Lakshmi and Dhanvantari idol worship on Dhanteras

Dhanteras 2025 | धनतेरस 2025: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और खरीदारी का महत्व

Table of index

  • धनतेरस 2025 कब है?
  • धनतेरस क्यों मनाया जाता है?
  • धनतेरस का क्या महत्व है?
  • धनतेरस पर क्या खरिदना चाहिए?
  • धनतेरस के दिन क्या नहीं खरीदना चाहिए?
  • धनतेरस में रंगोली का महत्व?
  • धनतेरस का मुहूर्त कब है?
  • धनतेरस की पूजा कैसे करें?
  • धनतेरस पूजा विधि

धनतेरस कब है 2025 | Dhanteras 2025 Kab Hai

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है धनतेरस के दिन भगवान कुबेर की पूजा की जाती है धनतेरस का त्रयोदशी से विशेष संबंध होता है हिंदू धर्म में पांच दिवसीय दीप वर्ग का साल का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है Dhanteras kab hai दोस्तों इस बार धनतेरस 18 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी

धनतेरस 2025 कब है | Dhanteras 2025 date and time

Date | तारीख 18 Oct, 2025
Day | दिन Saturday | शनिवार
धनतेरस का शुभ मुहूर्त शाम 07:16 से 8:20 बजे तक

धनतेरस क्यों मनाया जाता है? | Why is Dhanteras celebrated

शास्त्रों के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर भगवान धनवंतरी हाथों में कलश लिए समुद्र से प्रकट हुए भगवान धनवंते को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है भगवान धनवंती के प्रकट होने के उपलक्ष में ही हिंदू धर्म में धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है इसलिए यह पर्व धन के साथ स्वास्थ्य से भी जुड़ा है

धनतेरस का क्या महत्व है? | What is the importance of Dhanteras?

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है और यह त्यौहार दीपावली आने का सूचक है इस दिन धन्वन्ती जयन्ती भी मनई जाती है क्योंकि आज के ही दिन धन्वंतरि वैद समुद्र मंथन से धन से भरा हुआ कलश लेकर उत्पन्न हुए आज के दिन सोना चांदी खरीद का भी बहुत महत्व होता है ऐसा मन जाता है कि इस दिन आप कोई भी नई वास्तु खरीदते हैं तो इसे लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और आपके घर में लक्ष्मी जी की कृपा सदैव बनी रहती है

धनतेरस पर क्या खरिदना चाहिए? | What to buy on Dhanteras

वैसे तो धनतेरस के दिन बहुत सी चीज खरीदारी का विधान है लेकिन कुछ खास चीजें हैं जिनको भगवान से माता लक्ष्मी जी हमेशा खरीदती हैं आप प्रसन्न रहेंगी

  • धनतेरस के दिन सोना खरीदारी अत्यंत मन जाता है सोने के साथ-साथ लोग अपनी स्वेच्छा के अनुसार चांदी भी खरीद सकते हैं सोना चांदी दान ही शुभ माने जाते हैं
  • गोमती चक्र खरीदना शुभ माना गया है
  • तीसरा नंबर पर है कोडी खरीदना
  • सबसे खास है झाड़ू धनतेरस के दिन हमें झाड़ू अवश्यक खरीदनी चाहिए इन सभी चीज़ों को ख़रीदने से आपके घर में धन की कभी कोई कमी नहीं रहेगी और माता लक्ष्मी सदैव आप अपना आशीर्वाद बनाकर रखेंगे

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धनतेरस के दिन क्या नहीं खरीदना चाहिए? | What should not be bought on Dhanteras

धनतेरस के दिन लोहा खरीदना शुभ नहीं माना जाता धनतेरस के दिन कोई भी नुकिली चीज भी खरीदना शुभ नहीं माना जाता इसके अलावा धनतेरस के दिन कोई भी कांच की चीज भी नहीं खरीदनी चाहिए क्योंकि ऐसा मन जाता है कि कोई भी कांच की चीज या शीशा वागैरा खरिदने से घर की बरकत रुक जाती है क्योंकि कांच का टूटना अशुभ मन जाता है इसलिए और लोहे की ना कोई भी कांच की बनी हुई कोई भी वास्तु हमें नहीं चाहिए

धनतेरस में रंगोली का महत्व | Importance of Rangoli in Dhanteras

रंगोली का अर्थ होता है "रंग की पद्धति" और यह भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है। धनतेरस के अवसर पर घरों के बाहर या द्वार के पास रंगोली बनाना एक प्राचीन परंपरा है जो वर्णनात्मक और रूचिकर होती है। यह रंगोली गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के साथ साथ रचनात्मक एवं सुंदर भी होती है।

रंगोली बनाने की प्रक्रिया में रंगीन पाउडर, चावल के आटे, रंगीन चादर, फूल, पत्तियाँ, और छोटे धागों का उपयोग होता है। इसके लिए आधारभूत ज्ञान की आवश्यकता होती है, जिसमें रंगों के संयोजन की समझ शामिल होती है। रंगोली बनाने की विशेष कला होती है, जो महिलाएं और लड़कियाँ खासकर धनतेरस के अवसर पर अपनाती हैं। इसके रंगीन और गीतकारी डिज़ाइन घर की सुंदरता को बढ़ाते हैं और उसे आकर्षक बनाते हैं।

रंगोली के बनाने के दौरान महिलाएं और लड़कियाँ विभिन्न प्राचीन धार्मिक चिन्ह, पैटर्न्स और ज्योतिषीय चिन्हों का उपयोग करती हैं, जिन्हें उनके सृजनात्मक दृष्टिकोण से डिज़ाइन किया जाता है। इसके अलावा, रंगोली का उपयोग अच्छे और शुभ संकेतों के रूप में भी होता है।

धनतेरस के दिन रंगोली बनाने का उद्देश्य न केवल घर को सुंदर बनाना होता है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक महत्व भी रखता है। रंगोली के माध्यम से लोग अपने घर में सकारात्मक या पॉजिटिव ऊर्जा को आकर्षित करते हैं और धन और सौभाग्य की बढ़ती होने की कामना करते हैं।

धनतेरस का मुहूर्त कब है? | When is the auspicious time of Dhanteras?

इस साल यह धनतेरस का मुहूर्त 18 अक्टूबर 2025 को 07:16 पी एम से 08:20 पी एम तक है। धनतेरस के दिन पूजा प्रदोष काल में होती है, इसलिए धनतेरस 18 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07:16 पी एम से 08:20 पी एम तक है।

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धनतेरस की पौराणिक कथा | Dhanteras Ki Katha

धनतेरस का त्योहार हिन्दू पंचांग में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है, और इसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। इस दिन का महत्व धन और संपत्ति की प्राप्ति के लिए अत्यधिक माना जाता है, और यह त्योहार लक्ष्मी माता, धन के देवी, की पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है।

धनतेरस का एक पौराणिक कथा भी है, जिसका जिक्र महाभारत काल से है। इस कथा के अनुसार, एक समय की बात है, द्वापर युग में लोकप्रिय धनवंतरि नामक धन्वंतरि असुरों के साथ वामन अवतार के रूप में पृथ्वी पर आए। उनका उद्देश्य अमृत कलश को प्राप्त करना था, जो केवल देवताओं के पास था।

यह कथा कहती है कि धन्वंतरि ने अमृत कलश के साथ सात धन के रूप में व्यक्ति को उतार दिया, जिनमें धन, धन्य, संपत्ति, सुख, शांति, धैर्य, और यश शामिल थे। इस तरह, धन्वंतरि ने मानवता को धन, स्वास्थ्य, और समृद्धि की वरदान दिया।

धनतेरस के इस दिन, लोग धन्य और लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं और अपने घरों को सजाते हैं, ताकि धन और सौभाग्य की देवी लक्ष्मी माता उनके घर में आएं। इसके अलावा, लोग अपने व्यापार में भी नई शुरुआत करते हैं और अपने निवेशों को मुश्किल समयों से बचाने की कामना करते हैं।

इस पौराणिक कथा के आधार पर ही धनतेरस को एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार माना जाता है, और लोग इसे भक्ति और आभार के साथ मनाते हैं। धनतेरस के इस पवित्र दिन पर, हम सभी को धन्यवादी होना चाहिए कि हमें धन और सौभाग्य की बढ़ती होने का मौका मिलता है और हम इसे सावधानी और आभार से स्वागत करते हैं।

धनतेरस की पूजा कैसे करें | How to worship Dhanteras

धनतेरस त्योहार को धन और संपत्ति की प्राप्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, और इसे लक्ष्मी पूजा के साथ मनाने के रूप में जाना जाता है। यहां हम आपको धनतेरस की पूजा कैसे करें, उसका सरल विधान बता रहे हैं:

सामग्री:

लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियाँ

गंध, दीपक, और दिव्य प्रदीप

कुमकुम, रोली, चावल, सुपारी, लौंग, इलायची, बत्ती, और फूल

एक पूजा थाली या प्लेट

पूजा की थाली पर एक कलश और कलश से बने श्रीफल

गोल्डन कलर का रिबन

दक्षिणी, फूल, और मिष्ठान

धनतेरस पूजा विधि | Dhanteras puja vidhi

पूजा की तैयारी: पूजा की तैयारी के लिए सबसे पहले एक शुद्ध स्थान चुनें और उसे सजाने के लिए सभी सामग्री को एकत्र करें।

पूजा की शुरुआत: पूजा की शुरुआत करने से पहले, हाथ धोकर और शुद्धि बनाएं। लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ स्थापित करें: एक पूजा थाली पर लक्ष्मी माता और गणेश की मूर्तियाँ स्थापित करें। गणेश जी को पूजन में पहले पूजा जाता है क्योंकि वे हैं विघ्नहर्ता।

लक्ष्मी-गणेश की पूजा: गणेश जी को पूजन के बाद, लक्ष्मी माता की पूजा करें। लक्ष्मी माता को कुमकुम और रोली से तिलक लगाएं और फूलों से पुष्पमाला चढ़ाएं।

कलश स्थापना: कलश को शुद्ध जल से भरकर, उसके मुख पर कलश से बने श्रीफल को रखें। कलश को पूजा स्थल पर स्थापित करें और उसके चारों ओर कुमकुम और चावल का सिर पर तिलक लगाएं दीप प्रज्ज्वलित करें: दीपकों को जलाकर पूजा स्थल पर स्थापित करें और दिव्य प्रदीप को जलाकर पूजा करें।

पूजा करें: अब लक्ष्मी-गणेश की पूजा करें, मन्त्रों के साथ। आप लक्ष्मी गायत्री मंत्र और गणेश मंत्र का जाप कर सकते हैं।

पुष्प, दीप, और नैवेद्य: पूजा के बाद, पुष्प, दीप, और मिष्ठान को देवी-देवताओं को चढ़ाएं। आरती: आरती गाने के बाद, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों के चारों ओर कुमकुम और चावल से चौक पूजा को पूरा करें।

आशीर्वाद: अब लक्ष्मी-गणेश से आशीर्वाद मांगें और अपने घर में सुख, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति की कामना करें।

इस तरह, धनतेरस की पूजा को संपन्न करें और लक्ष्मी-गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करें। इस त्योहार के माध्यम से, आप धन, संपत्ति, और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने घर को खुशियों से भर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इसमें प्रस्तुत जानकारी और तथ्यों की सटीकता और संपूर्णता के लिए त्यौहार खोज डॉट कॉम जिम्मेदार नहीं है।