शास्त्रों के अनुसार सोलह सोमवार का व्रत पूर्णता है मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है साथ ही सोलह सोमवार का व्रत दांपत्य जीवन की खुशहाल जीवन व कुंवारी लड़कियों को मनपसंद जीवन साथी अपने के लिए करती हैं ऐसा माना जाता है की जिन युवतियों का विवाह किसी न किसी कारण से नहीं हो रहा है उन्हें यह व्रत करना चाहिए इसके अलावा इस व्रत के करने से रुके हुए काम भी बन जाते हैं इसीलिए इस व्रत को सोलह सोमवार व्रत या भगवान शिव का व्रत के रूप में जाना जाता है
पौराणिक कथा के अनुसार सोलह सोमवार का व्रत की शुरूआत स्वयं माता पार्वती ने ही की थी जिस महिला को संतान की प्राप्ति नहीं हो पाती है वह महिलाएं भी इस व्रत को करती हैं जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं कि सोलह सोमवार का व्रत मनोकामना की पूर्ति के लिए किया जाता है इसके अलावा यह व्रत पति की दीर्घायु के लिए बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए और घर की सुख समृद्धि के लिए भी इस व्रत को करते हैं मान्यता के अनुसार सोलह सोमवार का व्रत करने से सारी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और संतान सुख भी मिलता है
पौराणिक मान्यता के अनुसार सोलह सोमवार व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि सोलह सोमवार का व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है भगवान शिव ज्ञान के लौकिक गुरु हैं और ब्रह्मांड की सभी बुराइयों का नाश करते हैं सोमवार के दिन यदि हम भगवान शिव की उपासना करते हैं तो भगवान शिव हमसे प्रसन्न होकर मनोवांछित वरदान प्रदान करते हैं इसके अलावा नए घर में प्रवेश करने एवं विवाह संबंधी प्रबंधन के लिए तथा खेलों से संबंधित कार्यों के लिए इस दिन को सबसे उपयुक्त माना जाता है सोमवार का व्रत या उपासना सूर्योदय से लेकर सूर्य अस्त तक रखा जाता है
सोलह सोमवार व्रत के कुछ नियम होते हैं आज हम उन नियमों के बारे में जानेंगे
1: सोलह सोमवार का व्रत श्रवण मास के चैत्र मार्ग श्री और वैशाख मास के पहले सोमवार से शुरू कर सकते हैं
2: सोलह सोमवार की पूजा के दिन तीसरे पहर 4:00 बजे के आसपास करनी चाहिए
3: सूर्यास्त से पूर्ण ही यह व्रत संपूर्ण हो जाना चाहिए इस तरह की गई पूजा फलदाई होती है
4: सोलह सोमवार का व्रत हर उम्र और वर्ग के व्यक्ति कर सकते हैं
5: सोलह सोमवार को तामसिक भोजन न करें
6: सोलह सोमवार का व्रत बहुत कठिन होता है विवाहित महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व संतान प्राप्ति के लिए और कुंवारी लड़कियां अच्छे पति की प्राप्ति के लिए करती हैं
7: ब्रह्मचर्य का पालन करें और इसलिए इस व्रत के संपूर्ण नियमों का पालन करके ही यह व्रत पूर्ण करे
संतान सप्तमी व्रत कथा सावन शिवरात्रि गंगा दशहरा1: पहले से ही यह तय कर लें कि आप कब इस व्रत का आरंभ करेंगे और किस दिन इसे समाप्त करेंगे। यह व्रत 16 सप्ताह (सोमवार) के लिए होता है
2: प्रात: काल में नित्य की तरह स्नान करें
3: स्नान के बाद शिव लिंग के सामने जाकर पूजा करें। पूजा में शिव लिंग को गंगाजल से स्नान कराएं
4: धूप, दीप, चंदन, अक्षत, बेलपत्र, बिल्वपत्र, धातु के बांसी आदि समर्पित करें
5: अनुच्छेद का पाठ करें। इसके बाद, "ऊँ नमः शिवाय" या "ॐ नमः शिवाय" मन्त्र का 108 बार जाप करें
6: यह प्रसाद फल, फूल, धन्य, घी, दूध, घी आदि हो सकता है
7: पूजा के बाद भगवान शिव का प्रसाद चढ़ाएं
पौराणिक मान्यता के अनुसार मृत्यु लोक में भ्रमण की इच्छा करके एक समय श्री भूतनाथ महादेव जी माता पार्वती के साथ गए वहां पर भ्रमण करते-करते विदर्भ दशांत गत अमरावली नाम की अतिरमाणिक नगरी में जा पहुंचे अमरावती नगरी स्वर्ग के संदर्भ सब प्रकार के सुखों से परिपूर्ण थी उसमें महंत के महाराजा का बनाया हुआ अतिरमाणिक शिवजी का मंदिर था उसमें कैलाशपति अपनी पत्नी के साथ निवास करने लगे एक समय माता पार्वती अपने प्राण पति को प्रसन्न देखकर मनबोध करने की इच्छा करने लगी
वह बोली हे महाराज आज तो हम तुम चौसर खेलेंगे तब शिवजी ने प्राण प्रिय की बात को स्वीकार किया और चौसर खेलने लगे तब इस समय मंदिर का पुजारी वहां पूजा करने आया तब माता पार्वती ने पूछा कि पुजारी जी बताओ इस खेल में कौन जीतेगा पुजारी बिना सोचे बोले महादेव जी की ही जीत होगी फिर थोड़ी देर में खेल समाप्त हो गया और पार्वती जी की विजय हुई तब पार्वती जी ने पुजारी को झूठ बोलने के अपराध में कोड़ी होने का श्राप दिया कुछ ही समय में पुजारी के शरीर में कोड पैदा हो गया फिर पुजारीअनेक प्रकार के दुखों से ग्रस्त होकर दुख सहने लगा और कष्ट पाते पाते जब बहुत दिन हो गए तब देवलोक की अप्सराएं इस मंदिर में पूजा करने पहुंची और पुजारी की ऐसी हालत देखकर दया भाव से उसके ऐसी स्थिति का कारण पूछा तब पुजारी ने निसंकोच सारी बात बता दी तब वे अप्सराय बोली के है
पुजारी जी आप अधिक दुखी मत होना भगवान शिवजी आपके सारे कष्ट को दूर कर देंगे तुम सब व्रत से मैं श्रेष्ठ सोमवार व्रत है उसको भक्ति के साथ करो जिससे आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे तब पुजारी ने बड़े ही विनम्र भाव से उस व्रत की विधि पूछी तब अप्सराय बोली कि जिस दिन सोमवार हो उस दिन भक्ति के साथ व्रत करो स्वच्छ कपड़े पहनो और पूरे भक्त भाव के साथ इस व्रत को संपूर्ण करो ऐसा करने से आपके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे और आप अपनी मनोवांछित फल की प्राप्ति करेंगे तो उस पुजारी ने ऐसा ही किया और अपने कष्ट से मुक्ति पाई यह सोलह सोमवार का व्रत बड़ा ही फलदाई होता है इसे करने से आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति तो होती ही है और आप सारे कष्ट से मुक्ति पा सकते हैं