हिंदू धर्म में तुलसी विवाह की विशेष मान्यता है पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह हुआ था और इसे एक दिन पहले देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है तुलसी विवाह या भगवान विष्णु के स्वरुप शालिग्राम के साथ माता तुलसी का विवाह बड़े उत्साह के रूप में मनाया जाता है ऐसा भी माना जाता है की तुलसी विवाह करने से व्यक्ति को कन्यादान के समान श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है
मान्यता के अनुसार वृंदा ने भगवान विष्णु को तो श्राप मुक्त कर दिया लेकिन उसने खुद आपदा कर लिया जहां वृंदा भस्म हुई वहां पौधा उग गया जिसे विष्णु जी ने तुलसी का नाम दिया और बोले कि शालिग्राम नाम से मेरा एक रूप इस पत्थर में हमेशा रहेगा जिसकी पूजा तुलसी के साथ ही की जाएगी यही वजह है कि हर साल देवउठनी द्वादशी पर विष्णु जी के स्वरुप शालिग्राम जी और तुलसी का विवाह कराया जाता है
ज्योतिषियों की मानें तो तुलसी विवाह इस वर्ष रविवार, 02 नवम्बर 2025 को देवउठनी एकादशी है। इसके अगले दिन 02 नवंबर 2025 को तुलसी विवाह है
हिंदी हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि तुलसी विवाह करने के कुछ खास महत्व होते हैं जैसे की शादी में आ रही बढ़ाएं दूर करने पर दांपत्य जीवन में मीठा बढ़ाने के लिए यह व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है शास्त्रों के अनुसार यदि किसी के विवाह में परेशानियां या कोई भी किसी भी प्रकार की दिक्कत आ रही हूं तो तुलसी विवाह के दिन तुलसी और शालिग्राम जी को साक्षी मानकर किसी जरूरतमंद व्यक्ति की शादी में अपनी समर्थ के अनुसार दान करने का संकल्प लें और यह दान गुप्त रहना चाहिए मानता है कि इससे विष्णु जी बेहद प्रसन्न होते हैं जल्द विवाह के योग बनते हैं तमाम दिक्कतें दूर हो जाती हैं इसलिए तुलसी का विवाह करना अत्यंत शुभ माना जाता है और इसका खास महत्व होता है
तुलसी विवाह हर साल देवउठनी एकादशी के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह 02 नवंबर 2025 को होगा। इस दिन भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का पवित्र विवाह सम्पन्न होगा। व्रत के दिन, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि 02 नवंबर 2025 को 07 बजकर 31 मिनट ए एम से प्रारंभ होगी और 03 नवम्बर 2025 को 05:07 ए एम बजे पर समाप्त होगी।
गंगाजल से तुलसी जी और शालिग्राम जी को स्नान कराएं। भगवान शालिग्राम को पीले फूल, वस्त्र और फल अर्पित करें, फिर पीले चंदन से तिलक करें। तुलसी जी को फल, फूल, लाल चुनरी, बिंदी, सिंदूर सहित श्रृंगार का सामान अर्पित करें और लाल चंदन से तिलक लगाएं। इसके बाद, धूपबत्ती और घी का दीपक प्रज्वलित करें।
तुलसी विवाह सम्पन्न कराने के लिए एकादशी के दिन व्रत करना आवश्यक है और घर में तुलसी जी के साथ विष्णु जी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। तुलसी के पौधे और विष्णु जी की मूर्ति को पीले वस्त्रों से सजाना चाहिए, क्योंकि पीला विष्णु जी का प्रिय रंग है। तुलसी विवाह की तैयारी के लिए, तुलसी के पौधे के गमले को गेरू आदि से सजाएं।
घर में तुलसी का विवाह करने के लिए सबसे पहले एकादशी के दिन व्रत रखें। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पवित्रता का ध्यान रखें। घर में तुलसी के पौधे को विशेष स्थान पर रखें और उसके पास भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। तुलसी के पौधे और विष्णु जी की मूर्ति को पीले वस्त्र पहनाएं, क्योंकि पीला रंग विष्णु जी को प्रिय है
तुलसी के पौधे के गमले को गेरू से सजाएं और वहां पूजा की तैयारी करें। भगवान शालिग्राम और तुलसी जी की विशेष पूजा करें, जिसमें उन्हें फल, फूल, दीपक और धूप अर्पित करें। इसके बाद, लाल चंदन से तिलक करें और भगवान विष्णु को पीले फूल अर्पित करें। अंत में, पूजन के बाद प्रसाद वितरण करें और व्रत का समापन करें। इस विधि से घर में तुलसी विवाह विधिपूर्वक संपन्न होगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार दृश्य ध्वज और उनके उत्तराधिकारी पुत्र की मृत्यु हो गई थी और उनके पोते-पोटिया धर्मध्वज और कुछ ध्वज जब लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए उनकी पूजा कर रहे थे तब लक्ष्मी जी ने उनके प्रयासों को प्रस्तुत करते हुए क्रमशः धर्म और ध्वज की पुत्री तुलसी और कुशवाह की पुत्री वेदवती के रूप में जन्म लिया इसलिए तुलसी के पिता का नाम धर्म ध्वज था तुलसी धाम ध्वज की बेटी कही जाती हैं
मान्यता के अनुसार तुलसी पूर्व जन्म में एक कन्या थी जिनका नाम वृंदा था जिसका जन्म एक राक्षस कुल में हुआ था
कार्तिक मास में तुलसी पूजन बेहद शुभ माना गया है इससे जीवन में खुशियां बढ़ती है और सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं कार्तिक मास में तुलसी का पूजन करने से घर परिवार में अकाल मृत्यु की आशंका समाप्त होती है कार्तिक मास में एक महीने लगातार तुलसी के पास दीपक जलाने से परम पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख शांति स्थापित होती है मानता है कि कार्तिक के महीने में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर तुलसी को जल चढ़ाने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है इस माह तुलसी के पौधे का दान करना भी अति श्रेष्ठ माना गया है कार्तिक में प्रत्येक बृहस्पतिवार को तुलसी को कच्चे दूध को चढ़ाना चाहिए इसके बाद हर शाम को तुलसी के समक्ष दीपदान करना बेहद शुभ माना जाता है
तुलसी विवाह एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जो आमतौर पर कार्तिक माह की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। तुलसी विवाह की सामग्री निम्नलिखित होती है:
1. तुलसी का पौधा:पूजा के लिए एक सुंदर तुलसी का पौधा आवश्यक होता है। यह पौधा आमतौर पर घर के आंगन या एक विशेष बर्तन में लगाया जाता है।
2. शंख:पूजा के दौरान शंख बजाना पारंपरिक होता है।
3. दीये और तेल:दीपक में तेल या घी डालकर उसे जलाना होता है।
4. अगरबत्ती और धूप:पूजा स्थल को सुगंधित करने के लिए अगरबत्ती और धूप का उपयोग किया जाता है।
5. फूल:तुलसी के पौधे और भगवान विष्णु की पूजा के लिए फूल अर्पित किए जाते हैं।
6. कपूर:कपूर को जलाकर पूजा स्थल को शुद्ध किया जाता है और उसकी खुशबू पूजा में शामिल की जाती है।
7. पंखा:पूजा के दौरान तुलसी के पौधे को हवा देने के लिए पंखा भी रखा जाता है।
8. पंडित या परिवार के सदस्य:पूजा की विधि और मंत्रों का पालन करने के लिए एक पंडित या परिवार का कोई सदस्य पूजा आयोजित करता है।
9. प्रसाद:पूजा के बाद भगवान को भोग अर्पित किया जाता है, जिसमें मुख्यतः मिठाइयाँ और फल शामिल होते हैं।
10. कलावा (रक्षा सूत्र):पूजा के दौरान तुलसी के पौधे को कलावा बांधने की परंपरा भी होती है।
इन सामग्रियों का उपयोग करके आप तुलसी विवाह की पूजा विधिपूर्वक और श्रद्धा पूर्वक कर सकते हैं।
1. जिस दिन आप तुलसी का विवाह कर रहे हैं उसे दिन घर के सभी सदस्यों को जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए और सांप स्वच्छ कपड़े पहनना चाहिए
2. इसके बाद तुलसी के पौधे को आंगन या पूजा घर के बीच में स्थापित करें
3. तुलसी का पौधा स्थापित करने के बाद मंडप के दोनों तरफ गाने चढ़ाई गाने चढ़ाई
4. उसके बाद तुलसी माता पर सभी प्रकार के सुहाग के समान अर्पित करें
5. उसके बाद तुलसी वाले गमले के पास चौकी पर एक शालिग्राम रखें
6. उसके बाद चौकी पर एक कलश भरकर जल रखें
7. उसके बाद पांच आम के पत्ते और लाल कपड़े में एक नारियल लपेटकर कलश के ऊपर रखें
8. उसके बाद शालिग्राम को गंगाजल चढ़कर शुद्ध करें फिर दीप प्रज्वलित करें
9. उसके बाद सलेम राम जी का पंचामृत से अभिषेक करें और उन्हें पीले वस्त्र धारण करें
10. पूजन सामग्री चढ़ाने के बाद तुलसी माता के साथ परिक्रमा करें
11. पूजा करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि शालिग्राम को कोई भी पुरुष हाथ ना लगे
12. उसके बाद तुलसी माता की कथा पढ़ें
13. फिर आरती करके पूजा संपन्न करें
वास्तु शास्त्र के अनुसार एक समय यात्रा जालंधर के अत्याचारों से ऋषि मुनि देवता और मनुष्य सभी बहुत परेशान थे वह बड़ा ही पराक्रमी और वीर था इसके पीछे उसकी पतिव्रत धर्म का पालन करने वाली पत्नी वृंदा के पुण्य का फल था जिससे वह पराजित नहीं होता था उसे परेशान देवता भगवान विष्णु के पास गए और उसे हराने का उपाय पूछने लगे तब भगवान श्री हरि ने वृद्धा का पतिव्रत धर्म तोड़ने का उपाय सोचा भगवान विष्णु ने जल धड़ाधड़ का रूप धारण कर वृद्धा को स्पर्श कर दिया जिसके कारण वृंदा का पतिव्रत धर्म भंग हो गया और जालंधर युद्ध में मैं मर गया भगवान विष्णु से चले जाने तथा पति के वियोग में दुखी वृंदा ने श्री हरि को श्राप दिया