हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है यह पर्व रात में चंद्रमा की दूधिया रोशनी के बीच में मनाया जाता है शरद पूर्णिमा जिसे कोजागरी पूर्णिमा व रास पूर्णिमा भी कहते हैं मान्यता के अनुसार साल भर में सिर्फ इसी दिन चांद 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है शास्त्रों के अनुसार, इस दिन चंद्रमा की चाँदनी से बनी किरणों का विशेष प्रभाव होता है जो मानव शरीर और मन को शांति प्रदान करता है इसलिए, लोग इस दिन को ध्यान और साधना के लिए भी अच्छा मानते हैं
दक्षिण भारत में, लोग रात्रि को देवी माहालक्ष्मी की पूजा करते हैं इसके साथ ही शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शरद पूर्णिमा के दिन श्री यंत्र को विधि विधान से स्थापित कराकर उसकी पूजा की जाती है और उनके साथ साथ अन्य देवताओं की भी पूजा करते हैं
16 अक्टूबर 2024 | 16 October 2024 |
बुधवार | Wednesday |
पूजा समय शूरु - 20:35 बजे से [16 अक्टूबर 2024] | पूजा समय समाप्त - 16:50 बजे तक [17 अक्टूबर 2024] |
शरद पूर्णिमा हिन्दी पंचांग के अनुसार हर साल के अक्टूबर या नवम्बर महीने में मनाई जाती है। इस वर्ष, शरद पूर्णिमा की तारीख 16 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार को है यह तिथि पूरे भारतवर्ष में हिन्दू धर्म के अनुयायियों द्वारा बड़े धूमधाम से मनाई जाएगी और विभिन्न परंपराओं और क्षेत्रों में विशेष रूप से धूप-धूमड़, भजन-कीर्तन, और पूजा-अर्चना के साथ उत्सव किया जाएगा
शरद पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन माह की पूर्णिमा को कहा जाता है और यह विशेष तौर से प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के साथ जुड़ा हुआ है शरद पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का एक ऐसा महत्वपूर्ण हिस्सा है इस दिन के महत्व को कई प्रकार से माना जाता है
व्रत और पूजा का महत्व: शरद पूर्णिमा को विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन गोपियों के साथ रास लीला की थी, जो भक्तों के लिए अद्वितीय और प्रेम भरी है। इसी कारण से इस दिन को "रास पूर्णिमा" भी कहा जाता है
कोजागरी पूर्णिमा: इस दिन को "कोजागरी पूर्णिमा" भी कहते हैं, जिसमें महिलाएं रात्रि के विशेष समय में जागरूक रहती हैं और माता लक्ष्मी की कृपा के लिए व्रत रखती हैं
आध्यात्मिक महत्व: इस दिन को आध्यात्मिक महत्व से भी देखा जाता है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं और भक्ति के माध्यम से मनुष्य को दिव्यता की ओर उत्तेजित किया जाता है
इस प्रकार, शरद पूर्णिमा का महत्व हिन्दू समाज में अत्यधिक है और यह सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक महत्व से भरा हुआ है
हरित पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है, और इस दिन को आराधना और उपासना के साथ बिताना चाहिए। यहां कुछ महत्वपूर्ण क्रियाएं बताई जा रही हैं जो हरित पूर्णिमा के दिन की जा सकती हैं:
उपवास और व्रत: कुछ लोग इस दिन उपवास रखते हैं और विशेष तरीके से व्रत आचरण करते हैं। उपवास के दौरान सात्विक आहार का पालन करना और भगवान की पूजा करना चाहिए
कोजागरी पूर्णिमा व्रत: कुछ विशेष स्थानों में, महिलाएं कोजागरी पूर्णिमा का व्रत रखती हैं जिसमें रात्रि में जागरूक रहती हैं और भगवान लक्ष्मी की पूजा करती हैं
दान-पुण्य: हरित पूर्णिमा के दिन दान देना भी बड़ा महत्वपूर्ण है। आप गरीबों को आहार, वस्त्र, धन आदि दान कर सकते हैं
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा: इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मंदिरों में, या घर पर, श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र को सजाकर पूजा करें। उनके लीलाएं और गीता के श्लोकों का पाठ करें
शरद पूर्णिमा को खीर रखने का शुभ मुहूर्त रात्रि के समय होता है। इस दिन कोजागरी व्रत का आयोजन होता है, और इस दिन खीर को चाँदनी रात को बनाकर रखना शुभ माना जाता है
वैसे तो शरद पूर्णिमा के अत्यंत लाभ होते हैं किंतु यदि आप मानसिकता से मुक्ति पाना चाहते हैं तो शरद पूर्णिमा का व्रत अवश्य करे
आर्थिक समृद्धि: शरद पूर्णिमा का आचरण करने से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और उनकी कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है
आत्मिक शुद्धि: इस विशेष दिन का व्रत रखने से व्यक्ति का मानसिक और आत्मिक शुद्धि होती है भक्ति और उपासना से व्यक्ति की आत्मा पवित्र हो जाती है
कोजागरी व्रत के लाभ: कोजागरी पूर्णिमा का व्रत रखने से महिलाएं भगवान लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करती हैं और अपने परिवार के लिए धन, समृद्धि, और सुख-शांति की कामना करती हैं
समृद्धि और भग्यशाली जीवन: शरद पूर्णिमा का आचरण करने से व्यक्ति को समृद्धि, सुख-शांति, और भग्यशाली जीवन की प्राप्ति होती है
शरद पूर्णिमा का व्रत अनुष्ठान करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं जो भक्तों को पूर्ण करने चाहिए
उपवास और शुद्धि: शरद पूर्णिमा के दिन भक्तों को उपवास का पालन करना चाहिए और शुद्धि के लिए स्नान करना चाहिए
ब्रह्मचर्य और त्याग: व्रत के दिन ब्रह्मचर्य में रहकर, और त्याग भावना के साथ व्रत करना चाहिए
श्रीकृष्ण की पूजा: व्रत के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए। इसमें उनकी मूर्ति या चित्र का सजीव पूजन, आरती, भजन-कीर्तन, और महामृत्युंजय मंत्र का जाप शामिल हो सकता है
भगवद गीता का पाठ: शरद पूर्णिमा के दिन भगवद गीता के श्लोकों का पाठ करना चाहिए, क्योंकि इस दिन पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान दिया था
कोजागरी पूर्णिमा व्रत: कुछ स्थानों पर, महिलाएं कोजागरी पूर्णिमा का व्रत रखती हैं, जिसमें रात्रि में जागरूक रहकर भगवान लक्ष्मी की पूजा करती हैं
दान-पुण्य: इस दिन दान देना भी बड़ा महत्वपूर्ण है। गरीबों को भोजन, वस्त्र, और धन देना चाहिए
शरद पूर्णिमा के दिन मान्यता प्राप्त है भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के अलावा, इस दिन लक्ष्मी पूजा भी विशेष रूप से की जाती है। यहां शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजा करने के कुछ सामान्य चरण दिए जा रहे हैं
स्नान और शुद्धिकरण: इस पूजा की शुरुआत में व्रती व्यक्ति को निर्मल पानी से स्नान करना चाहिए और शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिए। इससे मानव शरीर को शुद्धि और पवित्रता मिलती है
पूजा स्थल की सजावट: लक्ष्मी पूजा के लिए एक सुंदर और शुभ स्थल को सजाना चाहिए। स्थल को फूलों, धूप, दीपक और रंगीन पट्टियों से सजाना चाहिए
लक्ष्मी माता का मूर्ति या चित्र: लक्ष्मी पूजा के लिए लक्ष्मी माता की मूर्ति या उनका चित्र पूजा स्थल पर रखना चाहिए
कलश स्थापना: पूजा स्थल पर एक कलश स्थापित करें और उसमें पानी, सुपारी, सुगंध, अगरबत्ती, गुड़ और एक पंचामृत मिलाकर रखें
लक्ष्मी पूजा विधि: लक्ष्मी माता की पूजा के लिए कलश के आस-पास दीपक जलाएं और मां लक्ष्मी की आराधना करें विशेष रूप से लक्ष्मी माता की स्तुति और भगवान विष्णु की पूजा करें
तुलसी के पत्तों की पूजा: लक्ष्मी पूजा में तुलसी के पत्तों की भी पूजा की जाती है, जो धरती माता की स्वरूपिणी होती हैं
पूजा के बाद प्रसाद वितरण: पूजा के बाद, भोग लगाकर मां लक्ष्मी को चढ़ाएं और फिर प्रसाद को सभी उपस्थित लोगों को बांटें
शरद पूर्णिमा के इस विशेष दिन, लक्ष्मी पूजा का आयोजन करके लोग धन, समृद्धि और धर्मिक उन्नति की कामना करते हैं
बहुत समय पहले की बात है, एक समय की बात है जब भूलों का राजा विक्रम सिंह थे उनकी राजधानी में एक गरीब ब्राह्मण रहता था, जिनका नाम धनञ्जय था धनञ्जय बड़े भक्तिभाव से भगवान विष्णु की पूजा करता था एक दिन, भूलों के राजा विक्रम सिंह ने धनञ्जय को देखा और उसकी निष्ठा को देखकर वह बहुत प्रभावित हुए। राजा ने धनञ्जय से पूछा, "तुम्हारी इस अद्भुत भक्ति का क्या रहस्य है?" धनञ्जय ने हंसते हुए उत्तर दिया, "राजा, मेरे लिए भगवान ही सब कुछ हैं। मैंने उनसे केवल एक व्रत का आदान-प्रदान किया है और वही मेरी शक्ति है"
धनञ्जय ने राजा को बताया कि वह हरिनाम संकीर्तन के साथ शरद पूर्णिमा का व्रत मनाता है उसने कहा, "राजा, इस व्रत में मैं पूरे दिन उपवास करता हूँ और सूर्यास्त के समय भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करता हूँ" राजा ने धनञ्जय से व्रत की कथा सुनकर उसका आदर किया और भगवान की पूजा विधि सीखने का इच्छा की धनञ्जय ने राजा को भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और उनकी महिमा के बारे में सुनाया और राजा ने भी उसी व्रत को आचार्यता करने का निर्णय किया इस प्रकार, भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और शरद पूर्णिमा के व्रत की कथा ने राजा विक्रम सिंह को भी एक उदाहरण पूर्वक धार्मिक जीवन जीने का मार्ग प्रदान किया
1. पौष पूर्णिमा: 25 जनवरी, बृहस्पतिवार |
2. माघ पूर्णिमा: 24 फरवरी, शनिवार |
3. फाल्गुन पूर्णिमा: 25 मार्च, सोमवार |
4. चैत्र पूर्णिमा: 23 अप्रैल, मंगलवार |
5. वैशाख पूर्णिमा: 23 मई, बृहस्पतिवार |
6. ज्येष्ठ पूर्णिमा: 22 जून, शनिवार |
7. आषाढ़ पूर्णिमा: 21 जुलाई, रविवार |
8. श्रावण पूर्णिमा: 19 अगस्त, सोमवार |
9. भाद्रपद पूर्णिमा: 18 सितम्बर, बुधवार |
10. आश्विन पूर्णिमा: 17 अक्टूबर, बृहस्पतिवार |
11. कार्तिक पूर्णिमा: 15 नवम्बर, शुक्रवार |
12. मार्गशीर्ष पूर्णिमा: 15 दिसम्बर, रविवार |