solah somvar vrat katha and puja vidhi

Solah somvar vrat : सोलह सोमवार का व्रत पूजा विधि और व्रत कथा

सोलह सोमवार व्रत | Solah Somvar vrat 2024

शास्त्रों के अनुसार सोलह सोमवार का व्रत पूर्णता है मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है साथ ही सोलह सोमवार का व्रत दांपत्य जीवन की खुशहाल जीवन व कुंवारी लड़कियों को मनपसंद जीवन साथी अपने के लिए करती हैं ऐसा माना जाता है की जिन युवतियों का विवाह किसी न किसी कारण से नहीं हो रहा है उन्हें यह व्रत करना चाहिए इसके अलावा इस व्रत के करने से रुके हुए काम भी बन जाते हैं इसीलिए इस व्रत को सोलह सोमवार व्रत या भगवान शिव का व्रत के रूप में जाना जाता है

सोलह सोमवार व्रत क्यों रखा जाता है | Why is Solah somvar fast observed?

पौराणिक कथा के अनुसार सोलह सोमवार का व्रत की शुरूआत स्वयं माता पार्वती ने ही की थी जिस महिला को संतान की प्राप्ति नहीं हो पाती है वह महिलाएं भी इस व्रत को करती हैं जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं कि सोलह सोमवार का व्रत मनोकामना की पूर्ति के लिए किया जाता है इसके अलावा यह व्रत पति की दीर्घायु के लिए बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए और घर की सुख समृद्धि के लिए भी इस व्रत को करते हैं मान्यता के अनुसार सोलह सोमवार का व्रत करने से सारी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और संतान सुख भी मिलता है

सोलह सोमवार व्रत का महत्व | Importance of fasting on Solah somvar

पौराणिक मान्यता के अनुसार सोलह सोमवार व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि सोलह सोमवार का व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है भगवान शिव ज्ञान के लौकिक गुरु हैं और ब्रह्मांड की सभी बुराइयों का नाश करते हैं सोमवार के दिन यदि हम भगवान शिव की उपासना करते हैं तो भगवान शिव हमसे प्रसन्न होकर मनोवांछित वरदान प्रदान करते हैं इसके अलावा नए घर में प्रवेश करने एवं विवाह संबंधी प्रबंधन के लिए तथा खेलों से संबंधित कार्यों के लिए इस दिन को सबसे उपयुक्त माना जाता है सोमवार का व्रत या उपासना सूर्योदय से लेकर सूर्य अस्त तक रखा जाता है

सोलह सोमवार व्रत के नियम | Solah somvar vrat rules

सोलह सोमवार व्रत के कुछ नियम होते हैं आज हम उन नियमों के बारे में जानेंगे

1: सोलह सोमवार का व्रत श्रवण मास के चैत्र मार्ग श्री और वैशाख मास के पहले सोमवार से शुरू कर सकते हैं

2: सोलह सोमवार की पूजा के दिन तीसरे पहर 4:00 बजे के आसपास करनी चाहिए

3: सूर्यास्त से पूर्ण ही यह व्रत संपूर्ण हो जाना चाहिए इस तरह की गई पूजा फलदाई होती है

4: सोलह सोमवार का व्रत हर उम्र और वर्ग के व्यक्ति कर सकते हैं

5: सोलह सोमवार को तामसिक भोजन न करें

6: सोलह सोमवार का व्रत बहुत कठिन होता है विवाहित महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व संतान प्राप्ति के लिए और कुंवारी लड़कियां अच्छे पति की प्राप्ति के लिए करती हैं

7: ब्रह्मचर्य का पालन करें और इसलिए इस व्रत के संपूर्ण नियमों का पालन करके ही यह व्रत पूर्ण करे

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सोलह सोमवार व्रत की विधि | Solah Somvar vrat vidhi

1: पहले से ही यह तय कर लें कि आप कब इस व्रत का आरंभ करेंगे और किस दिन इसे समाप्त करेंगे। यह व्रत 16 सप्ताह (सोमवार) के लिए होता है

2: प्रात: काल में नित्य की तरह स्नान करें

3: स्नान के बाद शिव लिंग के सामने जाकर पूजा करें। पूजा में शिव लिंग को गंगाजल से स्नान कराएं

4: धूप, दीप, चंदन, अक्षत, बेलपत्र, बिल्वपत्र, धातु के बांसी आदि समर्पित करें

5: अनुच्छेद का पाठ करें। इसके बाद, "ऊँ नमः शिवाय" या "ॐ नमः शिवाय" मन्त्र का 108 बार जाप करें

6: यह प्रसाद फल, फूल, धन्य, घी, दूध, घी आदि हो सकता है

7: पूजा के बाद भगवान शिव का प्रसाद चढ़ाएं

सोलह सोमवार व्रत कथा | Solah somvar vrat katha

पौराणिक मान्यता के अनुसार मृत्यु लोक में भ्रमण की इच्छा करके एक समय श्री भूतनाथ महादेव जी माता पार्वती के साथ गए वहां पर भ्रमण करते-करते विदर्भ दशांत गत अमरावली नाम की अतिरमाणिक नगरी में जा पहुंचे अमरावती नगरी स्वर्ग के संदर्भ सब प्रकार के सुखों से परिपूर्ण थी उसमें महंत के महाराजा का बनाया हुआ अतिरमाणिक शिवजी का मंदिर था उसमें कैलाशपति अपनी पत्नी के साथ निवास करने लगे एक समय माता पार्वती अपने प्राण पति को प्रसन्न देखकर मनबोध करने की इच्छा करने लगी

वह बोली हे महाराज आज तो हम तुम चौसर खेलेंगे तब शिवजी ने प्राण प्रिय की बात को स्वीकार किया और चौसर खेलने लगे तब इस समय मंदिर का पुजारी वहां पूजा करने आया तब माता पार्वती ने पूछा कि पुजारी जी बताओ इस खेल में कौन जीतेगा पुजारी बिना सोचे बोले महादेव जी की ही जीत होगी फिर थोड़ी देर में खेल समाप्त हो गया और पार्वती जी की विजय हुई तब पार्वती जी ने पुजारी को झूठ बोलने के अपराध में कोड़ी होने का श्राप दिया कुछ ही समय में पुजारी के शरीर में कोड पैदा हो गया फिर पुजारीअनेक प्रकार के दुखों से ग्रस्त होकर दुख सहने लगा और कष्ट पाते पाते जब बहुत दिन हो गए तब देवलोक की अप्सराएं इस मंदिर में पूजा करने पहुंची और पुजारी की ऐसी हालत देखकर दया भाव से उसके ऐसी स्थिति का कारण पूछा तब पुजारी ने निसंकोच सारी बात बता दी तब वे अप्सराय बोली के है

पुजारी जी आप अधिक दुखी मत होना भगवान शिवजी आपके सारे कष्ट को दूर कर देंगे तुम सब व्रत से मैं श्रेष्ठ सोमवार व्रत है उसको भक्ति के साथ करो जिससे आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे तब पुजारी ने बड़े ही विनम्र भाव से उस व्रत की विधि पूछी तब अप्सराय बोली कि जिस दिन सोमवार हो उस दिन भक्ति के साथ व्रत करो स्वच्छ कपड़े पहनो और पूरे भक्त भाव के साथ इस व्रत को संपूर्ण करो ऐसा करने से आपके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे और आप अपनी मनोवांछित फल की प्राप्ति करेंगे तो उस पुजारी ने ऐसा ही किया और अपने कष्ट से मुक्ति पाई यह सोलह सोमवार का व्रत बड़ा ही फलदाई होता है इसे करने से आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति तो होती ही है और आप सारे कष्ट से मुक्ति पा सकते हैं