Tulsi Vivah 2025 | तुलसी विवाह कब है?,जानें तुलसी विवाह की संपूर्ण जानकारी,तिथि,पूजा विधि और कथा


तुलसी विवाह | Tulsi Vivah

हिंदू धर्म में तुलसी विवाह की विशेष मान्यता है पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह हुआ था और इसे एक दिन पहले देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है तुलसी विवाह या भगवान विष्णु के स्वरुप शालिग्राम के साथ माता तुलसी का विवाह बड़े उत्साह के रूप में मनाया जाता है ऐसा भी माना जाता है की तुलसी विवाह करने से व्यक्ति को कन्यादान के समान श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है

तुलसी विवाह क्यों किया जाता है | Why Tulsi marriage is performed

मान्यता के अनुसार वृंदा ने भगवान विष्णु को तो श्राप मुक्त कर दिया लेकिन उसने खुद आपदा कर लिया जहां वृंदा भस्म हुई वहां पौधा उग गया जिसे विष्णु जी ने तुलसी का नाम दिया और बोले कि शालिग्राम नाम से मेरा एक रूप इस पत्थर में हमेशा रहेगा जिसकी पूजा तुलसी के साथ ही की जाएगी यही वजह है कि हर साल देवउठनी द्वादशी पर विष्णु जी के स्वरुप शालिग्राम जी और तुलसी का विवाह कराया जाता है

तुलसी विवाह 2025 में कब है? | Tulsi Vivah kab hai 2025

ज्योतिषियों की मानें तो तुलसी विवाह इस वर्ष रविवार, 02 नवम्बर 2025 को देवउठनी एकादशी है। इसके अगले दिन 02 नवंबर 2025 को तुलसी विवाह है

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तुलसी विवाह का महत्व | Importance of Tulsi Vivah

हिंदी हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि तुलसी विवाह करने के कुछ खास महत्व होते हैं जैसे की शादी में आ रही बढ़ाएं दूर करने पर दांपत्य जीवन में मीठा बढ़ाने के लिए यह व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है शास्त्रों के अनुसार यदि किसी के विवाह में परेशानियां या कोई भी किसी भी प्रकार की दिक्कत आ रही हूं तो तुलसी विवाह के दिन तुलसी और शालिग्राम जी को साक्षी मानकर किसी जरूरतमंद व्यक्ति की शादी में अपनी समर्थ के अनुसार दान करने का संकल्प लें और यह दान गुप्त रहना चाहिए मानता है कि इससे विष्णु जी बेहद प्रसन्न होते हैं जल्द विवाह के योग बनते हैं तमाम दिक्कतें दूर हो जाती हैं इसलिए तुलसी का विवाह करना अत्यंत शुभ माना जाता है और इसका खास महत्व होता है

तुलसी विवाह कब और कैसे होता है? | When and how does Tulsi Vivah take place?

तुलसी विवाह हर साल देवउठनी एकादशी के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष तुलसी विवाह 02 नवंबर 2025 को होगा। इस दिन भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का पवित्र विवाह सम्पन्न होगा। व्रत के दिन, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

तुलसी विवाह कितने बजे से कितने बजे तक है? | From what time to what time is Tulsi Vivah?

तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि 02 नवंबर 2025 को 07 बजकर 31 मिनट ए एम से प्रारंभ होगी और 03 नवम्बर 2025 को 05:07 ए एम बजे पर समाप्त होगी।

तुलसी विवाह में क्या चढ़ाया जाता है? | What is offered in Tulsi Vivah?

गंगाजल से तुलसी जी और शालिग्राम जी को स्नान कराएं। भगवान शालिग्राम को पीले फूल, वस्त्र और फल अर्पित करें, फिर पीले चंदन से तिलक करें। तुलसी जी को फल, फूल, लाल चुनरी, बिंदी, सिंदूर सहित श्रृंगार का सामान अर्पित करें और लाल चंदन से तिलक लगाएं। इसके बाद, धूपबत्ती और घी का दीपक प्रज्वलित करें।

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एकादशी के दिन तुलसी विवाह कैसे करें? | How to perform Tulsi marriage on Ekadashi?

तुलसी विवाह सम्पन्न कराने के लिए एकादशी के दिन व्रत करना आवश्यक है और घर में तुलसी जी के साथ विष्णु जी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। तुलसी के पौधे और विष्णु जी की मूर्ति को पीले वस्त्रों से सजाना चाहिए, क्योंकि पीला विष्णु जी का प्रिय रंग है। तुलसी विवाह की तैयारी के लिए, तुलसी के पौधे के गमले को गेरू आदि से सजाएं।

घर में तुलसी का विवाह कैसे करें? | How to perform Tulsi marriage at home?

घर में तुलसी का विवाह करने के लिए सबसे पहले एकादशी के दिन व्रत रखें। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पवित्रता का ध्यान रखें। घर में तुलसी के पौधे को विशेष स्थान पर रखें और उसके पास भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। तुलसी के पौधे और विष्णु जी की मूर्ति को पीले वस्त्र पहनाएं, क्योंकि पीला रंग विष्णु जी को प्रिय है

तुलसी के पौधे के गमले को गेरू से सजाएं और वहां पूजा की तैयारी करें। भगवान शालिग्राम और तुलसी जी की विशेष पूजा करें, जिसमें उन्हें फल, फूल, दीपक और धूप अर्पित करें। इसके बाद, लाल चंदन से तिलक करें और भगवान विष्णु को पीले फूल अर्पित करें। अंत में, पूजन के बाद प्रसाद वितरण करें और व्रत का समापन करें। इस विधि से घर में तुलसी विवाह विधिपूर्वक संपन्न होगा।

तुलसी जी किसकी बेटी है | Whose daughter is Tulsi ji?

हिंदू पंचांग के अनुसार दृश्य ध्वज और उनके उत्तराधिकारी पुत्र की मृत्यु हो गई थी और उनके पोते-पोटिया धर्मध्वज और कुछ ध्वज जब लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए उनकी पूजा कर रहे थे तब लक्ष्मी जी ने उनके प्रयासों को प्रस्तुत करते हुए क्रमशः धर्म और ध्वज की पुत्री तुलसी और कुशवाह की पुत्री वेदवती के रूप में जन्म लिया इसलिए तुलसी के पिता का नाम धर्म ध्वज था तुलसी धाम ध्वज की बेटी कही जाती हैं

तुलसी का असली नाम क्या था | What was the real name of Tulsi?

मान्यता के अनुसार तुलसी पूर्व जन्म में एक कन्या थी जिनका नाम वृंदा था जिसका जन्म एक राक्षस कुल में हुआ था

कार्तिक मास में तुलसी विवाह का महत्व | Importance of Tulsi marriage in Kartik month

कार्तिक मास में तुलसी पूजन बेहद शुभ माना गया है इससे जीवन में खुशियां बढ़ती है और सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं कार्तिक मास में तुलसी का पूजन करने से घर परिवार में अकाल मृत्यु की आशंका समाप्त होती है कार्तिक मास में एक महीने लगातार तुलसी के पास दीपक जलाने से परम पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख शांति स्थापित होती है मानता है कि कार्तिक के महीने में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर तुलसी को जल चढ़ाने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है इस माह तुलसी के पौधे का दान करना भी अति श्रेष्ठ माना गया है कार्तिक में प्रत्येक बृहस्पतिवार को तुलसी को कच्चे दूध को चढ़ाना चाहिए इसके बाद हर शाम को तुलसी के समक्ष दीपदान करना बेहद शुभ माना जाता है

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तुलसी विवाह की सामग्री | Ingredients for Tulsi Marriage

तुलसी विवाह एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जो आमतौर पर कार्तिक माह की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। तुलसी विवाह की सामग्री निम्नलिखित होती है:

1. तुलसी का पौधा:पूजा के लिए एक सुंदर तुलसी का पौधा आवश्यक होता है। यह पौधा आमतौर पर घर के आंगन या एक विशेष बर्तन में लगाया जाता है।

2. शंख:पूजा के दौरान शंख बजाना पारंपरिक होता है।

3. दीये और तेल:दीपक में तेल या घी डालकर उसे जलाना होता है।

4. अगरबत्ती और धूप:पूजा स्थल को सुगंधित करने के लिए अगरबत्ती और धूप का उपयोग किया जाता है।

5. फूल:तुलसी के पौधे और भगवान विष्णु की पूजा के लिए फूल अर्पित किए जाते हैं।

6. कपूर:कपूर को जलाकर पूजा स्थल को शुद्ध किया जाता है और उसकी खुशबू पूजा में शामिल की जाती है।

7. पंखा:पूजा के दौरान तुलसी के पौधे को हवा देने के लिए पंखा भी रखा जाता है।

8. पंडित या परिवार के सदस्य:पूजा की विधि और मंत्रों का पालन करने के लिए एक पंडित या परिवार का कोई सदस्य पूजा आयोजित करता है।

9. प्रसाद:पूजा के बाद भगवान को भोग अर्पित किया जाता है, जिसमें मुख्यतः मिठाइयाँ और फल शामिल होते हैं।

10. कलावा (रक्षा सूत्र):पूजा के दौरान तुलसी के पौधे को कलावा बांधने की परंपरा भी होती है।

इन सामग्रियों का उपयोग करके आप तुलसी विवाह की पूजा विधिपूर्वक और श्रद्धा पूर्वक कर सकते हैं।

तुलसी विवाह पूजा विधि | Tulis Vivah puja vidhi

1. जिस दिन आप तुलसी का विवाह कर रहे हैं उसे दिन घर के सभी सदस्यों को जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए और सांप स्वच्छ कपड़े पहनना चाहिए

2. इसके बाद तुलसी के पौधे को आंगन या पूजा घर के बीच में स्थापित करें

3. तुलसी का पौधा स्थापित करने के बाद मंडप के दोनों तरफ गाने चढ़ाई गाने चढ़ाई

4. उसके बाद तुलसी माता पर सभी प्रकार के सुहाग के समान अर्पित करें

5. उसके बाद तुलसी वाले गमले के पास चौकी पर एक शालिग्राम रखें

6. उसके बाद चौकी पर एक कलश भरकर जल रखें

7. उसके बाद पांच आम के पत्ते और लाल कपड़े में एक नारियल लपेटकर कलश के ऊपर रखें

8. उसके बाद शालिग्राम को गंगाजल चढ़कर शुद्ध करें फिर दीप प्रज्वलित करें

9. उसके बाद सलेम राम जी का पंचामृत से अभिषेक करें और उन्हें पीले वस्त्र धारण करें

10. पूजन सामग्री चढ़ाने के बाद तुलसी माता के साथ परिक्रमा करें

11. पूजा करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि शालिग्राम को कोई भी पुरुष हाथ ना लगे

12. उसके बाद तुलसी माता की कथा पढ़ें

13. फिर आरती करके पूजा संपन्न करें

तुलसी विवाह कथा | Tulis Vivah katha

वास्तु शास्त्र के अनुसार एक समय यात्रा जालंधर के अत्याचारों से ऋषि मुनि देवता और मनुष्य सभी बहुत परेशान थे वह बड़ा ही पराक्रमी और वीर था इसके पीछे उसकी पतिव्रत धर्म का पालन करने वाली पत्नी वृंदा के पुण्य का फल था जिससे वह पराजित नहीं होता था उसे परेशान देवता भगवान विष्णु के पास गए और उसे हराने का उपाय पूछने लगे तब भगवान श्री हरि ने वृद्धा का पतिव्रत धर्म तोड़ने का उपाय सोचा भगवान विष्णु ने जल धड़ाधड़ का रूप धारण कर वृद्धा को स्पर्श कर दिया जिसके कारण वृंदा का पतिव्रत धर्म भंग हो गया और जालंधर युद्ध में मैं मर गया भगवान विष्णु से चले जाने तथा पति के वियोग में दुखी वृंदा ने श्री हरि को श्राप दिया

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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। इसमें प्रस्तुत जानकारी और तथ्यों की सटीकता और संपूर्णता के लिए त्यौहार खोज डॉट कॉम जिम्मेदार नहीं है।