करवा चौथ व्रत क्या है ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के बारे में कृष्ण ने द्रोपति को और शिव ने पार्वती को बताया था हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है करवा चौथ को कर्क चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है करवा व कर्क का अर्थ होता है मिट्टी से बना हुआ पात्र इस व्रत मैं चंद्रमा को अर्घ्य अर्थात चंद्रमा को जल अर्पण मिट्टी से बने पात्र से ही किया जाता है इस कारण इस मैं करवे का विशेष महत्व होता है पूजा के बाद इस करवे को या तो अपने घर में संभाल कर रखा जाता है या इस करवे को किसी ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में भी देने का विधान है करवा चौथ का व्रत पंजाब राजस्थान उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश में विशेष रुप से बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन इस वैश्वीकरण युग में भी एक दूसरे को देखकर अन्य प्रजाति के लोग भी इस व्रत को धूमधाम से मनाने लगे हैं
Date | तारीख | 20 अक्टूबर 2024 |
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Day | दिन | Sunday | रविवार |
करवा चौथ पूजा मुहूर्त | शाम 05:46 - रात 07:02, अवधि - 01 घण्टा 16 मिनट |
चांद निकलने का समय | रात 07:54 (20 अक्टूबर 2024) |
व्रतों के नियम जैसे व्रत कितने करने चाहिए कब से शुरू करने चाहिए कौन-कौन से लोग इस व्रत को कर सकते हैं व्रत में आपको क्या क्या खाना चाहिए और दोस्तों हम आपको एक महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहते हैं जो कि अत्यावश्यक है और वह है पूजा का सही समय दोस्तों इन व्रतों में पूजा का सही समय सुनिश्चित होता है इस बात के बारे में ध्यान रखना अति आवश्यक है और पूजा किस प्रकार करनी चाहिए पूजा में किस-किस सामान की आवश्यकता होती है और कथा आपको कौन सी पढ़नी चाहिए क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए क्या परिवार के अन्य सदस्यों के लिए कुछ नियम है क्या पहनना चाहिए क्या अपने घर से बाहर जा कर यह व्रत करने चाहिए अगर आप पीरियड से हैं तो व्रत करना चाहिए या नहीं करना चाहिए इन सब बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है और सुल्तान वगैरह जैसी स्थिति में क्या व्रत रखने चाहिए या नहीं या इस व्रत को छोड़कर दूसरे व्रत से संख्या पूरी करनी चाहिए इन सब बातों की जानकारी आज हम आपको देना चाहेंगे
दोस्त सुहागन स्त्रियों के लिए करवा चौथ का बड़ा महत्व है हिंदू रीति रिवाज के अनुसार हर सुहागन स्त्री अपने पति को परमेश्वर मानती है उसको अपना सब कुछ समझती है और वह अपने पति की लंबी आयु की प्रार्थना के लिए यह व्रत करती है हर स्त्री चाहती है कि उसका सुहाग अमर हो उसके पति की आयु लंबी हो इसलिए सुहागन स्त्रियां करवा चौथ का व्रत करती हैं इस व्रत को करने से उनके पति की आयु लंबी होगी ऐसा सोच कर ही वह करवा चौथ का व्रत करती हैं आज के समय में दोस्तों जहां जमाना इतना बदल गया है वहां आज भी करवा चौथ के व्रत को लेकर 80% महिलाएं इस वक्त के महत्व को समझती हैं आज के समय में लड़कियां मॉडर्न होती जा रही हैं बावजूद इसके इस व्रत को पूरी श्रद्धा भाव से करती हैं करवा चौथ के व्रत के अनुसार इस व्रत को करने से उनके पति की आयु लंबी होती है और पति पत्नी दोनों में प्यार बढ़ता है इसलिए सुहागन स्त्रियां करवा चौथ का व्रत पूरे भाव के साथ करती हैं इस व्रत को करने से उनको अति सुख की प्राप्ति होती है यह पर्व सौंदर्य प्राप्ति का पर्व भी माना जाता है इस पर्व को मनाने से रूप और सौंदर्य की भी प्राप्ति होती है इस दिन सुहागन स्त्रियां सोलह सिंगार करती हैं मेहंदी लगाती हैं सिंदूर बिंदी लिपस्टिक चूड़ी महावर मंगलसूत्र पायल वगैरह सब करके नई साड़ी पहन कर अपने पूरे सोलह सिंगार करके पूजा करती हैं.
हिंदू रीति रिवाज के अनुसार कुछ धार्मिक मान्यताएं हैं इस धार्मिक मान्यताओं के आधार पर भी निर्भर करती है जैसे हमारे ग्रंथों में बताया गया है इस दिन माता गौरी शिव कार्तिक और गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है चंद्रमा को सुख और शांति का कारक माना जाता है इसलिए चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं वैवाहिक जीवन में सुख शांति की लंबी आयु की कामना करती हैं और सौभाग्य प्राप्ति के लिए भी प्रार्थना की जाति हैं यह प्रार्थना निष्फल नहीं होती.
केवल सुहागन स्त्रियां या जिनका विवाह तय हो गया है ऐसी स्त्रियां ही इस व्रत को कर सकती हैं यह व्रत सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक रखा जाता है. यह करवा चौथ का व्रत निर्जला ही रखा जाता है किंतु आजकल महिलाएं जल पीकर भी इस व्रत को शुरू करने लगी हैं हिंदू रिवाज के अनुसार इस व्रत वाले दिन कोई भी महिलाएं काले या सफेद वस्त्र नहीं पहनती हिंदू रीति रिवाज में लाल वस्त्र सबसे शुभ माना जाता है वैसे तो पीला भी शुभ होता है करवा चौथ के दिन संपूर्ण श्रंगार करना चाहिए तत्पश्चात पूजा करके भोजन करना चाहिए यदि कोई भी महिला करवा चौथ वाले दिन बीमार है या कोई और दिक्कत है तो उसकी जगह उसका पति भी इस व्रत को पूरा कर सकता है.
चतुर्थी तिथि को अपयश कहा जाता है इसमें शुभ कार्य वर्जित होते हैं इस दिन अगर आप चंद्रमा के दर्शन करते हैं तो कलंक लग सकता है इस दिन चंद्रमा का दर्शन करना निषेध होता है इस दिन गणेश जी की पूजा उपासना करके अगर चंद्रमा को नीची निगाहों से अरग तो अपयश का दोष खत्म हो जाता है इसलिए महिलाएं करवा चौथ को चंद्रमा को छलनी में या परछाई में देखती हैं.
भगवान श्री गणेश की पूजा करने से दूर हो जाता है आइए हम आपको बताते हैं कि भगवान श्री गणेश की पूजा कैसे करें जिससे अपयश दूर हो जाए भगवान श्री गणेश के सामने घी का दीपक जलाओ और उनको लड्डुओं का भोग लगाओ और चतुर्थी तिथि मंत्र का जाप करो. चतुर्थी तिथि का मंत्र. ॐ वक्रतुंडाय हूं इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें और इसके बाद जल में सफेद फूल डालकरकर नीचे निगाहों से चंद्रमा को अर्घ्य दें ऐसा करने से अपयश का दोष भंग हो जाएगा.
एक साहूकार था जिसके सात बेटे और एक बेटी थी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को साहूकार की सभी बहू और बेटी और और उनकी पत्नी ने व्रत रखा जब सातों भाई भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से खाना खाने को कहा क्योंकि वह अपनी बहन को बहुत प्यार करते थे सातों भाई अपनी बहन पर जान छिड़कने थे वह उसको भूखा नहीं देख पाए इसलिए उसको खाना खाने के लिए बोला लेकिन बहन बोली नहीं भाई आज तो करवा चौथ का व्रत है जब चांद निकलेगा मैं उसको अरग देकर ही भोजन ग्रहण करूंगी यह सुनकर भाई व्याकुल हो उठे क्योंकि वह अपनी बहन को भूख से व्याकुल देख परेशान हो गए उन्होंने गांव की एक पहाड़ी पर दीपक जलाकर और छलनी में दिखाया वह बोले बहन चांद निकल आया है तुम चंद्रमा को अरग दे दो तो उसने अपनी भाभियों से कहा चलो भाभी चंद्रमा निकल आया है चलो चांद को अरग दे कर पूजा करें व्रत खोलें तो सभी भाभियों बोली नहीं नहीं यह तो आपका चांद निकला है हमारा चांद अभी नहीं निकला आप अरग हो गया दे दो हम बाद में दे देंगे यह सुनकर बहन सावित्री ने उस दिए को चंद्रमा समझकर अरग को दे दिया और भोजन करने बैठ गई जैसे ही
पहला निवाला तोड़ा तो उसको छींक आ गई और दूसरा निवाला तोड़ा तो बाल निकल आया तीसरे निवाले पर ससुराल से बुलावा आ गया जैसे भी बैठी हो चली आओ मां उसको विदा करने के लिए बक्से बक्से से कपड़े निकलने लगी तो बक्से से काले सफेद कपड़े निकलने लगे तब मां घबरा गई और बोली बेटी रास्ते में जो भी छोटा-बड़ा मिले उसके पैर छूती जाना और जो कोई भी पूर्ण सुहागन होने का आशीर्वाद दे तो वही अपने पल्ले में गांठ बांध लेना वह बोली ठीक है मां ऐसा कह कर वह अपनी ससुराल के लिए जाने लगी रास्ते में जो कोई भी उसे मिला उसने कहा सुखी रहो खुश रहो पीहर का सुख पाती रहो ऐसे ही चलते चलते वह अपने ससुराल जा पहुंची तो उसने देखा कि दरवाजे पर छोटी ननंद खेल रही थी
उसने उसके पैर छुए तो ननंद ने उसे आशीर्वाद दिया सदा सौभाग्यवती रहो पुत्रवती रहो यह सुनकर उसने अपने पल्ले में गांठ लगा ली और अंदर गई अंदर जाकर देखा कि उसके आंगन में उसके पति का शव रखा है और उसको ले जाने की तैयारी चल रही है तो वह बहुत रोई जैसे ही उसके पति को ले जाने लगे तो वह बोली मैं उन्हें कहीं नहीं ले जाने दूंगी जब वहां मौजूद लोग नहीं माने तो साथ जाने की जिद करने लगी सबके समझाने के बाद भी जब वह नहीं मानी तो सब लोग उसकी ज़िद के आगे हार गए और बोले चलो ले चलो इसे भी साथ में वह उसके साथ श्मशान घाट तक गई जब सब लोग अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे तो उसने उसको जलाने से साफ इंकार कर दिया तो वहां पहुंचे सभी लोग कहने लगे पहले तो अपने पति को खा गई अब उसकी जिंदगी खराब कर रही है लेकिन वह नहीं मानी अपने पति के सब के पास बैठ गई और रोने लगी यह सब देखकर वहां मौजूद लोगों ने कहा यहां एक झोपड़ी बनवा दो यह अपने पति को लेकर यहां रह लेगी झोपड़ी बनवा दी गई वह अपने पति के साथ वहां रहने लगी रोज साफ सफाई करने लगी उसके कपड़े बदलती उसको स्नान कराती उसको साफ सुथरा रखती दिन में दो बार उसकी छोटी ननद खाना लाती वह हर करवाचौथ का व्रत करती चांद को अरग देती और चौथ माता की कहानी सुनती जब चौथ माता प्रकट होती और कहती करबोले बोले भाइयों की प्यारी करबोले यह घड़ी बुखारी करबोले तब वह चौथ माता से अपने पति के प्राण मांगती तब चौथ माता कहती हमसे बड़ी चौथ माता आएगी
तब तुम उनसे अपने पति के प्राण मांगना एक-एक करके सभी चौथ माता आई और यही कह कर चली गई अब अश्वन की चौथ माता तुमसे नाराज हैं कार्तिक की बड़ी चौथ माता आएंगी वही तेरा सुहाग तुझे वापस करेंगे जब वह आए तो उनके पैर मत छोड़ना और करवा चौथ वाले दिन सोलह सिंगार का सामान तैयार रखना जब कार्तिक की बड़ी करवा चौथ आई तो उसने अपनी छोटी ननंद से सोलह सिंगार का सामान मंगाया जब सास को यह बात पता चली तो वह बोली वह तो पागल हो गई है जो मांगती है दे दो तब उसने करवा चौथ का व्रत रखा ज्योति जलाई जब चौथ माता प्रकट हुई तो बोली करबोले भाइयों की प्यारी करबोले दिन में चांद देखने वाली करबोले घड़ी बुखारी करबोले उसने उनके पैर पकड़ लिया और बोली माता मुझे मेरा सुहाग वापस कर दो तब चौथ माता बोली तू तो बड़ी भूखी है सात भाइयों की प्यारी है सुहाग का तेरे लिए क्या काम तब वह बोली नहीं माता मैं आपके पैर तब तक नहीं छोडूंगी जब तक आप मेरा सुहाग वापस नहीं कर देती तब सुहाग माता ने कहा सुहाग का एक-एक सामान मांगा है उसने सुहाग का सारा सामान चौथ माता को दे दिया तब चौथ माता ने अपनी आंख से काजल निकाला नाखूनों से मेहंदी निकाली मांग से सिंदूर निकाला और उसे करवे में डालकर छोटी उंगली से उसके ऊपर छिड़क दिया जिससे उसका पति जीवित हो गया चौथ माता जाते-जाते उसकी झोपड़ी पर लात मार गई जिससे उसकी झोपड़ी महल बन गई उसका पति जीवित हो गया जब छोटी ननंद खाना लेकर आई नो तो देखा झोपड़ी की जगह महल खड़ा है वह दौड़ी- दौड़ी अपनी छोटी ननंद के पास गई और बोली बाईसा आपका भाई जीवित हो गया है सासू जी से कहो गाजे-बाजे इसे लेने आए छोटे ननंद दौड़ी-दौड़ी अपनी मां के पास गई और सारी बात बताई मां बोली उसके साथ तेरा भी दिमाग खराब हो गया है और ननद बोली नहीं मां मैंने देखा है सच में भाई जिंदा हो गए हैं सासु गाजे-बाजे के साथ अपने बेटे को लेने पहुंची बेटे को जिंदा देखकर सास बहू के पैरों पर गिर गई सास जैसे ही पैर छूने लगी तभी बहू ने सास के पैर छुए और बोली मां देखो आपका बेटा वापस आ गया है मां बोली मैंने तो अपना बेटा खो दिया था दिया तेरी भक्ति तेरे भाग्य से और तेरी तपस्या से यह पुनःजीवित हो गया माता तेरी रक्षा करें.