दुर्गा पूजा, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भारत में बड़े उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है। यह पूजा देवी दुर्गा की पूजा है, जो शक्ति और साहस की प्रतीक हैं और सबसे खास पश्चिम बंगाल में मनाया जाने वाला पर्व है दुर्गा पूजा नवरात्रि के दौरान मनाई जाती है और इसे अक्टूबर या नवम्बर महीने में आयोजित किया जाता है इसकी शुरुआत कलश स्थापना से होती है जिसके बाद नौ दिनों तक देवी के भक्तों द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाती है
Date | 08 अक्टूबर, 2024 - 12 अक्टूबर 2024 |
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वैसे तो दुर्गा पूजा हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है इसको मनाने के पीछे एक खास कारण यह है कि इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था ऐसा माना जाता है कि महिषासुर के पिता का नाम रंभ जो की असुरों का राजा था एक बार रंभ भैंस से प्यार कर बैठा और इस भैंस से शादी कर ली उसके पश्चात उससे महिषासुर का जन्म हुआ जिसे भगवान ब्रह्मा का वरदान मिला था कि कोई भी देवता या दानव उसे हरा नहीं सकता उसके पश्चात वह सभी देवताओं को परेशान करने लगा इसी कारण सभी देवतागण मिलकर देवी दुर्गा के पास गए और उन्होंने उन्हें सारी बात बताई
और इस सारे संकटों से उन्हें मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की उसके बाद जब मां दुर्गा ने सभी की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया तो महिषासुर से युद्ध करके उसे परास्त करने की ठानी सभी देवतागढ़ो को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए उन्होंने महिषासुर से लगातार 9 दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया और सभी देवतागढ़ो को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलायी तभी से हम मां दुर्गा की पूजा करते हैं और इस पर्व को बड़े ही हरसोलस के साथ मानते हैं
दुर्गा पूजा का पर्व हिंदू देवी दुर्गा की बुराई के प्रतीकराक्षस महिषासुरपर विजय के रूप में मनाया जाता है दुर्गा पूजा का पर्व वास्तव में शक्ति आराधना का पर्व है मान्यता के अनुसार यह पर्व शक्ति पाने की इच्छा से मनाया जाता है दुर्गा पूजा कोदुर्बोध सब या सर्वोत्तम के नाम से भी जाना जाता हैखास तौर पर शारदीय नवरात्रि की तरह ही दुर्गा पूजाका भी खास महत्व है और इसका खास महत्व यह भी है कि अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है दुर्गा मां सभी दोस्तों का संहार करने वाली हैमान्यता के अनुसार मां अपने भक्तों का बाल विवाह का नहीं होने देती मां दुर्गा शांति समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली और राक्षसी शक्तियों का विनाश करने वाली देवी है
दुर्गा पूजा विधि चैत्र नवरात्रि कब है गंगा दशहरा राम नवमी कब हैंनवरात्रि मां दुर्गा और दुर्गा पूजा किसी भी नाम से इसे पुकारे किंतु जो चहल पहल और रौनक इन नौ दिनों में पूरे देश भर में दिखाई देती है वह माहौल को भक्तिमय बना देती है किंतु इन सब में सबसे ज्यादा आकर्षक और खूबसूरत परंपरा जो नजर आती है वह पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा की अनेक थीम्स पर बने भव्य पंडाल रंगों की शोभा नए लोग तेजस्वी चेहरे वाली देवियां सिंदूर खेला धोनी नृत्य और भी बहुत कुछ मन को मोह लेता है यह वह अनूठा अनुभव है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता पंडाल की भव्य और विशेष छठ कोलकाता और समूचे पश्चिम बंगाल को नवरात्रि के दौरान खास बनाते हैं यह पूरा माहौल शक्ति की देवी दुर्गा के रंग में रंग जाता है
दुर्गा पूजा नारी के सम्मान का प्रतीक है दुर्गा पूजा 9 दिनों तक नवदुर्गा के 9 स्वरूपों की उपासना होती है कहते हैं कि जिस घर में माता की पूजा होती है उस घर में सुख समृद्धि बनी रहती है और दुर्गा पूजा महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का जश्न मनाती है और यह उसी दिन शुरू होता है जिस दिन से नवरात्रि प्रारंभ होती है कई उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में नवरात्रों का त्योहार जो अधिक व्यापक रूप से दिव्य शक्ति का जश्न मनाता है दुर्गा पूजा का पहला दिन महालय है जो देवी के आगमन का प्रतीक है
मान्यता के अनुसार देवी दुर्गा भगवान शिव की पत्नी आदि शक्ति देवी पार्वती का ही एक स्वरूप है देवी का मस्तक काटा हुआ है इसीलिए इनको छिन्नमस्ता भी कहा जाता हैउनका"शिव जी केअंश से माना जाता है दर असल मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था ऐसा माना जाता है कि महिषासुर नामक राक्षससभी देवताओं को परेशान करते थे और वह उनके अत्याचारों से परेशान होकर भगवान विष्णु और भगवान शिव के पास सहायता मांगने गए तब भगवान विष्णु भगवान शिव पूरी बात जानकर क्रोधित हो गएऔर तब उन्होंने सभी के मुख एक दिव्यातेज प्रकट हुआ जिससेएक नारी के अस्तित्व का जन्म हुआ जिसे दुर्गा कहा गया भगवान शिव के तेज सेमुख बनायमराज की तेज से कैसे बने भगवान विष्णु के तेज से भुजाएं बनी चंद्रमा के तीर्थ से बची स्थल की रचना हुई सूर्य देव की तेज से पैरों की उंगली की रचना हुई कुबेर देव के तेज से नाक की रचना हुई प्रजापति की तेज से दांत बने अग्नि देव के तेल से तीनों नेत्र की रचना हुईसंध्या के तेज से मुक्ति बनी वायु देव के तेज सेकानों की उत्पत्ति हुई
वैसे तो दुर्गा पूजा नवरात्रों की दुर्गा पूजा का ही रूप है किंतु इसे अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है बंगाल असम उड़ीसा में दुर्गा पूजा को अकाल बोधन (दुर्गा का अनुयायिक जागरण) सर्दियों पूजा मेयर पूजा अथवा पूजा भी कहा जाता है शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि यह सब भी इसी दुर्गा पूजा से ही जुड़े हैं इन सभी नवरात्रों में भी दुर्गा पूजा का विधान है किंतु अलग-अलग राज्यों में इस पूजा की अलग-अलग नाम से पुकारे जाते हैं दुर्गा पूजा का अर्थ ही माता दुर्गा के संपूर्ण स्वरूपों की पूजा करना है
वैसे तो मां दुर्गा के कई नाम है और कई स्वरूप है किंतु मां दुर्गा के नाम की बात की जाए तो उनको कई नाम से पुकारा जाता है जैसे सती चंद्रघंटा नेत्र मूल धरनी दुर्गा साध्वी भाव प्रीत पन्नाधारानी चित्र रूप देवी माता भवानी आर्य जवाबशुल्क धरनी बहुमानचीनी आदि माता दुर्गा के ही नाम है प्रत्येक सच्चे भक्त को माता के सभी नाम के बारे में ज्ञात होता है इसीलिए प्रत्येक भक्त मां दुर्गा को अलग-अलग नाम से पुकारते हैं