कि गुरु के बिना ना तो जीवन की सार्थकता है और ना ही ज्ञान प्राप्ति संभव है जिस प्रकार हमारी प्रथम गुरु हमारी मां होती है जो हमें जीवन देती है हमें सांसारिक मूल्यौ से हमारा परिचय कराती है ठीक उसी प्रकार ज्ञान और भगवान का मार्ग केवल एक ही गुरु दिला सकता है यानी गुरु के बिना कुछ भी संभव नहीं है इसी वजह से गुरु पूजा की जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं की आषाढ़ माघ में ही ही गुरु पूर्णिमा क्यों पड़ती है हे और किसने यह परंपरा शुरू की इस दिन वेदव्यास के शिष्यों में से पांच शिष्यों ने गुरु पूजा की परंपरा प्रारंभ की थी पुष्प मंडप में उच्च आसन पर गुरु वेदव्यास जी को बिठाकर पुष्प मालाए अर्पित की तथा उनको ग्रंथ अर्पित किए जिस कारण हर साल लोग व्यास जी के चित्र का पूजन और उनके द्वारा रचित ग्रंथ का अध्ययन करते हैं कई मठ और आश्रम में संतों की मूर्तियां भी स्थापित हैं
गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है और इस महत्व को समझाते हुए कबीर दास जी ने भी कहा है था की “गुरु गोविंद डाउ खड़े काके लागू पांव बलिहारी गुरु आपने गोविंद देव बताए” इसका मतलब गुरु और गोविंद दोनों खड़े हैं बताओ किसके पांव लागू तो गुरु गोविंद स्वयं कहते हैं कि पहले तू गुरु के पांव लग क्योंकि यह गुरु ही है जिसने तुझे यहां तक पहुंचाया है है इसलिए मेरे से मिलाने वाले जो है वह गुरु ही हैं इसलिए तू सर्वप्रथम गुरु के ही पांव लग.इसीलिए गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं का पूजन करके गुरु पूर्णिमा माननी चाहिए इसका गुरु पूर्णिमा के दिन खास महत्व होता है
कहा जाता है कि गुरु के बिना जीवन अधूरा है क्योंकि गुरु बिना ज्ञान कहां जब तक गुरु नहीं तब तक मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति भी नहीं हो सकती है अब हम जानेंगे कि गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए
(1) गुरु पूर्णिमा के दिन लोगों को गुरु की पूजा करनी चाहिए
(2) उन्हें दान दक्षिणा देनी चाहिए
(3) गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु का ध्यान करना चाहिए
(4) गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए
(5) इसके अलावा जिन्होंने गुरु नहीं बनाए उन्हें गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु बनाने चाहिए इसके अलावा भगवान शिव को अपना गुरु मानते हुए मित्रों का जाप करना चाहिए
(6) इसके अलावा जिन साधना से ज्ञान मिलता है उनकी पूजा करनी चाहिए और उनके उपदेश का पालन करना चाहिए
क्रियाशीलता में कमी: गुरु पूर्णिमा का दिन आध्यात्मिक जागरूकता और श्रद्धांजलि का है, इसलिए इस दिन काम की क्रियाओं में कमी करनी चाहिए और आध्यात्मिक गतिविधियों में अधिक समय देना चाहिए
अनैतिक आचरण: गुरु पूर्णिमा के दिन आपको अनैतिक आचरण से बचना चाहिए। यह एक पवित्र दिन है, इसलिए शांति और पवित्रता की भावना को बनाए रखना चाहिए
असत्य बोलना और क्रोध: गुरु पूर्णिमा के दिन सत्य और शांति के मार्ग पर चलना चाहिए। असत्य बोलना और क्रोध में पड़ना इस दिन अशुभ माना जाता है
स्वार्थपरता: इस दिन को समर्पित करने के लिए स्वार्थपरता और अपने लाभ की सोचना बंद करना चाहिए। गुरु की शिक्षा को सच्चे भावना से ग्रहण करना चाहिए
नमक छोड़ना: गुरु पूर्णिमा के दिन आपको नमक छोड़ने का त्याग करना चाहिए। इससे आपकी आध्यात्मिक उन्नति में मदद हो सकती है
वैसे तो पूर्णिमा व्रत के अत्यंत लाभ होते हैं किंतु यदि आप मानसिकता से मुक्ति पाना चाहते हैं तो गुरु पूर्णिमा का व्रत अवश्य करे
(1) इस व्रत को करने से पारिवारिक कलह और अशांति दूर होती है
(2) जिन व्यक्तियों की कुंडली में ग्रहण और दुष्ट ग्रह की वजह से बहुत समस्याएं आ रही होती हैं तो इस व्रत को अवश्य करें
(3) इसके साथ ही जो लोग मानसिक चिताओं से ग्रसित रहते हैं उन्हें यह गुरु पूर्णिमा व्रत अवश्य करना चाहिए
(4) परिवार की सुख शांति के लिए भी इस गुरु पूर्णिमा व्रत को अवश्य करें
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गुरु के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा होता है उसी प्रकार गुरु का एक मंत्र भी होता है “गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वराय गुरु साक्षात पर ब्रह्म तस्मे श्री गुरुवे नमः”यह गुरु का मूल मंत्र होता है जिसको हमें अपने जीवन में हमेशा बनाए रखना चाहिए और इस मंत्र का जाप करना चाहिए क्योंकि वह गुरु ही होता है जो हमारे जीवन और इस मंत्र का जाप करना चाहिए क्योंकि वह गुरु ही होता है जो हमारे जीवन को मार्गदर्शन का मार्गदर्शन करता है
(1) सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी ले उसे पर पीला कपड़ा बिछाए
(2) यदि आपके कोई गुरुजी हैं या किसीअन्य गुरु की पूजा करते हैं तो उनकी तस्वीर चौकी पर रखें
(3) इयदि आपके कोई गुरु नहीं है तो भगवान विष्णु व लक्ष्मी जी की प्रतिमा रखें.क्योंकि गुरु पूर्णिमाऔर पूर्णिमा सब भगवान नारायण को समर्पित होती है
(4) उसके बाद फूल से भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान करायें
(5) फिर उनको पीला चंदन लगायें क्योंकि गुरु पूर्णिमा के दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है
(6) उसके बाद पीले ही रंग की माला उनको पहनाए और पीले पुष्प चढ़ाएं
(7) इसके बाद तुलसी और गुलाब का फूल उनके चरणों में समर्पित करें
(8) उसके बाद जानू भेंट करें और कलवा अर्पित करें
(9) पूर्णिमा के दिन खीर का विशेष महत्व होता है इसीलिए भोग के लिए खीर बनाएं और खीर का भोग लगाकर पीले रंग के लड्डुओं का भी भोग अर्पित करें
(10) इसके बाद फल में पीले ही फल भगवान विष्णु को चढ़ाए जैसे कि केला पपीता और अन्य
(11) उसके बाद भगवान को पीले रंग के वस्त्र अर्पण करें और इत्र लगायें
(12) उसके बाद ज्योति जलाएं और आरती करें